सीएसएटी: रिजल्ट में सीख
एम्स से एमबीबीएस कर चुकी शीना अग्रवाल इस बार सिविल सर्विसेज की टॉपर रही हैं। प्रिंस ओवरऑल तीसरी रैंक लाकर लड़कों में अव्वल रहे। इस बार की परीक्षा के नतीजों में देश की विविधता का अनोखा संगम देखने को मिला। टॉप 100 में कुल 21 महिलाएं सफल हुई हैं, तो वहीं सभी राज्यों के स्टूडेंट्स ने इसमें सफलता प्राप्त की है। परीक्षा में किस तरह के रहे रिजल्ट और तैयारी के बारे में क्या कहते हैं इस वर्ष के टॉपर्स..

आसमां में छेद कर देने की सोच किसी क ठिन काम को पूरा कर दिखाने की संकल्पना से प्रेरित दिखती है। मुमकिन है हर वह काम जो असाधारण है जिसमें मेहनत के साथ अकूत जज्बे की भी जरुरत होती है, उनके लिए पहली बार आसमां में छेद कर देने की कल्पना ने जन्म लिया हो। लेकिन हालिया आईएएस रिजल्ट में छात्रों के शानदार प्रदर्शन ने इस उक्ति को नए सिरे से गढा है - हर कोई जिसकी तबियत में आसमां को छूने की ख्वाहिश है, उसके लिए आसमां अंतिम मुकाम नहीं है, वे चाहें तो अपनी इसी तबियत की बदौलत आम लोगों के लिए इस्तेमाल होने वाले कठिन जैसे जुमलों की तासीर बदल इससे आगे, बहुत आगे जा सकते हैं। इस बार आइएएस में महिला उम्मीदवारों ने पहले दो स्थान पर कब्जा जमाकर फिर अपनी धाक जमाई है। बदले पैटर्न पर हुई इस बार की परीक्षा के नतीजों में देश की विविधता का अनोखा संगम देखने को मिला। शीर्ष 25 स्थान हासिल करने वाली अभ्यर्थी 16 राज्यों का प्रतिनिधित्व करते हैं। संघ लोक सेवा आयोग द्वारा शुक्रवार को घोषित नतीजों के मुताबिक एम्स से एमबीबीएस शीना अग्रवाल ने आइएएस परीक्षा टॉप की है। यह उनका तीसरा प्रयास था। मुंबई के टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज से सामाजिक उद्यम में स्नातकोत्तर रुक्मिणी रियाड ने दूसरी रैंक हासिल की। प्रिंस धवन तीसरे स्थान पर रहे।
क्वालिटी एजुकेशन है सफलता की गारंटी सिविल सेवा की परीक्षा में इस बार टॉप 25 में जितने भी अभ्यर्थी सफल हुए हैं, उन्होंने टॉप प्रीमियर इंस्टीट्यूट्स जैसे कि एम्स, आइआइएम और आइआइटी, लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से पढाई की है। इससे यह बात सामने आई कि अगर आप अच्छे इंस्टीटयूट से अच्छी पढाई करते हैं, तो आप आइएएस में सफल हो सकते हैं। सबसे अहम बात यह रही कि नतीजे अखिल भारतीय तस्वीर पेश करते हैं। आंध्र प्रदेश, असम, बिहार, छत्तीसगढ, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, जम्मू कश्मीर, झारखंड, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, पंजाब, राजस्थान, तमिलनाडु और उत्तराखंड के उम्मीदवारों ने टॉप 25 में जगह बनाई है।
सौ में इक्कीस महिलाएं
इस बार की परीक्षा में टॉप टू पोजीशन पर तो महिलाओं ने अपनी प्रतिभा का परचम लहराया ही, इसके साथ ही पहले 100 में इस बार 21 महिलाओं ने सफलता हासिल की है। कहने का आशय यह है कि अब महिलाएं प्रतिभा और जिम्मेदारी के मामले में पुरुषों से किसी भी क्षेत्र में किसी तरह से पीछे नहीं है। अगर उन्हें अच्छी सुविधा और पढाई के लिए बेहतर माहौल दिया जाए, तो वह अपनी प्रतिभा का बेहतर प्रदर्शन करके कामयाबी की ऊंची उडान भर सकती हैं।
चार चांस हैं काफी
अगर इस बार की परीक्षा में सफल टॉप 25 अभ्यर्थियों के रिजल्ट का अध्ययन करें, तो हम देखते हैं कि 6 स्टूडेंट्स को पहले चांस में सफलता हासिल हुई है, तो 7 सेंकेंड और 9 तीसरे अटेम्प्ट में सफल हुए हैं। इसके साथ ही 12 पहले से चयनित हो चुके उम्मीदवार फिर से एग्जाम देकर सफल हुए हैं। तीसरे अटेम्प्ट देने वालों में इस बार की टॉपर शीना अग्रवाल भी हैं, जो पहले ही इस सेवा में चयनित होकर नागपुर में ट्रेनिंग कर रही हैं। तीसरी रैंक पाने वाले हिमांशु कहते हैं कि यदि आप योजना बनाकर तैयारी करते हैं, तो आपको सर्वश्रेष्ठ देने के लिए चार चांस काफी हैं। इस तरह के विचार अन्य टॉपर्स के भी हैं।
हर क्षेत्र की प्रतिभा को सम्मान
अक्सर कहा जाता है कि आइएएस में कुछ खास क्षेत्र के स्टूडेंट्स को ही सफलता मिलती है। लेकिन अगर 2011 के रिजल्ट पर नजर डालेंगे, तो इस बार की खासियत यह रही है कि इस परीक्षा में टॉप 25 की लिस्ट में सफल उम्मीदवार सभी तरह के पारिवारिक पृष्ठभूमि से हैं। इस परीक्षा में किसान के बेटे से लेकर टीचर, वकील, बिजनेसमैन के साथ ही सरकारी और प्राइवेट सर्विस करने वालों के बेटे और बेटियां ने भी सफलता पाई है। परीक्षा में अलग-अलग पृष्ठभूमि के सफल उम्मीदवारों को देखकर कहा जा सकता है कि सिविल सेवा में सिर्फ प्रतिभा को वरीयता दी जाती है। अगर आपमें प्रतिभा है और इस परीक्षा की तैयारी अच्छे तरीके से करते हैं, तो आप किसी भी पृष्ठभूमि से हों, सफलता आपके पास आएगी।
जुनून दिलाता है सफलता
इस परीक्षा में सफलता उन्हीं को मिलती है, जो लक्ष्य की प्राप्ति के लिए अपना बेस्ट देने की क्षमता रखते हैं। इस तरह का प्रदर्शन आप तभी कर पाएंगे, जब आपको लक्ष्य प्राप्ति के लिए अलग तरह का जुनून होगा। इस बार के टॉप थ्री पहले से ही अलग फील्ड में बेहतर पोजीशन पर हैं, लेकिन आइएएस बनने के जुनून ने उन्हें इस एग्जाम को देने के लिए बाध्य किया और आज उनकी गुमनाम प्रतिभा हम सबके सामने है। इस परीक्षा के हाई स्टैंडर्ड को पूरा करने के लिए जरूरी है कि आपको सटीक गाइडेंस मिले। परीक्षा के ऊंचे स्तर और उसकी क्रमबद्घ तैयारी के क्रम में यह तो सबको पता है कि क्या पढना है, लेकिन किस तरह पढना है, यह बात यदि आप जान जाते हैं, तो तैयारी करने में आसानी होती है।
आइएएस में दूसरी रैंक लाने वाली रुक्मणी भी इस बारे में सहमत होते हुए कहती है तैयारी के लिए आपके भीतर जुनून तो ठीक है लेकिन जुनून को परफॉर्मेस में कन्वर्ट करने का हुनर भी आपको बखूबी आना चाहिए। प्रभावी मार्गदर्शन आपकी सफ लता केरास्ते को पगडंडियों से निकाल हाईवे पर ला सकता है। परीक्षा में 12वीं रैक पाने वाले संयम अग्रवाल कहते हैं तैयारी के लिए बेहतर होगा कि आप एक वर्ष की प्लानिंग तय कर लें और प्रारंभिक, मुख्य परीक्षा व इंटरव्यू के लिए पहले से समय निर्धारित कर लें। इस परीक्षा में तैयारी शुरू करने के लिए आदर्श समय ग्रेजुएशन फाइनल इयर होता है। यदि आप अपने सब्जेक्ट्स पहले से निर्धारित कर लेते हैं और उसकी तैयारी प्लानिंग के तहत करते हैं, तो सफलता आपके करीब होगी।
कॉन्फिडेंस है जरूरी
सिविल सेवा परीक्षा में देश के सभी तरह की बैकग्राउंड के स्टूडेंट्स शामिल होते हैं। इस कारण कॉन्फिडेंस जरूरी है। इस परीक्षा में सफलता का मूल मंत्र है खुद पर विश्वास। यदि खुद पर विश्वास नहीं है, तो आप इस परीक्षा में सफलता प्राप्त नहीं कर सकते हैं। इस परीक्षा में कुल चार अवसर मिलते हैं और सफलता न मिलने पर अभ्यर्थी चारों अवसर देते हैं और किसी-किसी को अपने अंतिम प्रयास में सफलता मिलती है। यह सफलता तभी मिलती है, जब अभ्यर्थी को खुद पर विश्वास हो और अपना सर्वश्रेष्ठ देने का जज्बा हो। इस मामले में इस बार पहली रैंक लाने वाली शीना अग्रवाल का उदाहरण काफी है। तीसरे प्रयास में पहली पोजीशन खुद के विश्वास पर ही संभव है।
(कानपुर से पीयूष द्विवेदी, जालंधर से वंदना वालिया बाली, चंडीगढ से ओजस्कर पाण्डेय और लुधियाना से राधिका कपूर)
जे आर सी टीम
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।