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    दिल्ली के स्मारक

    By Edited By:
    Updated: Mon, 23 Sep 2013 11:14 AM (IST)

    करीब 16 वर्ष तक चले सौंदर्यीकरण के बाद दिल्ली स्थित हुमायूं का मकबरा एक बार फिर लोगों के लिए खोला जा रहा है। इस खूबसूरत स्मारक के साथ आइए जानें दिल्ली की खास पहचान बन गए कुछ अन्य स्मारकों के बारे में

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    करीब 16 वर्ष तक चले सौंदर्यीकरण (1997 से) के बाद दिल्ली स्थित हुमायूं का मकबरा एक बार फिर लोगों के लिए खोला जा रहा है। इस खूबसूरत स्मारक के साथ आइए जानें दिल्ली की खास पहचान बन गए कुछ अन्य स्मारकों के बारे में..

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    हुमायूं का मकबरा

    -यह मुगल वास्तुकला का उत्कृष्ट नमूना है दिल्ली में । यह भारत का पहला उद्यान-मकबरा (चारबाग शैली) था, जिसे यूनेस्को ने विश्व की विरासत सूची में शामिल किया है। बाद में इस चारबाग शैली को ताजमहल के निर्माण में भी अपनाया गया।

    -लाल बलुआ पत्थर पर संगमरमर की कारीगरी से यह इमारत तैयार की गई थी।

    -इस ऐतिहासिक स्मारक को हुमायूं की रानी हमीदा बानो बेगम (हाजी बेगम) ने 16वीं सदी में तैयार कराया था।

    -इसका प्रवेश द्वार दो मंजिला है। यहां की ऊंची छल्लेदार दीवारें एक चौकोर बाग को चार बड़े वर्गाकार हिस्सों में बांटती हैं, जिनके बीच पानी की नहरें हैं। प्रत्येक वर्गाकार को छोटे-छोटे रास्तों द्वारा छोटे वर्गाकारों में बांटा गया है, जिससे चार बाग बनता है।

    -अंतिम मुगल शासक बहादुर शाह जफर ने 1857 में हुए प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के दौरान इसी मकबरे में आश्रय लिया था।

    -हुमायूं सहित मुगल राजवंश के कई शासकों को यहीं दफनाया गया। हुमायूं की पत्नी की कब्र भी यहीं है।

    -पिछले कुछ सालों से इसकी मौलिक रंगत को बरकरार रखने के लिए यहां सौंदर्यीकरण का काम आगा खां ट्रस्ट द्वारा किया जा रहा था। इसके लिए मकबरे के गुंबद में लगाने के लिए झाड़फानूस को मिस्र से खासतौर पर मंगाया गया। नीले और पीले रंग की टाइल्स को भी लगाया गया, जो मुगलकालीन सभ्यता का प्रतीक है। हुमायूं के मकबरे के अलावा दिल्ली में कुछ दूसरे प्रमुख स्मारक भी हैं।

    कुतुबमीनार

    -लाल पत्थरों से बनी यह मीनार भारत की सबसे ऊंची मीनार है। यूनेस्को ने इसे विश्व विरासत की सूची में शामिल किया है।

    -13वीं सदी में इसे मुगल शासक कुतुबुद्दीन एबक ने बनवाया था। इसकी ऊंचाई 237.86 फीट है। कुल पांच तलों वाली इस मीनार में ऊपरी तल तक पहुंचने के लिए 379 सीढि़यां बनी हुई हैं। इसके प्रांगण में 7 मीटर ऊंचा लौह स्तंभ भी लगा हुआ है।

    लाल किला

    -यह भी एक मुगलकालीन इमारत है, जिसे मुगल बादशाह शाहजहां ने 17वीं शताब्दी में तैयार कराया था। इसकी गिनती विश्व के चुनिंदा ऐतिहासिक इमारतों में होती है।

    ' इसे भी यूनेस्को ने विश्व के धरोहरों में शामिल किया था। यह किला 1857 तक मुगलों के कब्जे में रहा, लेकिन बाद में अंग्रेजों ने इसे सैनिक छावनी के रूप में इस्तेमाल किया। हर वर्ष गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री किले के लाहोरी गेट पर तिरंगा फहराते हैं।

    इंडिया गेट

    -प्रथम विश्व युद्ध में मारे गए 80 हजार से अधिक भारतीय सैनिकों की याद में 1931 में इंडिया गेट बनकर तैयार हुआ।

    -प्रसिद्ध वास्तुकार एडविन ल्यूटियंस ने इसे डिजाइन किया था।

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