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    आखिर क्यों यहां शादी के समय लिये जाते हैं ऐसे फेरे?

    By Babita KashyapEdited By:
    Updated: Sat, 26 Nov 2016 09:58 AM (IST)

    राजस्थान के बीकानेर में ऐसी ही प्रथा प्रचलित है। यहां के श्रीमाली समाज में आज भी कृष्ण-रुक्मणि विवाह से जुड़ी द्वापर युग की ये परंपरा निभायी जाती है।

    विवाह मंडप में दूल्हा-दुल्हन को फेरे लेते हुए तो आपने बहुत देखा होगा लेकिन क्या कभी किसी दूल्हे को अपनी दुल्हन को गोद में उठाकर फेरे लेते हुए देखा है।

    जी हां, राजस्थान के बीकानेर में ऐसी ही प्रथा प्रचलित है। यहां के श्रीमाली समाज में आज भी कृष्ण-रुक्मणि विवाह से जुड़ी द्वापर युग की ये परंपरा निभायी जाती है। न्यूज 18 के अनुसार विवाह के दिन चबरक के कार्यक्रम में कन्या पक्ष की सुहागिनें दूल्हे को घी-शक्कर युक्त चावल लाकर ग्रास की मनुहार करती है। इसके बाद दूल्हा और दुल्हन एक-दूसरे को इस ग्रास की मनुहार करने के पश्चात दूल्हा अपनी दुल्हनियां को गोद में उठाकर फेरे लेता हैं।

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    श्रीमाली समाज में रची-बसी इस परंपरा को देखने बड़ी संख्या में अन्य समाज के लोग भी पहुंचते हैं। कहा जाता है कि कुंवारे लड़के व लड़कियों की ओर से इन चावल को खाने से शादी शीघ्र होती है।

    ऐसी मान्यता है कि कृष्ण-रुक्मणि विवाह के समय शिशुपाल भी रुक्मणि से विवाह करने पहुंचे थे। उस समय कृष्ण-रुक्मणि विवाह का चौथा फेरा चल रहा था। विवाह के मध्य में श्रीकृष्ण को शिशुपाल से युद्ध करना पड़ा और रात निकल गई। युद्ध में विजय के पश्चात श्रीकृष्ण ने रुक्मणि को गोद में लेकर चार फेरे सुबह लिए। इस प्रकार कृष्ण-रुक्मणि के विवाह पर कुल आठ फेरे हुए।

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