Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    जेटली ने की ब्याज दरों में कटौती की वकालत

    By Rajesh NiranjanEdited By:
    Updated: Tue, 18 Nov 2014 02:53 AM (IST)

    महंगाई नीचे आने के बाद ब्याज दरों में कटौती की उद्योग जगत की मांग के बीच वित्त मंत्री अरुण जेटली ने भी सस्ते कर्ज की वकालत की है। जेटली का कहना है कि पूंजी लागत कम होने से अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी। रिजर्व बैंक (आरबीआइ) दो दिसंबर को अपनी मौद्रिक

    नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। महंगाई नीचे आने के बाद ब्याज दरों में कटौती की उद्योग जगत की मांग के बीच वित्त मंत्री अरुण जेटली ने भी सस्ते कर्ज की वकालत की है। जेटली का कहना है कि पूंजी लागत कम होने से अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी। रिजर्व बैंक (आरबीआइ) दो दिसंबर को अपनी मौद्रिक एवं ऋण नीति की द्विमासिक समीक्षा करेगा। ऐसे में वित्त मंत्री को उम्मीद है कि आरबीआइ दरें घटाने को लेकर कोई फैसला लेगा।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    वित्त मंत्री ने यहां सिटी निवेशक शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, 'मेरी स्पष्ट राय है कि पूंजी की लागत कम होनी चाहिए। मुद्रास्फीति की दर कम हो गई है। वैश्विक ईंधन कीमतें भी कम हुई हैं। इसलिए रिजर्व बैंक अगर पूंजी की लागत को कम करता है तो इससे भारतीय अर्थव्यवस्थाा को अच्छी गति मिलेगी।'

    वित्त मंत्री ने जब यह बात कही उस समय आरबीआइ के डिप्टी गवर्नर एसएस मुंद्रा भी मौजूद थे। कार्यक्रम के बाद मुंद्रा ने कहा कि रिजर्व बैंक ब्याज दरों में बदलाव करता है, लेकिन इसका निर्णय मांग पर नहीं किया जाता। यह परिवर्तन ठोस आधार पर किया जाता है। एक अन्य कार्यक्रम में मुंद्रा ने कहा कि रिजर्व बैंक अगली मौद्रिक एवं ऋण नीति की समीक्षा करते समय विभिन्न मानदंडों को ध्यान में रखकर ब्याज दरों के संबंध में फैसला करेगा।

    अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए ब्याज दरोंं में कटौती इसलिए जरूरी है, क्योंकि दो वित्त वर्ष में जीडीपी की वृद्धि दर लगातार पांच प्रतिशत से नीचे रही है। चालू वित्त वर्ष में भी विकास दर 5.4 से 5.9 प्रतिशत रहने का अनुमान है। ऐसे में उद्योग जगत भी काफी दिनों से ब्याजदरोंं में कटौती की मांग कर रहा है। इसके साथ ही थोक व खुदरा मुद्रास्फीति दरें भी घटकर अक्टूबर में क्रमश: 1.77 और 5.52 प्रतिशत पर आ गईं हैं। इससे आरबीआइ के पास ब्याज दरें घटाने की पूरी गुंजाइश है। वित्त मंत्री ने निवेशकों को जीएसटी और बीमा विधेयक सहित उन लंबित सुधारों का ब्योरा भी दिया, जिन पर हाल में सरकार ने ठोस कदम उठाया है। उन्होंने चालू वित्त वर्ष के विनिवेश लक्ष्य को हासिल करने की उम्मीद भी जताई। यह लक्ष्य 43 हजार 425 करोड़ रुपये का है।

    केंद्र जीएसटी के लिए क्षतिपूर्ति को तैयार

    नई दिल्ली। केंद्र सरकार वस्तु व सेवा कर (जीएसटी) को लागू करने से राज्यों को होने वाले नुकसान की भरपाई का प्रावधान संविधान संशोधन विधेयक में डालने के लिए तैयार हो गया है। केंद्र इस क्षतिपूर्ति का भुगतान राज्यों को किस्तों में करेगा। यह मुद्दा जीएसटी लागू करने की राह में प्रमुख अड़चन बना हुआ था। अब जीएसटी बिल के संसद के शीतकालीन सत्र में पेश होना लगभग तय माना जा रहा है। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया कि वित्त मंत्रालय ने जीएसटी को लेकर एक कैबिनेट नोट जारी कर विभिन्न मंत्रालयों से उनकी राय मांगी है। राज्यों को मुआवजे की पहली किस्त आगामी सत्र में अदा की जाएगी।

    पढ़ें : निर्यात नीति बनाने की तैयारी में यूपी सरकार

    अमेरिका से तेल खरीदेगा भारत