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    संस्‍कारशाला- पैशन न बने टेंशन

    पहले कम्युनिकेशन का जरिया चिट्ठी या मौखिक होता था और अब यह विकसित हो, नए रूप में आया है जो डिजिटल एवं ऑनलाइन है। उपयोग तो काफी सहज है पर सावधानी उतनीी ही महत्‍वपूर्ण...

    By Monika minalEdited By: Updated: Fri, 16 Sep 2016 09:18 AM (IST)

    अभिषेक ने फेसबुक पर नया एकाउंट बनाया और उसके सामने एक नई रंगबिरंगी दुनिया खुल गयी। हालांकि उसके पापा ने उसके फेसबुक पर आने का विरोध किया था। वह नहीं चाहते थे कि अभिषेक इतनी जल्दी फेसबुक पर आए। पर बारहवीं कक्षा में पढ़ने वाले अभिषेक को लगता था कि उसके अधिकतर दोस्त फेसबुक का इस्तेमाल कर रहे हैं, तो वह क्यों नही कर सकता? वह अपने पापा से बहस करने लगा था, ‘पापा, मेरे सभी दोस्त फेसबुक पर हैं और वे खूब एंजॉय कर रहे हैं, मुझे भी एकाउंट बनाने दीजिए।’

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    अभिषेक के पापा जानते थे कि इंजीनियरिंग का सपना देखने वाले अभिषेक की उम्र अभी भटकने की है और इंटरनेट ने बच्चों की मदद करने के साथ-साथ उन्हें भटकाने का भी काम किया है। मगर वह जानते हैं कि वह लंबे समय तक अभिषेक को फेसबुक के इस्तेमाल से रोक नहीं पाएंगे। ऐसे में उन्होंने अभिषेक को फेसबुक के बारे में कुछ सावधानियां बताकर एकाउंट खोलने की अनुमति दे दी। अभिषेक बहुत खुश था। उसके सामने जो दुनिया खुली थी, वह बहुत लुभावनी थी। अब वह किसी को भी पढ़ सकता था, किसी की भी पोस्ट देख सकता था। फेसबुक के जरिए जल्द ही वह अपने सभी दोस्तों और रिश्तेदारों के साथ जुड़ गया। वह जोक्स, शेरो-शायरी आदि भी शेयर करने लगा। उसे बहुत अच्छा लग रहा था। उसे लग रहा था, जैसे वह एक सपनों की दुनिया में पहुंच गया है। वह अपनी पढ़ाई से ज्यादा समय फेसबुक पर देने लगा था। उसे इस तरह से लाइक्स और कमेंट्स का नशा हो गया था कि उसके दोस्तों के बीच उसकी फोटो की ही बातें होने लगी थीं। वह ऐसे दोस्तों की संगत में आ गया था, जो केवल उसे उकसाते थे। वे उसकी हर फोटो पर न जाने कैसे-कैसे कमेंट करते। वह खुश हो जाता।

    मगर इसके साथ-साथ उसे ऐसे लिंक्स पर जाने की भी लत लग गई थी, जो शायद उसकी उम्र के बच्चों के लिए नहीं थे। मगर उसे तो हमेशा यही लगता कि वह चूंकि 18 वर्ष का हो गया है, तो वह सब कुछ कर सकता है। वह कोई भी पोस्ट लाइक कर सकता है, शेयर कर सकता है और लिख सकता है। और यह सब करने में उसका कितना बहुमूल्य समय नष्ट हो रहा था, उसे यह नहीं दिख पा रहा था। वह ऊलजलूल लिंक्स शेयर करता था और जिसके कारण उसके पापा को भी एक बार पुलिस थाने जाना पड़ गया था। उसके बाद उसने पापा से वादा किया कि वह ऐसे किसी भी भड़काऊ पोस्ट पर कुछ नहीं कहेगा, जिसकी वजह से उनकी नौकरी या समाज में उनकी छवि पर आंच आए। मगर वह इस बात से परेशान था कि आखिर कैसे दूसरे लोगों को इतनी लाइक्स मिल जाती हैं।

    संस्कारशाला : लिंक्स से आफत

    ऐसा ही उसका एक दोस्त था विजय, जो फेसबुक पर था तो मगर वह बहुत ही कम एक्टिव था। केवल अपने काम के लिए फेसबुक पर आता था। वह या तो इंजीनियरिंग से संबंधित कोई लिंक शेयर करता या फिर किसी इंपॉर्टेंट अनाउंसमेंट का कोई लिंक। कोई ऐसी बात, जो इंजीनियरिंग की तैयारी करने वाले बच्चों के लिए उपयोगी हो सकती थी। उसकी प्रोफाइल में वही पुरानी फोटो लगी हुई थी। अभिषेक उसका मजाक उड़ाता, मगर जल्द ही वह देखने लगा कि विजय की पोस्ट पर उससे ज्यादा लाइक आने लगे थे। उसे लगता कि इतने घोंचू से लगने वाले लड़के की पोस्ट को कैसे इतने सारे लोग लाइक करने लगे हैं। एक बार विजय ने किसी गलत बात का विरोध करते हुए एक पोस्ट लिखा था, तो उसे शेयर करने वालों की संख्या सैकड़ों में थी। ये सब बातें अभिषेक को बहुत हैरान करती थीं। उसके मन में जलन बढ़ती जा रही थी। उसे लगता था कि विजय के मार्क्स उससे हमेशा कम आए थे, फिर वह सोशल साइट पर उससे ज्यादा पॉपुलर कैसे हो सकता था? विजय से सोशल साइट पर अपनी हार उसे हजम नहीं हो रही थी। उसकी पढ़ाई पहले तो फेसबुक पर फोटो अपलोड करने और अब विजय के कारण बर्बाद होने लगी थी। वह परेशान रहने लगा था। इंटरनेट के लिंक के कारण वह तो जेल पहुंचने वाला था, जबकि विजय की तो पोस्ट खूब शेयर होती है, उसे क्यों कुछ नहीं होता? ये बातें उसकी समझ में नहीं आ रही थीं! उसकी यह हालत उसके पापा को परेशान करने लगी थी।

    आखिर उसके पापा ने एक दिन पूछ ही लिया, ‘क्या बात है बेटा?’ उसने पापा को अपनी परेशानी की वजह बता दी। ‘पापा, मैं तो फेसबुक और इंटरनेट के कारण जेल तक पहुंच गया था, जबकि ये विजय? ये तो हीरो बन गया है।’ पापा खूब हंसे- ‘बस.. इतनी सी बात?’ पापा ने समझाया, ‘देखो, तुम क्या पढ़ना पसंद करते हो फेसबुक पर, वही न जो तुम्हें पसंद होता है या जो तुम्हारे काम आ सकता है। तुम क्या लिखते हो, इससे तुम्हारे लक्ष्य का पता चलता है। यह दुनिया केवल उसी का अनुसरण करती है, जिनका अपना कोई लक्ष्य होता है, कोई सार्थकता होती है। अगर तुम चाहते हो कि लोग के लिए उपयोगी लिखना होगा। समझ गए!’ पापा ने अभिषेक के सिर पर प्यार से चपत लगाते हुए कहा। ‘जी पापा’, अभिषेक ने कहा।

    पापा के दिशानिर्देश के बाद अभिषेक ने फेसबुक इस्तेमाल करने का तरीका बदल दिया। उसने इंजीनियरिंग एंट्रेंस के बारे में टिप्स देने शुरू कर दिए। यहां तक कि उसे जो परेशानी होती थी, उसे भी उसने शेयर करना शुरू कर दिया। दो ही महीने में उसकी पोस्ट पर लाइक्स बढ़ने लगे, लेकिन वह उनकी ओर से बेफिक्र हो चला था। उसे अपने काम की सार्थकता समझ में आ गई थी। उसे समझ में आ गया था कि संवाद का यह माध्यम जितना लुभाता है, उतनी ही जिम्मेदारी भी लेकर आता है। लक्ष्य बड़ा हो तो छोटी चीजों की परवाह नहीं करनी चाहिए।

    - गीताश्री

    अभ्यास प्रश्न

    नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिख कर संस्कारशाला की परीक्षा का अभ्यास करें...

    1. सोशल साइट पर बच्चे अपना खाता क्यों खुलवाना चाहते हैं?

    2. सोशल साइट का इस्तेमाल करते समय क्या-क्या सावधानियां बरतनी चाहिए?

    3. हम किसका अनुसरण करते हैं?