एआईईईई इक्वेशन
एआईईईई परीक्षा में कुछ दिन शेष बचे हैं। इन दिनों का इस्तेमाल यदि सकारात्मक तरीके से करते हैं, तो सफलता के चांसेज बढ़ जाएंगे..

एआईईईई परीक्षा में कुछ दिन शेष बचे हैं। इन दिनों का इस्तेमाल यदि सकारात्मक तरीके से करते हैं, तो सफलता के चांसेज बढ जाएंगे.. न्यूयॉर्क के एक प्रतिष्ठित अखबार ने बीते दिनों सर्वे जारी किया। इस सर्वे के जरिए पता लगाने की कोशिश की गई कि सबसे बेहतर जॉब कौन सा है, आखिर कौन सा जॉब है जो युवाओं को हर लिहाज से संतोष प्रदान करता है? इस सर्वे में इंजीनियरिंग सेक्टर व इससे जुडे कई जॉब्स सबसे ऊपर रहे। इंजीनियरिंग सेक्टर की हालिया ग्रोथ व इस ओर कायम युवाओं का रुझान इस सर्वे की तस्दीक करता है। आज हालत यह है कि कॅरियर के तमाम अच्छे विकल्पों के बावजूद इंजीनियरिंग छात्रों की नंबर एक पसंद बना हुआ है। ऐसे माहौल में यदि आप भी इस सेक्टर के जरिए फ्यूचर ब्राइट करना चाहते हैं, तो आगामी 29 अप्रैल को होने जा रही एआईईईई परीक्षा सुनहरा अवसर है।
अलग है एआईईईई
एआईईईई परीक्षा कई मायनों में दूसरी इंजीनियरिंग परीक्षाओं से अलग है। आईआईटी में जहां कैंडीडेट्स की कॉन्सेप्ट बिल्डिंग व उनका सटीक एप्लीकेशन देखा जाता है तो एआईईईई में गहन अध्ययन के साथ स्पीड व एक्यूरेसी परखी जाती है। यहां इस्तेमाल किया जाने वाला एक-एक मिनट कीमती है। लेकिन स्पीड व एक्यूरेसी में आप तभी माहिर हो पाएंगे, जब विषय पर मजबूत पकड होगी।
कम वक्त में इफेक्टिव तैयारी
एआईईईई में अब गिनती के दिन शेष रह गए हैं। अब समय गहन अध्ययन का नहीं बल्कि जितना साल भर पढा है, उसे रिवाइज करने का है। स्वयं विशेषज्ञ इस बात पर सहमत दिखते हैं। उनका मानना है कि परीक्षा के एक हफ्ते पहले छात्र कुछ भी नया पढने से परहेज करें बल्कि जितना अब तक पढा है उसी को पॉलिश करें। इसके अलावा सब्जेक्ट में आपके जो भी स्ट्रॉन्ग प्वाइंट हैं, उनपर जोर दें। लास्ट मिनट तैयारी के लिहाज से महत्वपूर्ण सूत्र व ट्रिक्स आदि पढना भी ठीक रहेगा। हां, इस दौरान खुद को स्ट्रेस से दूर रखें। ज्यादा डिस्कसन से परहेज करें, रियलिस्टिक लक्ष्य निर्धारित करें और उन पर खरा उतरने की कोशिश करें। विशेषज्ञ मानते हैं कि परीक्षा देने से पूर्व छात्र विषय से जुडे अपने कॉन्सेप्ट क्लियर करें। फंडामेंटल जानकारियों को पुख्ता करें। उन्हें रिवाइज कर परीक्षा में अप्लाई करें, तो बेहतर स्थिति में रहेंगे।
रैंक डिसाइडर है मैथ्स
यूं तो एआईईईई के एग्जाम में अंकों के लिहाज से फिजिक्स, केमिस्ट्री, मैथ्स को बराबर वेटेज मिलता है, लेकिन मैथ्स में बेहतर प्रदर्शन परीक्षा में शानदार रैंक की कुंजी बन सकता है। विशेषज्ञों के मुताबिक, गणित को एआईईईई में रैंक डिसाइडर कहा जा सकता है। डिफ्रे ंसियल कैलकुलस, ट्रिग्नोमेट्री, प्रोबेबिलिटी, परम्यूटेशन- कॉम्बिनेशन, स्ट्रेट लाइन एंड सर्किल्स (कोऑर्डिनेट ज्योमेट्री) इसमें खासे स्कोरिंग समझे जाते हैं। मैथ्स की बेहतर तैयारी के लिए एनसीईआरटी किताबों का अध्ययन उपयुक्त है। इसके अलावा गत वर्षो के अभ्यास प्रश्नपत्र, टाइमिंग बेस्ड स्टडी भी असरदार हैं। इस समय सिर्फ प्रैक्टिस ही सफलता के करीब आपको पहुंचा सकती है।
फिजिक्स में बेसिक्स करें क्लियर
एआईईईई में आपकी अच्छी रैंक के लिए फिजिक्स में किया गया उम्दा प्रदर्शन काफ जिम्मेदार होता है। लिहाजा इसे कतई हल्के में नहीं लिया जा सकता। मोटे तौर पर देखें तो इसमें प्रश्न दो तरीके से पूछे जाते हैं- एक थ्योरी बेस्ड दूसरे एक्सपेरिमेंटल व न्यूमेरिकल पर आधारित।इसमें बडा हिस्सा डायमेंसन, इलेक्ट्रोमैग्नेटिज्म, इलेक्ट्रॉनिक्स, कैलकुलस पर आधारित प्रश्नों का होता है। प्रश्नों में आने वाले घुमावों के मद्देनजर कैंडीडेट्स को अपने बेसिक्स क्लियर रखना जरूरी है। बकौल विशेषज्ञ परीक्षा में फिजिक्स के प्रश्न बहुत कुछ सीबीएसई एग्जाम पैटर्न पर आधारित होते हैं। ऐसे में वे छात्र जो इंटरमीडिएट पढाई के दौरान ही अपने सिलेबस पर पकड बना लेते हैं, उनके लिए एआईईई में फिजिक्स की चुनौती आसान हो जाती है। बचे हुए समय में सिर्फ रिवीजन पर ध्यान दें और अगर कहीं कन्फ्यूजन है, तो उसे दूर करें।
सुलझाएं केमिस्ट्री की मिस्ट्री
अक्सर देखा जाता है कि इंजीनियरिंग परीक्षाओं में छात्र मैथ्स, फिजिक्स पर ज्यादा फोकस करते हैं, नतीजतन उनकी केमिस्ट्री की सही तैयारी नहीं हो पाती, जिसका परिणाम उन्हें खराब रैंक के तौर पर मिलता है। सफल स्टूडेंट्स का मानना है कि केमिस्ट्री की तैयारी में ढिलाई न बरतें। केमिस्ट्री में ऑर्गेनिक रिएक्शन, इलेक्ट्रोरिएक्शन, केमिकल बॉन्डिंग, आइसोमेरिज्म, मोल कॉन्सेप्ट परीक्षा के लिहाज से एक्सक्लूसिव का दर्जा रखते हैं।
इन बातों का रखें ध्यान
प्रश्नों के चयन में लगाएं दिमाग- परीक्षा देते समय कौन से सवाल हल करने हैं। इसका चयन बुद्धिमत्ता से करना होगा। दरअसल इस परीक्षा में आने वाले अमूमन 25 फीसदी प्रश्न अपेक्षाकृत आसान, 60 फीसदी औसत व 15 फीसदी प्रश्नों का स्तर काफी ऊंचा होता है। (सामान्यत: इन परीक्षाओं का कटऑफ 60 से 70 प्रतिशत तक जाता है) ऐसे में यदि आप आसान व औसत प्रश्नों को हल कर लेते हैं, तो भी आप कट ऑफ में आसानी से जगह बना सकते हैं। वहीं आखिर में बचे हुए कठिन प्रश्नों में कुछेक प्रश्नों के सही जवाब देकर आप मेरिट के बारे में भी सोच सकते हैं।
एनसीईआरटी को बनाओ बाइबल- एनसीईआरटी की किताबें बोर्ड एग्जाम की दृष्टि से तो कारगर होती ही हैं, कंपटीशन के नजरिए से भी उपयोगी हैं। विषय की आधारभूत समझ विकसित करने में इनका कोई जोड नहीं होता। पूर्व टॉपर्स का अनुभव भी बताता है कि किताब की भाषा ही अपने आप में कई प्रश्नों का हल होती है। ऐसे में इसका गहराई से अध्ययन करें तो कई डाउट्स क्लियर हो सकते हैं।
कहना गलत नहीं होगा कि कॉन्सेप्चुअल थ्योरी से लेकर न्यूमेरिकल्स तक, एनसीईआरटी से बनाए गए नोट्स का ही छात्र गहनता से अध्ययन कर लें तो एआईईईई का तिलिस्म टूटने में देर नहीं लगने वाली।
पुराने पेपर्स पर करो फोकस- हाई-फाईक्लासेज के मोहम्मद हारून मानते हैं कि गत सालों में आए पेपरों का अध्ययन यहां आपकी कामयाबी की कुंजी बन सकता है। ये पेपर आपको परीक्षा का ट्रेंड समझने में तो सुविधा देते ही हैं, इन्हें हल कर आप एग्जाम कॉन्फिडेंस भी हासिल करते हैं। आप चाहें तो अपने बोर्ड एग्जाम या फिर कंपटीशन दोनों में ही अप्लाई कर सकते हैं। अब तो ज्यादातर कोचिंग संस्थानों में परीक्षा के अंतिम हफ्तों में पुराने प्रश्नपत्रों के आधार पर मॉक टेस्ट की व्यवस्था होती है। जहां स्टूडेंट्स को परीक्षा के माहौल में खुद को परखने का पूरा मौका मिलता है।
जेआरसी टीम
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