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याकूब की फांसी के पहले जेल प्रबंधन ने कच्चे कैदियों का वार्ड कराया खाली

नागपुर की मध्यवर्ती कारागार में राज्य की दूसरी जेलों से पुलिस बल को बुला लिया गया है। इनमें से कुछ जवान नागपुर की मध्यवर्ती कारागार में पहुंच चुके हैं। मुंबई बम धमाके के दोषी याकूब मेमन को यहां की फांसी यार्ड में बंद रखा गया है।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Wed, 29 Jul 2015 04:27 AM (IST)Updated: Wed, 29 Jul 2015 11:03 AM (IST)
याकूब की फांसी के पहले जेल प्रबंधन ने कच्चे कैदियों का वार्ड कराया खाली

नागपुर। नागपुर की मध्यवर्ती कारागार में राज्य की दूसरी जेलों से पुलिस बल को बुला लिया गया है। इनमें से कुछ जवान नागपुर की मध्यवर्ती कारागार में पहुंच चुके हैं। मुंबई बम धमाके के दोषी याकूब मेमन को यहां की फांसी यार्ड में बंद रखा गया है। इस यार्ड के सामने कच्चे कैदियों का यार्ड बना है। इसमें रखे गए कच्चे कैदियों को उस यार्ड से हटाकर दूसरे यार्ड में शिफ्ट कर दिया गया है। सूत्र बताते हैं कि कच्चे कैदियों के यार्ड से फांसी यार्ड से किसी भी कैदी को फांसी के लिए ले जाते समय कोई कच्चा कैदी न देख सके, इसलिए उस यार्ड को खाली करा दिया गया है। इसके अलावा फांसी यार्ड को पूरी तरह से सुरक्षित बनाने का कार्य शुरू कर दिया गया है। फांसी यार्ड परिसर को लोहे का सुरक्षा कवच पहनाने के लिए पिछले दिनों महाराष्ट्र सरकार ने करीब 23 लाख रुपए की राशि मंजूर कर दिया है।

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अदालत नहीं पहुंच पाते आरोपी

सूत्रों की मानें तो आरोपी सेल में कर्मचारियों की कमी के कारण जेल की सलाखों के पीछे बंद कई आरोपी व कैदी तारीख पर अदालत में नहीं पहुंच पाते हैं। वे अपनी अगली तारीख का इंतजार करते हैं। अगली तारीख पर फिर वही बात उनके साथ होने के कारण उन्हें बस तारीख पर तारीख मिलती रहती है। उसके बावजूद आरोपी सेल के अधिकारियों-कर्मचारियों का प्रयास यही रहता है कि आरोपी कम से कम अपनी तारीख पर अदालत में समय पर पहुंच सकें।

फांसी यार्ड के पास ही कच्चे कैदियों को रखने का यार्ड बनाया गया है। इस यार्ड में सैकड़ों कच्चे कैदी रखे गए थे। इस यार्ड का दरवाजा फांसी यार्ड की ओर ही खुलता है। जेल अधीक्षक योगेश देसाई के ध्यान में जब यह बात आई तब उन्होंने इस मसले पर गंभीरता से विचार करते हुए वहां बंद सैकड़ों कच्चे कैदियों को जेल में दूसरी जगह शिफ्ट कर दिया है। कच्चे कैदियों के बीच इस बात को लेकर तरह-तरह की चर्चाएं हो रही हैं। बता दें कि जिस तरह से देश में याकूब के लिए नेता और अभिनेता यहां तक कि जेल में बंद नक्सली उसके समर्थन में आवाज उठाने लगे हैं, ऐसे में जेल की अंदरुनी और बाहरी सुरक्षा बेहद अहम हो गई है। नागपुर की मध्यवर्ती कारागार के जेल अधीक्षक योगेश देसाई अंदर की सुरक्षा व्यवस्था के लिए चंद्रपुर, औरंगाबाद, अकोला, अमरावती और भंडारा समेत अन्य राज्य की दूसरी जेलों से अधिकारियों-कर्मचारियों को बुला लिया है, लेकिन बाहरी सुरक्षा कवच को अभी भी कच्चा माना जा रहा है।

स्टॉफ की कमी

सूत्र बताते हैं कि नागपुर मध्यवर्ती कारागार में स्टॉफ की कमी भी है। जेल के अंदर और बाहर कार्यरत कर्मचारियों की कमी से जूझ रहा है। पिछले कुछ वर्ष से यहां पर कई महत्वपूर्ण पद रिक्त पड़े हैं। जेल के बाहर बने आरोपी सेल कक्ष में कर्मचारियों की कमी है। यहां पर सैकड़ों कर्मचारियों के पद खाली पड़े हैं।

बड़े नेता के आने पर झोंक दी जाती है ताकत

सुरक्षा विशेषज्ञों की मानें तो नागपुर शहर या जिले में जब भी कोई बड़े नेता का आगमन होता है, तब उसके बंदोबस्त के लिए स्थानीय व ग्रामीण पुलिस बल की पूरी ताकत झोंक दी जाती है। पुलिस जवानों के बसों के अंदर ठूंस-ठूंस कर भर दिया जाता है और उन्हें उस बड़े नेता के बंदोबस्त में रवाना कर दिया जाता है। लेकिन नागपुर की जेल में बंद याकूब मेमन की सुरक्षा के इंतजाम के लिए जेल अधीक्षक योगेश देसाई अकेले जूझते नजर आ रहे हैं। इस अधिकारी के कंधे पर जेल डीआईजी स्वाति साठे भी पदभार देकर पुणे चली गईं हैं।


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