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    उद्योग जगत में नरेंद्र मोदी की जय-जय, मिले दस में से आठ नंबर

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    Updated: Mon, 01 Sep 2014 01:00 PM (IST)

    अपनी विशिष्ट कार्यशैली और अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए उठाए गए कदमों से तीन महीने के भीतर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उद्योग जगत का दिल जीत लिया है। इस छोटी सी अवधि में ही नरेंद्र मोदी उद्योग जगत के सबसे पसंदीदा प्रधानमंत्री बन गए हैं। उद्योग जगत के सीईओ, सीएमडी और सीएफओ ने प्रधानमंत्री के रूप में मोदी के काम को 10 में स

    नई दिल्ली। अपनी विशिष्ट कार्यशैली और अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए उठाए गए कदमों से तीन महीने के भीतर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उद्योग जगत का दिल जीत लिया है। इस छोटी सी अवधि में ही नरेंद्र मोदी उद्योग जगत के सबसे पसंदीदा प्रधानमंत्री बन गए हैं। उद्योग जगत के सीईओ, सीएमडी और सीएफओ ने प्रधानमंत्री के रूप में मोदी के काम को 10 में से आठ अंक दिए हैं।

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    मोदी सरकार के 100 दिन पूरे होने पर उद्योग चैंबर एसोचैम ने 357 आला अधिकारियों के बीच सर्वेक्षण कराया था। सर्वे के अनुसार उद्योग जगत के 78 फीसद अधिकारियों ने स्वीकार किया है कि मोदी सरकार भारतीय अर्थव्यवस्था के प्रति निवेशकों का नजरिया बदलने में सफल रही है। विदेशी और घरेलू निवेशकों का भरोसा बहाल हुआ है। यही कारण है कि शेयर बाजार में उनका निवेश लगातार बढ़ रहा है।

    83 फीसद सीईओ, सीएमडी और सीएफओ के अनुसार, पिछले तीन महीने में निर्यात, सेवा क्षेत्र, औद्योगिक उत्पादन, व्यापार घाटा व चालू खाते का घाटा सहित सकल घरेलू उत्पाद के मोर्चे पर प्रदर्शन बेहतर हुआ है। यह विकास दर को छह फीसद से ऊपर ले जाने के मोदी के वादे के अनुरूप है। एसोचैम के मुताबिक, मोदी सरकार की महत्वाकांक्षी प्रधानमंत्री जन धन योजना भी अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने में सहायक हो सकती है।

    वैसे, मनमोहन सरकार ने भी इस तरह की योजना शुरू की थी, लेकिन उसमें और नई सरकार के बीच बड़ा अंतर इसे पूरा करने के लिए किए गए प्रयासों के स्तर पर है। प्रधानमंत्री जन धन योजना पर जिस तरह पूरी सरकार ने एकजुट प्रयास किया, वैसे पहले नहीं देखा गया। फिलहाल 74 फीसद सीईओ तो केंद्र में स्थिर सरकार बनने से ही संतुष्ट दिखे। उनका मानना है कि मोदी सरकार ऐसे बड़े फैसले ले सकती है, जिससे आर्थिक विकास को गति मिलेगी।

    उनके अनुसार अगले छह से नौ महीनों में देश की अर्थव्यवस्था में व्यापक सुधार होंगे। हालांकि, उद्योग जगत अब भी ऊंची कॉरपोरेट ब्याज दर, बैंकों की बढ़ती गैर निष्पादित परिसंपत्तियां को लेकर सशंकित है। लेकिन उम्मीद है कि सरकार इन समस्याओं का समाधान निकाल लेगी।

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