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कभी सोचा है माता-पिता के सबसे करीब होने के बाद भी बच्चे क्यों छुपाते हैं उनसे बात

क्यों माता-पिता अपने बच्चों के अच्छे दोस्त बन नहीं पाते? क्या आपने कभी इन सारी बातों को सोचा है? अगर नहीं तो अब सोचिए क्योंकि यह एक ज्वलंत मुद्दा है जिस पर बात करना बेहद जरूरी है

By Rahul SharmaEdited By: Published: Mon, 13 Jun 2016 01:32 PM (IST)Updated: Mon, 13 Jun 2016 01:55 PM (IST)

अपने और अपने बढ़ती उम्र के बच्चों के बीच में कभी भी इतनी दूरियां ना आने दें वो आपसे बातें छुपाने लगें। बच्चा शुरूआत में अपने माता-पिता के सबसे ज्यादा करीब होता है। लेकिन ऐसा क्या हो जाता है कि जैसे-जैसे बच्चे की उम्र बढ़ने लगती है वो उनसे दूरियां बनाने लगता है। क्यों बच्चे अपने माता-पिता से हर बात नहीं कह पाते? क्यों माता-पिता अपने बच्चों के अच्छे दोस्त बन नहीं पाते? क्या आपने कभी इन सारी बातों को सोचा है? अगर नहीं तो अब सोचिए क्योंकि यह एक ज्वलंत मुद्दा है जिस पर बात करना बेहद जरूरी है और इस समस्या का निवारण करना भी बेहद जरूरी है। तो आइए जानते है कि ऐसा क्या करें कि आपके बच्चे आपसे हर बात शेयर करें।

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सबसे पहले तो बच्चों पर हद से ज्यादा पाबंदी और अनुशासन लगाना बंद करें। अक्सर माता पिता अपने बच्चों को अनुशासन में रखने के लिए उन पर हद से ज्यादा पाबंदी लगा देते हैं। जैसे समय पर उठो, बाहर घूमने मत जाओं, रात में घर से बाहर नहीं निकलना है, घर से कहीं बाहर जाना है तो घर के किसी सदस्य के साथ जाओ, लड़की से दोस्ती नहीं करनी चाहिए, लड़की से ज्यादा बात नहीं करनी चाहिए, वगैरह वगैरह....। जरूरी है कि माता-पिता अपनी सोच बदलें। बच्चों को अनुशासन में रखने के बजाय माता-पिता को खुद अनुशासित बनना चाहिए। क्योंकि माता-पिता अपने बच्चों के आदर्श होते हैं और उनको आदर्श मानकर बच्चे उनका अनुसरण करने लगते हैं, इसलिए माता-पिता को बच्चो के सामने एक ऐसी छवि रखनी चाहिए जिसका वे अनुसरण कर सके, न की उनसे दूरियां बनाएं।

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माता पिता को बच्चों के सबसे अच्छे दोस्त बनने की कोशिश करनी चाहिएं। जब बच्चे छोटे होते हैं तो उन्हें कब और कौन सी वस्तु की जरूरत है, ये उनके माता पिता से बेहतर कोई नहीं समझ पाता है। जो जब बच्चे बड़े हो जाते हैं तो क्यों माता पिता अपने बच्चों को समझ नहीं पाते हैं और क्यों आपके बच्चे आपसे हर एक बात छुपाने लगते हैं? चूंकि बच्चे जैसे जैसे बड़े होने लगते हैं तो वे ये चाहते है कि उन्हें आपका प्यार मिले और उनके माता पिता का व्यवहार बच्चों के प्रति एक मित्र की तरह हो, जिनसे वो अपनी हर बात शेयर कर सकें, परंतु आज कि भागमभाग भरी जिंदगी में अगर आपके बच्चे आपसे स्कूल की छोटी छोटी बातों को अपनी भावनाओँ को शेयर करते हैं तो माता पिता के पास इतना समय नहीं होता कि वो उनकी छोटी छोटी बातों को सुनकर उनकी भावनाओं को बांटे। ऐसे में बच्चे का दिल टूट जाता है वो समझ नहीं पाता कि वो किससे अपनी बातों को शयर करें। जब उन्हें कुछ समझ में नहीं आता तो ऐसे में वो किसी और सहारा ढूँढ़ने लगते है जिसे वो अपनी मित्र मानकर अपनी हर एक बात कह सके जो उन्हें, उनकी बातों को और उनकी भावनाओं को समझ सकें। बस माता पिता और बच्चों के बीच दूरियों का बीज यहीं से पनपता है।

आपकी जिंदगी मे ये दिन न आए इसलिए आज से ही अपने आपको बदले और अपने बच्चों को समय दें , उनके दोस्त बनें उनसे कुछ अपनी कहे और कुछ उनकी सुनें। एक अच्छे दोस्त बनकर जीवन में उन्हें एक अच्छी गाइडलाइऩ दें ताकि वे जीवन में कभी किसी को अपनी दोस्ते बनाएँ तो उससे मिलने के लिए झूठ का सहारा न लेना पडे बल्कि वो उसे घर बुलाएं आप सबसे से मिलवाएं। अगर इस तरह की एक छोटी सी कोशिश भी की जाए तो भविष्य में होने वाले ऐसे कई हादसों को टालकर आप अपने बच्चों की जिंदगी को बेहतर ढ़ंग से संवार सकते हैं।

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