बजट सत्र में ही जीएसटी बिल को पारित कराएगी सरकार
बीमा व कोयला जैसे लंबित विधेयकों को पारित कराने के बाद सरकार बजट सत्र में ही वस्तु व सेवा कर (जीएसटी) के लिए जरूरी संविधान संशोधन बिल को पास कराने की कोशिश करेगी। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बुधवार को एक कार्यक्रम में यह बात कही। सरकार ने शीतकालीन सत्र
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। बीमा व कोयला जैसे लंबित विधेयकों को पारित कराने के बाद सरकार बजट सत्र में ही वस्तु व सेवा कर (जीएसटी) के लिए जरूरी संविधान संशोधन बिल को पास कराने की कोशिश करेगी। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बुधवार को एक कार्यक्रम में यह बात कही। सरकार ने शीतकालीन सत्र में जीएसटी विधेयक संसद में पेश किया था।
जेटली के मुताबिक, उम्मीद है कि जीएसटी के लिए जरूरी संविधान संशोधन विधेयक 20 अप्रैल से शुरू होने वाले संसद के बजट सत्र के दूसरे चरण में पारित हो जाएगा। सरकार ने एक अप्रैल 2016 से जीएसटी लागू करने का प्रस्ताव किया है। जीएसटी के लागू होने केंद्र और राज्यों के कई अप्रत्यक्ष कर समाप्त हो जाएंगे। इनमें केंद्र के उत्पाद शुल्क, सेवा कर व केंद्रीय बिक्री कर तथा राज्यों के वैट, चुंगी और प्रवेश कर जैसे टैक्स शामिल हैं।
इंफ्रास्ट्रक्चर पर खर्च बढ़ाने का वादा
वित्त मंत्री ने ढांचागत क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए सार्वजनिक खर्च बढ़ाने का वादा भी दिया। इस दौरान उन्होंने देश में ब्याज दरें नीची रखने की वकालत भी की। इसके अलावा मैन्यूफैक्चरिंग का जिक्र करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि अर्थव्यवस्था का यह क्षेत्र अब भी एक बड़ी चुनौती बना हुआ है। सरकार मेक इन इंडिया के माध्यम से इस क्षेत्र पर जोर देगी।
केएम मणि बने नए चेयरमैन
वस्तु व सेवा कर के मुद्दे पर विचार कर रही राज्यों के वित्त मंंत्रियों की अधिकार प्राप्त समिति का नया चेयरमैन कांग्रेस शासित केरल के वित्त मंत्री केएम मणि को बनाया गया है। माना जा रहा है कि मणि के प्रमुख बनने से केंद्र को जीएसटी के मुद्दे पर गैर भाजपा शासित राज्यों का समर्थन जुटाने में सहूलियत होगी। जम्मू-कश्मीर में सरकार बदलने के बाद वहां के वित्त मंत्री अब्दुल रहीम राथेर के इस्तीफे से समिति के चेयरमैन का पद काफी समय से रिक्त चल रहा था।
वित्त मंत्री ने यह फैसला 20 मार्च को दिल्ली में राज्यों के वित्त मंत्रियों के साथ हुई बैठक के बाद किया है। इस बैठक में शामिल 14 राज्यों के वित्त मंत्रियों ने जेटली से यह आग्रह किया था कि वह अन्य सूबों से चर्चा करके समिति का नया मुखिया चुनें। कई राज्यों में बजट सत्र होने की वजह से वहां के वित्त मंत्री इस बैठक में शामिल नहीं हो सके। यह समिति ही राज्यों के बीच जीएसटी को लेकर सहमति बनाने के काम को अंजाम दे रही है।
पढ़ें : सरकार और आरबीआइ में नहीं मतभेद : जेटली
पढ़ें : कंपनियों से बकाया कर्ज वसूलने पर सरकार ने खड़े किए हाथ