संजय निरुपम ने बनाई मुंबई संत-महंत कांग्रेस
संजय निरुपम ने कहा कि हिंदू धर्म रक्षा के लिए हिंदुत्व के नाम पर होनेवाले दुष्प्रचार रोकने के लिए उन्होंने इसके गठन का फैसला किया।
मुंबई, ओमप्रकाश तिवारी। धार्मिक मुद्दों से भाजपा के जुड़ाव के कारण उसकी आलोचना करनेवाली कांग्रेस अब खुद उसी रास्ते पर चल पड़ी है। रविवार को मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष संजय निरुपम ने बाकायदा मुंबई संत-महंत कांग्रेस की स्थापना कर इसकी शुरुआत कर दी है।
मुंबई संत-महंत कांग्रेस के पहले सम्मेलन में संजय निरुपम ने कहा कि हिंदू धर्म रक्षा के लिए हिंदुत्व के नाम पर होनेवाले दुष्प्रचार रोकने के लिए उन्होंने इसके गठन का फैसला किया। वाकोला में हुई इस संगठन की पहली सभा में करीब 75 भगवाधारियों ने हिस्सा लिया। संत-महंत के रूप में जाना जानेवाला कोई बड़ा नाम इनमें शामिल नहीं था।
इस संगठन के अध्यक्ष बनाए गए ध्यानयोगी ओमदास जी महाराज का कहना है कि हिंदू संप्रदाय, इसके सभी साधु-संतों, मठों-मंदिरों की विभिन्न समस्याओं के हल के लिए एक संगठन बनाने का प्रस्ताव कांग्रेस के सामने रखा गया था। इसी के तहत इस संगठन की स्थापना हुई है। ओमदास महाराज के अनुसार अयोध्या में राम जन्मस्थान का ताला राजीव गांधी ने खुलवाया था। अयोध्या में राम मंदिर बनना चाहिए।
पार्टी के भीतर निंदा
निरुपम की इस पहल की उनकी पार्टी के भीतर ही आलोचना भी हो रही है। मुंबई कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष एवं महाराष्ट्र के पूर्व गृह राज्यमंत्री कृपाशंकर सिंह कहते हैं कि कांग्रेस सर्वधर्म समभाव वाली पार्टी है। पार्टी में इस तरह का प्रकोष्ठ बनाना पागलपन है। पार्टी में कुछ लोग कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी मोहन प्रकाश पर भी इसके गठन का ठीकरा फोड़ते नजर आए। उनका कहना है कि मोहन प्रकाश की शह पर ही संजय निरुपम इस तरह की मनमानी कर रहे हैं।
दूसरी ओर मोहन प्रकाश का कहना है कि निरुपम ने उनसे साधु-संतों की एक बैठक बुलाने की बात कही थी। लेकिन पार्टी में इस प्रकार का प्रकोष्ठ बनाए जाने पर फिलहाल कोई फैसला नहीं हुआ है। उल्लेखनीय है कि महाराष्ट्र में कांग्रेस इन दिनों से अंतर्कलह से जूझ रही है। नेता एक दूसरे को नीचा दिखाने में लगे हुए हैं।
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