कैम्पस

देश सामरिक रूप से मजबूत होता जा रहा है। इसमें तकनीकी क्षेत्र की भूमिका सराहनीय है। बहुत बडी संख्या में विद्यार्थी सेना के साथ तकनीकी रूप से जुडना चाहते हैं। टेक्निकल कोर्स कर रहे युवा सेना को किस रूप में देखना चाहते हैं, इसी विषय पर जागरण इंस्टीटयूट ऑफ मॉस कम्युनिकेशन के छात्रों के बीच एक परिचर्चा हुई। प्रस्तुत है, उसकी एक झलक-
ब्राइट फ्यूचर
हमारे दो पडोसी देश चीन और पाकिस्तान अपनी हरकतों से सीमा पर तनाव उत्पन्न करते रहते हैं। चीन से सामरिक संतुलन बनाए रखने के लिए सेना के तीनों अंगों को लंबी दूरी तक मार करने वाली मिसाइलों से लैस किया जा रहा है। अन्य सुरक्षा उपकरण भी मुहैया कराए जा रहे हैं। कई प्रोजेक्टों पर काम चल रहा है। इन कामों को पूर्ण करने के लिए विभिन्न क्षेत्र में महारथ रखने वाले तकनीकी विशेषज्ञों की जरूरत है। सेना की टेकिन्कल विंग के साथ जुडकर महिलाएं भी अपना भविष्य सुधार सकती हैं।
अनुपमा मिश्रा
टेक्निकल क्षेत्र में अवसर
आज शक्ति का तात्पर्य टेक्नोलॉजी से है। उदाहरण के रूप में हम अमेरिका को ले सकते हैं। सोवियत संघ के विघटन के बाद अमेरिका विश्व की शीर्ष महाशक्ति बना है, उसके पीछे उसकी टेक्नोलॉजी ही है। भारत भी अपनी सैन्य क्षमता में विस्तार के लिए खोजें कर रहा है। सेना में अब टेक्निकल नॉलेज रखने वालों के लिए पर्याप्त अवसर हैं। तकनीकी ज्ञान रखने वाले लोगों को अधिक से अधिक संख्या में सेना से जुडना चाहिए। ऐसा करके युवा देश के प्रति अपने कर्तव्य का निर्वाह कर सकते हैं।
धनंजय शुक्ला
महिलाओं कि हिस्सेदारी
आजादी के बाद से देश को कई युद्धों का सामना करना पडा है। इन युद्धों में से चीन के साथ हुए युद्ध में हमें करारी हार का सामना करना पडा था। कारण था तकनीकी रूप से कमजोर होना। सन 62 में हुई इस हार के बाद सेना को नवीनतम टेकनेलॉजी से सुसज्जित करने का काम शुरू किया गया। सैन्य क्षेत्र में जो प्रगति दिखाई दे रही है, उसके पीछे तकनीकी ज्ञान रखने वालो का महत्वपूर्ण येागदान है।
शिखा पांडे
अवसरों की कमी नहीं
सैन्य क्षेत्र में हो रहे परिवर्तनों ने सेना के प्रति महिलाओं एवं तकनीकी प्रशिक्षितों का ध्यान आकर्षित किया है। एयर फोर्स, आर्मी या फिर नेवी हो, इन सभी में टेकिन्कल फील्ड से संबंधित रोजगार पर्याप्त संख्या में निकल रहे हैं। सेना में तकनीकी क्षेत्र को प्रोत्साहन दिए जाने से इस क्षेत्र में भी महिलाओं के लिए पर्याप्त अवसर उपलब्ध हो गए हैं। इस तरह की एजूकेशन ले रहे युवाओं को चाहिए कि वे अपने कार्य क्षेत्र के चयन में सेना को ही वरीयता दें। उनका यह कार्य राष्ट्र निर्माण में सहायक होगा।
अनुराग सिंह
आधी आबादी का पूरा योगदान
वर्दी में एक सैनिक को देख मन में विचार आने लगता है कि काश इसकी जगह मैं होती। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि एक सैनिक को हमेशा सम्मान की नजर से देखा जाता है। कुछ वर्षो पूर्व तक इस फील्ड को पुरुषों के लिए ही जाना जाता था। अब परिस्थितियां बदल गई हैं। आधी आबादी आज न केवल सैनिक बनकर सीमा पर जाने को तैयार है बल्कि डॉक्टर, इंजीनियर या फिर किसी विशेष शाखा की तकनीकी शिक्षा लेकर सैन्य अनुसंधानों में योगदान देने को तत्पर है।
शीलम शुक्ला
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