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    वोकेशनल का साथ

    By Rajesh NiranjanEdited By:
    Updated: Wed, 09 Sep 2015 06:54 AM (IST)

    अपने तकनीकी कौशल को निखार कर खुद को जॉब के लिए परफेक्ट बनाना चाहते हैं, तो अब आपके सामने कई विकल्प हैं। आइटीआइ और पॉलिटेक्निक के अलावा अब विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में शुरू हो रहे बी.वोक. कोर्स के जरिए आप खुद को इंडस्ट्री की मांग के मुताबिक तैयार कर आसानी

    अपने तकनीकी कौशल को निखार कर खुद को जॉब के लिए परफेक्ट बनाना चाहते हैं, तो अब आपके सामने कई विकल्प हैं। आइटीआइ और पॉलिटेक्निक के अलावा अब विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में शुरू हो रहे बी.वोक. कोर्स के जरिए आप खुद को इंडस्ट्री की मांग के मुताबिक तैयार कर आसानी से जॉब पा सकते हैं। कैसे बढ़ें इस राह पर, बता रहे हैं अरुण श्रीवास्तव...

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    श्यामक कुमार इन दिनों बेहद खुश हैं। हों भी क्यों न। उनकी मुंहमांगी मुराद जो पूरी हो रही है। दरअसल, पिछले दिनों किसी कारण पॉलिटेक्निक में अपने पसंदीदा ब्रांच में एडमिशन न मिल पाने के कारण वह थोड़े उदास थे। उन्हेंं लग रहा था कि उनका यह साल कहीं बेकार न चला जाए। इस आशंका में उन्होंने सिंपल बीए में एडमिशन ले लिया था, पर दिल्ली की गुरु गोविंद सिंह आइपी यूनिवर्सिटी (www.ipu.ac.in) द्वारा विभिन्न ब्रांचों में आरंभ बी. वोकेशनल कोर्स ने उन्हें खुश होने का मौका दे दिया। श्यामक बैचलर ऑफ वोकेशनल यानी बी. वोक. (सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट) में एडमिशन लेना चाहते हैं। हालांकि इस यूनिवर्सिटी द्वारा ऑटोमोबाइल, रेफ्रिजरेशन ऐंड एयरकंडीशनिंग, प्रिंटिंग ऐंड पब्लिकेशन, मोबाइल कम्युनिकेशन, इलेक्ट्रिक डिस्ट्रीब्यूशन मैनेजमेंट, कंस्ट्रक्शन टेक्निक, कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स, एप्लॉयड आट्र्स, इंटीरियर डिजाइनिंग आदि में भी बी.वोक कोर्स आरंभ किया गया है। साइंस स्ट्रीम से 50 प्रतिशत अंकों से बारहवीं पास लोग इन कोर्सों के लिए आवेदन कर सकते हैं। खास बात यह है कि इन कोर्सों के लिए 16 से 45 वर्ष तक की आयु के लोग अप्लाई कर सकते हैं, यानी जिन लोगों को अपनी पढ़ाई किसी कारण बीच में रोक देनी पड़ी थी और बाद में पढ़ना चाहते हुए भी जिन्हें कोई प्लेटफॉर्म नहीं मिल रहा था, उनके लिए बी.वोक. के रूप में बेहतरीन अवसर सामने आया है।

    खासियत है लचीलापन

    महत्वपूर्ण बात यह है कि तीन साल के इस कोर्स के दौरान आप अपनी सुविधा से एक या दो साल का कोर्स पूरा करने के बाद इसे बीच में भी छोड़ सकते हैं। ऐसा नहीं है कि बीच में कोर्स छोड़ने से आपको कोई नुकसान होगा। एक साल का कोर्स पूरा करने के बाद डिप्लोमा और दो साल का कोर्स पूरा करने के बाद एडवांस डिप्लोमा प्रदान किया जाता है। इसके आधार पर भी आपको इंडस्ट्री में जॉब मिल सकती है। हां, अगर आपने तीन साल का कोर्स सफलता के साथ पूरा कर लिया, तो बैचलर ऑफ वोकेशनल की डिग्री प्रदान की जाएगी।

    खुल रहे नए रास्ते

    इस तरह के कदम सिर्फ आइपी यूनिवर्सिटी ही नहीं, बल्कि देश के कई और कॉलेजों और विश्वविद्यालयों द्वारा भी उठाए जा रहे हैं। स्किल इंडिया की राह पर आगे बढ़ने के लिए अब विभिन्न तकनीकी विषयों में बी.वोक कोर्स आरंभ किए जा रहे हैं। नि:संदेह इसका सबसे ज्यादा फायदा गांवों-कस्बों और छोटे शहरों के उन युवाओं को मिलेगा, जिन्हें अभी तक मजबूरी में एकमात्र उपलब्ध बीए या बीएससी कोर्स ही करना पड़ता था।

    और हो कारगर

    इस तरह के कोर्सों के जरिए इंडस्ट्री की स्किल्ड वर्क-फोर्स की डिमांड पूरी की जा सकती है, बशर्ते कि इन कोर्सों के करिकुलम और यहां पढ़ाने वाली फैकल्टी को फ्रेश और अपडेट रहना होगा। पाठ्यक्रम इंडस्ट्री और मार्केट की आज की जरूरतों के मुताबिक हो और उसके तहत ज्यादा से ज्यादा प्रैक्टिकल ट्रेनिंग पर जोर हो, ताकि स्टूडेंट्स को उनके ट्रेड में परफेक्ट बनाने में मदद मिले। फैकल्टी और स्टूडेंट्स को नियमित रूप से इंडस्ट्री की विजिट कराई जाए और इंडस्ट्री के एक्सपट्र्स को भी विजिटिंग फैकल्टी के रूप में पैनल में रखा जाए, ताकि वे स्टूडेंट्स को इंडस्ट्री की बुनियादी बारीकियों के साथ-साथ बदलते वक्त की जरूरतों के बारे में भी अवगत करा सकें।

    मिले बढ़ावा

    बी.वोक कोर्स की उपयोगिता को देखते हुए इसे ज्यादा से ज्यादा संस्थानों में लागू किए जाने की जरूरत है। हमारे देश में फिलहाल बेरोजगारी की विस्फोटक स्थिति है। इसके कारण अन्य दूसरी समस्याएं भी पैदा होती हैं। अगर हमारे युवाओं को दसवीं-बारहवीं के बाद ही कम फीस में अपनी पसंद का तकनीकी कोर्स करने की सुविधा उपलब्ध हो, तो इसे पूरा करने के बाद उनके लिए उपयुक्त रोजगार पाना आसान हो सकेगा।

    एंटरप्रेन्योरशिप का मौका

    आत्मविश्वास से भरे युवा कोर्स करने के बाद अपना खुद का काम आरंभ करके एंटरप्रेन्योरशिप की राह पर भी आगे बढ़ सकते हैं। आज इन सभी ट्रेड्स में शहरों से लेकर कस्बों-गांवों तक में डिमांड बढ़ रही है। मोबाइल कम्युनिकेशन, ऑटोमोबाइल, इलेक्ट्रिक डिस्ट्रीब्यूशन मैनेजमेंट जैसे ब्रांच में तो अब गांव-गांव कुशल लोगों की जरूरत महसूस की जा रही है। ऐसे ट्रेड्स में ट्रेंड युवा अपने घर के पास ही काम शुरू करके अच्छी कमाई कर सकते हैं। अनुभव के साथ उनकी कमाई में इजाफा भी होगा। वे चाहें, तो अपने सामाजिक सरोकारों को महसूस करते हुए इलाके के बच्चों को ट्रेनिंग देकर उन्हें भी निपुण बनाने का अभियान चला सकते हैं।

    मिले उपयोगी प्रशिक्षण

    इंडस्ट्री, बाजार, रोजमर्रा की जरूरतों को देखते हुए अन्य उपयोगी शॉर्टटर्म कोर्स भी आरंभ किए जा सकते हैं। इनमें प्लंबर, इलेक्ट्रिशियन, ड्राइवर, कारपेंटर, टीवी-फ्रिज-एसी इंजीनियर, लॉन्ड्री , हाउसकीपिंग, बारबर, साइकिल-रिक्शा मैकेनिक, स्कूटर-बाइक मैकेनिक, कार मैकेनिक, ट्रक-बस मैकेनिक, राजमिस्त्री आदि से संबंधित तमाम कोर्स हो सकते हैं। अगर इन सभी में ट्रेंड लोग मिलें, तो सर्विस और ज्यादा प्रामाणिक हो सकेगी। फिलहाल जो अनट्रेंड लोग अभी इन पेशों से जुड़े हैं, उम्र और पढ़ाई में छूट देते हुए अगर उन्हें भी ये कोर्स करने का मौका मिले, तो उन्हें अपना हुनर निखारने और कमाई बढ़ाकर अपना जीवन स्तर उठाने का अवसर मिल सकेगा।

    मौके का उठाएं लाभ

    युवाओं को चाहिए कि खुद को परिस्थितियों के हवाले करने की बजाय अपनी पसंद के अनुसार उपयुक्त कोर्स तलाशें और उसमें खुद को हुनरमंद बनाकर आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ें। इसके लिए उपयुक्त संस्थानों की तलाश करें। अगर आपने खुद को स्किल्ड बना लिया, तो फिर पीछे देखने की नौबत नहीं आएगी। हां, यह जरूर है कि कोर्स करने और काम शुरू करने के बाद भी खुद को नियमित रूप से इंडस्ट्री की मांग के अनुसार अपडेट करते रहें।

    * अगर जल्द जॉब पाना चाहते हैं, तो किसी लोकप्रिय ट्रेड में तकनीकी दक्षता हासिल करें।

    * आइटीआइ, पॉलिटेक्निक के अलावा अब बी.वोक. के रूप में भी अपनी पसंद का कोर्स करने के अवसर उपलब्ध हैं।

    * मेहनत और मन से कोर्स करने के बाद आप नौकरी भी कर सकते हैं और चाहें, तो खुद का काम भी शुरू कर सकते हैं।

    * काम करते हुए खुद को बदलते वक्त के अनुसार अपडेट भी करते रहें। इससे आप डिमांड में बने रहेंगे।

    टीचिंग का पैशन