सुब्रत राय को लगा झटका, एक बार फिर संकट में सहारा
सहारा प्रमुख सुब्रत राय की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। उनकी जमानत के लिए धन जुटाने संबंधी समूह की कोशिशों के बीच मामले ने दिलचस्प मोड़ ले लिया है। बैंक ऑफ अमेरिका (बीओएफए) ने इस बात से इन्कार किया है कि वह समूह के लिए बैंकर की भूमिका निभा रहा है।
नई दिल्ली। सहारा प्रमुख सुब्रत राय की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। उनकी जमानत के लिए धन जुटाने संबंधी समूह की कोशिशों के बीच मामले ने दिलचस्प मोड़ ले लिया है। बैंक ऑफ अमेरिका (बीओएफए) ने इस बात से इन्कार किया है कि वह समूह के लिए बैंकर की भूमिका निभा रहा है। जबकि, सहारा समूह की ओर से बताया गया था कि अमेरिकी निवेश फर्म मिराच कैपिटल की ओर से दो अरब डॉलर के सौदे में बीओएफए बैंकर की भूमिका में है।
बैंक ऑफ अमेरिका मेरिल लिंच के प्रवक्ता ने कहा, ‘हम किसी भी तरह से इस लेनदेन के साथ नहीं जुड़े हैं।’ बैंक ने यह बात ऐसे समय कही है जब कि सहारा समूह ने कहा था कि सुब्रत राय को जमानत पर छुड़ाने के लिए उसका मिराच कैपिटल समूह के साथ विदेशी संपत्तियों की बिक्री का सौदा हो चुका है।
पढ़ें - सुब्रत राय को फिर से मिली वीडियो कॉन्फ्रेंस की सुविधा
भारतीय मूल के सारांश शर्मा के नेतृत्व वाले मिराच के बारे में इससे पहले लोगों को कोई खास जानकारी नहीं थी। सुब्रत राय करीब एक साल से दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद हैं। समूह की ओर से सुप्रीम कोर्ट को बताया गया था कि मिराच इस लेनदेन को अमलीजामा पहनाएगी। इसके लिए बीओएफए में फंड जमा किए जाएंगे। फिर यह सहारा की दो कंपनियों के खातों में इन फंडों को ट्रांसफर करेगा। जब संपर्क किया गया तो शर्मा ने बीओएफए पर सीधी टिप्पणी करने से इन्कार कर दिया, लेकिन जोर दिया कि इस लेनदेन के लिए बैंक का निर्धारण हो चुका है।
शीर्ष न्यायालय के नौ जनवरी के आदेशानुसार सहारा के वकील ने बेंच के समक्ष एक पत्र प्रस्तुत किया था। इस पत्र में बैंक ऑफ अमेरिका के सहारा इंडिया परिवार के नाम भेजे संदेश में कहा गया था कि मिराच कैपिटल ग्रुप एलएलसी के निर्देश के तहत 105 करोड़ डॉलर की राशि अलग कर दी गई है। यह मिराच कैपिटल और सहारा समूह के बीच किए जा रहे सौदे के लिए 20 फरवरी, 2015 तक रखी गई है। सूत्रों ने बताया कि बीओएफए को मीडिया रिपोर्टो के जरिये पता चला कि उसके नाम का उल्लेख सौदे के लिए बतौर बैंकर अदालती दस्तावेजों में आ रहा है।