इसी सत्र में पारित होगा जीएसटी विधेयक
अधिकांश राज्य जीएसटी के मौजूदा स्वरूप पर राजी हैं, लेकिन तमिलनाडु ने इस पर अपनी असहमति जताई है। वहीं पंजाब ने भी खरीद कर खत्म करने पर उसको होने वाली राजस्व हानि की भरपायी की मांग की है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। बहुप्रतीक्षित वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू करने के लिए जरूरी संविधान संशोधन विधेयक संसद के इसी सत्र में पारित हो सकता है। केंद्र सरकार जीएसटी लागू होने पर राज्यों की राजस्व हानि की भरपाई के लिए एक प्रतिशत अतिरिक्त कर लगाने का प्रावधान जीएसटी विधेयक में करने पर सहमत हो गई है। इसके बाद अधिकतर राज्य जीएसटी का समर्थन करने को तैयार हो गए हैं।
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बुधवार को यहां राज्यों के वित्त मंत्रियों की अधिकार प्राप्त समिति के साथ बैठक के बाद कहा कि राज्यों की ओर से लगभग समर्थन के मद्देनजर सरकार संसद के मौजूदा सत्र में ही जीएसटी विधेयक को पारित कराएगी। वह इस संबंध में जल्द ही नोटिस देंगे, ताकि अगले कुछ दिनों में जीएसटी संविधान संशोधन विधेयक लोकसभा में चर्चा के लिए आ सके।
सरकार ने बीते साल दिसंबर में जीएसटी संविधान संशोधन विधेयक संसद में पेश किया था। जीएसटी के लागू होने पर केंद्रीय उत्पाद शुल्क, सेवा कर और राज्यों के मूल्य वर्धित कर (वैट), मनोरंजन कर, चुंगी और खरीद कर जैसे विभिन्न टैक्स समाप्त हो जाएंगे। जीएसटी विधेयक के संसद से पारित होने पर आधे से अधिक राज्यों के विधानमंडलों से उसे मंजूरी मिलना जरूरी है।
अधिकांश राज्य जीएसटी के मौजूदा स्वरूप पर राजी हैं, लेकिन तमिलनाडु ने इस पर अपनी असहमति जताई है। वहीं पंजाब ने भी खरीद कर खत्म करने पर उसको होने वाली राजस्व हानि की भरपायी की मांग की है। मैन्यूफैक्चरिंग के केंद्र गुजरात और महाराष्ट्र जैसे राज्यों ने जीएसटी के लागू होने पर राजस्व हानि की भरपायी के लिए एक प्रतिशत अतिरिक्त कर को बढ़ाकर दो प्रतिशत करने की मांग की।
हालांकि वित्त राज्य मंत्री जयंत सिन्हा ने कहा कि जीएसटी को एक अप्रैल, 2016 से लागू करने की राह में उन्हें कोई बाधा दिखाई नहीं देती। राज्यों के वित्त मंत्रियों की अधिकार प्राप्त समिति के अध्यक्ष केरल के वित्त मंत्री केएम मणि ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की है। मणि ने मुलाकात के बाद पत्रकारों से कहा कि पीएम ने उन्हें आश्र्वस्त किया है कि जीएसटी को लागू करना, सरकार की प्राथमिकता में ऊपर है। मणि ने कहा कि जीएसटी की राजस्व निरपेक्ष दर (आरएनआर) तय करने की जिम्मेदारी एनआइपीएफपी को सौंपी है जो कुछ दिनों में अपनी रिपोर्ट दे देगा। समिति की अगली बैठक सात मई को होगी।