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    गियर अप फॉर बो‌र्ड्स एग्जाम

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    Updated: Wed, 08 Feb 2012 12:00 AM (IST)

    सीबीएसई परीक्षा की डेटशीट आ चुकी है। तैयारियां जोरों पर हैं। हर कोई अपना सब कुछ झोंककर तैयारी को अंतिम रूप देने में लगा है। यदि आप भी इस साल बोर्ड परीक्षा में बैठने वाले हैं तो एग्जाम के समर के लिए दम साधकर तैयार हो जाएं। आज की तारीख में यहां लिया गया हर छोटा कदम आने वाले कल की लंबी छलांग है.

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    देश में इस समय चुनावी माहौल चरम पर है। हर उम्मीदवार चुनाव के इस अग्निपथ से पार पाने की जद्दोजहद में है। ऐसा हो भी क्यों न, आखिर यह पांच साल के बाद आने वाला अवसर होता है, सालों की गईतपस्या इसी दौरान फलीभूत होती है। आज चुनावी अग्निपरीक्षा की इस कशमकश में कोई भी अपना वार खाली जाने देना नहीं चाहता। लेकिन आज इसके समानांतर एक और अग्निपरीक्षा की तैयारी जोरों पर है, अग्निपरीक्षा बोर्ड एग्जाम की। यह वह समय हैजब स्टूडेंट्स अपने कॅरियर को नया मुकाम देने वाली पहली सीढी यानि बोर्ड की तैयारी में जी-जान से लगे रहते हैं। इलेक्शन तो अमूमन हर पांच साल में आता है, लेकिन बोर्ड एग्जाम हर स्टूडेंट के जीवन में एक बार ही आता है। यदि यहां सही गलत के चुनाव में चूके तो बेहतर कॅरियर का ख्वाब पंख लगने के पहले ही बिखर सकता है। ऐसे में आप चाहें 10वीं में हों या 12वीं ंमें, बोर्ड के इस चक्रव्यूह के लिए कमर कस लें। प्रतियोगी परीक्षाओं में हिस्सा लेने की इलिजिबिलिटी से लेकर मेरिट तक में 10वी ं,12वीं में किया यही प्रदर्शन पूरा असर डालता है।

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    बारहवीं बोर्ड देगा कॅरियर को पाथ

    कॅरियर की दृष्टि से 12 वीं बोर्ड की परीक्षा सर्वाधिक महत्वपूर्ण है। क्योंकि यह वह वक्त होता है जब बोर्ड परीक्षा के अंक और सफलता कॅरियर की दिशा, दशा निर्धारित करते हैं। अधिकांश स्टूडेंट्स बारहवीं बाद ही चिकित्सा, इंजीनियरिंग व एनडीए जैसी परीक्षाओं के लिए आवेदन करते हैं। ऐसे में बारहवीं बोर्ड में आपकी परफॉर्मेंस कॅरियर का डिसाइडिंग फैक्टर बन सकती है। बेहतर यह होगा कि आप इस समय बगैर किसी मानसिक दबाव के रीविजन पर जोर दें और अधिक से अधिक मा‌र्क्स लाने के लिए अपने कमजोर पहलुओं पर ध्यान दें। इस तरह की स्ट्रेटेजी से आप समय का सदुपयोग तो कर ही सकेंगे, कॅरियर को सुविधाजनक पाथ भी दे सकेंगे। दसवीं की अपेक्षा बारहवीं के स्टूडेंट्स के सामने इस समय दूसरी तरह की समस्या होती है। दसवीं के स्टूडेंट्स को जहां न चाहते हुए भी सभी विषयों को पढना होता है, वहीं बारहवीं के स्टूडेंट्स के पास अपनी पसंद के विषयों में बेहतर परफॉमर्ेंस करने का दबाव होता है। इसके अलावा उसे परीक्षा के बाद की तैयारी की भी चिंता रहती है। आदर्श स्थिति यह है कि फरवरी माह में स्टूडेंट्स सिर्फ बोर्ड परीक्षा की तैयारी पर फोकस करें और अपना सर्वश्रेष्ठ दें।

    पैटर्न में बदलाव से रहें अवगत

    किसी भी परीक्षा में आप बेहतर प्रदर्शन तभी कर सकते हैं, जब आप परीक्षा के पैटर्न से अवगत रहेंगे। इस बार 12वीं बोर्ड एग्जाम के क्वैश्चन पेपर के पैटर्न में बदलाव हुआ है। इस बार मार्च से शुरू होने वाले एग्जाम में हिस्ट्री के पेपर में नया पैटर्न दिखेगा। हिस्ट्री में पहले लॉन्ग क्वैशचन का जवाब 250 शब्दों में देना होता था, पर अब शब्द सीमा बढाकर 500 कर दी गई है। हिस्ट्री के पेपर में 8-8 मा‌र्क्स के दो लॉन्ग क्वैश्चन होते थे, लेकिन इस साल से ये 10-10 मा‌र्क्स के होंगे। इसके अलावा दो दो नंबर वाले प्रश्नों की संख्या 5 से घटाकर तीन कर दी गयी है। इस बार मार्किग स्कीम में भी बदलाव होंगे। हिस्ट्री के पेपर में दो सवाल 10-10 नंबर के होंगे। आठ सवाल पांच-पांच नंबर के होंगे। तीन सवाल दो-दो नंबर के होंगे। पेसैज बेस्ड तीन क्वैश्चन होंगे और हर क्वैश्चन 8-8 अंक का होगा।

    परीक्षा में रहें फिट तो होंगे हिट

    स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क का वास होता है। बेहतर होगा कि आप परीक्षा तक की इस तरह की दिनचर्या बनाएं, जिससे अच्छी पढाई होने के साथ शारीरिक स्वास्थ्य भी बरकरार रहे और बिना किसी स्ट्रेस के बेहतर प्रदर्शन में कामयाबी मिले। इसके लिए जरूरी है कि अपने टाइम शेड्यूल में फिटनेस के लिए भी समय निकालें। स्वस्थ आहार स्मृति शक्तिबढाने के साथ कुछ नया करने को भी प्रेरित करता है। इसलिए बोर्ड परीक्षा के दौरान स्टूडेंट्स जितना संभव हो, ऑयली फूड से दूर रहें। कोशिश करें ज्यादा से ज्यादा ताजा फल, सब्जियां व हल्का भोजन लें। परीक्षा के दौरान स्टूडेंट यदि तीन बार की जगह 5 से 6 बार में थोडा-थोडा भोजन करें तो बेहतर होगा।

    रिवीजन है सफलता की कुंजी

    बोर्ड परीक्षा के लिए समय काफी कम बचा है। अब ऐसा कुछ नया मत पढिए, जिसे अभी तक नही पढा है। जो पढ चुके हैं, वही काफी है। बचे हुए समय में जितना ज्यादा रीविजन करेंगे, उतना है अच्छा स्कोर कर सकेंगे। रीविजन में सभी विषयों को बराबर समय दें। किसी विषय में अगर आप स्ट्रॉन्ग हैं, तो उस विषय के समय को कमजोर विषयों के रिवीजन में लगाएंगे, तो आप सभी विषयों में अच्छे मा‌र्क्स लाने में सफल हो सकते हैं। आप सप्ताह में एक दिन किसी एक विषय की परीक्षा समय व वातावरण बनाकर घर में ही दें। इससे परीक्षा का प्रेशर आपके ऊपर से हटेगा और अपनी गलतियों से सबक लेकर परीक्षा हॉल में बेहतर प्रदर्शन करने में कामयाब होंगे।

    अहम है गार्जियन का रोल

    परीक्षा के दौरान पेरेंट्स का रोल महत्वपूर्ण हो जाता है। इसमें सर्वाधिक जरूरी है कि मां बाप अपने बच्चे पर हावी होते प्रेशर को कम करने का प्रयास करें। उन पर अपनी अपेक्षाएं लाद उन्हें तनावग्रस्त न होने दें। इस दौरान पेरेंट्स को चाहिए कि वे बच्चों को पूरा सपोर्टकरें, उन्हें सिस्टेमेटिक पढाई के लिए प्रेरित करें। कोशिश करें कि उन पर दवाब कम से कम रहे। उन्हें विश्वास दिलाएं कि वह सबसे काबिल और योग्य है। अगर वह अच्छी पढाई करेगा,तो उसके अच्छे मा‌र्क्स अवश्य आएंगे। स्टूडेंट्स पर रिजल्ट का प्रेशर न बनाकर उसे बेहतर पढाई करने के लिए प्रेरित करें और घर में स्टूडेंट्स के लिए खुशनुमा माहौल दें। मनोवैज्ञानिक कहते हैं कि जिस घर में स्टूडेंट्स को हैल्दी एटमॉस्फियर मिलता है व गार्जियन सपोर्ट करते हैं, वहां बच्चे का रिजल्ट दूसरे स्टूडेंट्स की अपेक्षा बेहतर होता है। अगर इसमें सच्चाई है, तो आप अपने बच्चे की बेहतरी के लिए कम से कम दो महीने उन्हें दें।

    क्या हैसीसीई

    सीबीएसईने देश भर के छात्रों के रचनात्मक व प्रभावी शिक्षण के लिए सीसीईयानि कंटीनुअस एंड कॉम्प्रिहेंसिव इवेलुएशन को लागू किया है। इसके अंतर्गत स्टूडेंट्स क ो अंक के बदले ग्रेड दिए जाते हैं। इस ग्रेड को निर्धारित करने में छात्रों की करीकुलर, एक्सट्राकरीकुलर एक्टीविटीज की प्रमुख भूमिका होगी। माना जा रहा हैकि इस पद्यति के लागू हो जाने से छात्रों पर वर्कलोड तो कम होगा ही, साथ ही उनकी गुणवत्ता में भी बढोत्तरी होगी।

    देंगे ध्यान तो सफल होगा एग्जाम

    प्रतिदिन 30 मिनट का समय फिजिकल एक्टीविटीज पर ध्यान दें। ऐसा करने से ब्लड सर्कुलेशन ठीक रहने के साथ स्टूडेंट्स की याद्दाश्त क्षमता बढती है तथा अपने पर कांफिडेंस रहता है।

    कम से कम 6 घंटे नींद अवश्य लें।

    अच्छे अंक लाने के लिए सम्पूर्ण पाठ्यक्रम का अध्ययन सिस्टमेटिक करें।

    एग्जाम के समय निगेटिव सोच न रखें, कूलमाइंड होकर एग्जाम दें।

    जो चेप्टर अच्छे लग रहे हैं, उन्हें ज्यादा पढें।

    हर चेप्टर के प्वाइंट और उसके भी माइक्रो प्वाइंट बनाकर पढाई करें।

    सोर्सेज आधारित प्रश्नों का डीप अध्ययन करें।

    निगेटिव सोच न रखें स्टूडेंट्स

    कॅरियर के लिए10 वीं और 12वीं दोनों ही ऐसे स्टेप हैं, जिसमें सफलता के बाद भविष्य की इबारत लिखी जा सकती हैं। इसलिए बोर्ड एग्जाम के दौरान संतुलित आहार लें। प्रतिदिन व्यायाम करें। निगेटिव सोच को जन्म न दें और कूल माइंड रहें। एग्जाम के समय हडबडाहट से बचेंगे, तभी आप बेहतर परिणाम ला सकते हैं। पिछले पांच वर्षो के बोर्ड एग्जाम में आए प्रश्नों को सॉल्व करें। परीक्षा कक्ष में पहले उन्हीं क्वैश्चन को सॉल्व करने का प्रयास करें, जो आपको आसान लग रहे हों। अगर कूल माइंड होकर अच्छी पढाई करते हैं, तो आप बोर्ड परीक्षा में अच्छे मा‌र्क्स ला सकते हैं।

    राकेश चतुर्वेदी, प्राचार्य, अर्मापुर केन्द्रीय विद्यालय, कानपुर

    तैयारी. बोर्ड एग्जाम की

    10वीं बोर्ड

    तैयारी शिखर पर पकड की

    कॅरियर प्लानिंग का सबसे उचित समय 10वीं उत्तीर्ण करने के बाद माना जाता है। स्टूडेंट की अभिरुचि, दक्षता और क्षमता का मूल्यांकन उसके रिजल्ट से किया जाता है। सामान्यतया हाईस्कूल के बाद 11वीं में प्रवेश के समय प्रमुख रूप से किसी एक विषय को चुना जाता है। यह विषय हैं गणित, जीवविज्ञान, वाणिज्य तथा कला। इन मूल विषयों में से किसी एक विषय को चुनने के साथ कोई एक अतिरिक्त विषय लेने की भी व्यवस्था हायर सेकेंडरी स्कूलों में उपलब्ध हैं। सभी के एडमिशन में दसवीं के मा‌र्क्स का अहम रोल होता है। यही कारण है कि 10वीं को कॅरियर की बैक बोन कहा जाता है।

    बोर्ड या स्कूल एग्जाम

    आज सीबीएसई कीदसवीं परीक्षा में स्टूडेंट के पास बोर्ड एग्जाम या फिर स्कूल परीक्षा दोनों का ही विकल्प मौजूद है। हालांकि, स्कूल परीक्षा में भी पेपर बोर्ड से ही भेजे जाते हैं। इस बावत जब विशेषज्ञों से बात की गई तो अधिकांश विशेषज्ञों ने बोर्ड परीक्षा पर सहमति जताई। उनका मानना था कि यदि मनोवैज्ञानिक तरीके से सोचा जाए, तो स्टूडेंट्स बोर्ड परीक्षा की तैयारी स्कूल परीक्षा की अपेक्षा ज्यादा गंभीरता से करते हैं। वहीं यदि स्टूडेंट ने स्कूल परीक्षा का ऑप्शन चुना है तो बहुत संभव है कि वह अपने कंफर्ट जोन में चला जाए और घरेलू परीक्षाओं के नाम पर तैयारी में ढिलाईबरते।

    12वीं का विक्ट्री मंत्रा

    फरवरी का महीना स्टूडेंट्स के लिए बहुत क्रूशियल होता है। इस समय का बेहतर उपयोग आप तभी कर सकते हैं, जब आप सिर्फ परीक्षा के बचे दिनों के लिए एक टाइम टेबल बनाएंगे और उसी के अनुरूप तैयारी को अंतिम रूप देंगे। दसवीं के स्टूडेंट्स की उम्र कम होती है। इस कारण उन्हें गाइडेंस की सख्त आवश्यकता होती है। अक्सर देखा जाता है कि बोर्ड एग्जाम में स्टूडेंट्स अंग्रेजी या मैथ्स से अधिक घबराते हैं। इस समय स्ट्रेटेजी यह होनी चाहिए कि जो विषय कमजोर हैं, उनके महत्वपूर्ण चैप्टरों की एक सूची बनाकर बेहतर उत्तर लिखने का अभ्यास किया जाए और पिछले वर्ष के प्रश्नों को सॉल्व करके अपनी कमी को दूर किया जाए। अंग्रेजी में बेहतर करने के लिए जरूरी है कि वह क्लासरूम में बनाए गए नोट्स का रिवीजन करे और पिछले पांच वर्षो के अनसॉल्व पेपरों को सॉल्व करे। साइंस एंड टेक्नोलॉजी, सोशल साइंस, हिन्दी और संस्कृत जैसे विषयों में पिछले छह वर्षो के प्रश्नपत्रों पर भरोसा करें।

    11वींबोर्ड

    बेहतर यह है कि आप सम्पूर्ण सिलेबस का गहन अध्ययन करें। हां, यदि किसी विषय पर आपकी तैयारी अच्छी नहीं है तो आप सिलेक्टेड अध्ययन का सहारा ले सकते हैं। केन्द्रीय विद्यालय अर्मापुर के केमिस्ट्री के प्रवक्ता नीरज कुमार दुबे का कहना है कि ऑर्गेनिक केमिस्ट्री स्कोरिंग सब्जेक्ट है, और आसान भी है। इसमें बेहतर तैयारी सांइस की पहेली को हल करने में मदद दे सकती है। ऑर्गेनिक केमिस्ट्री में रिएक्शन मैकेनिज्म पर आधारित है। इसलिए सारे फंडामेंटल्स क्लियर होना जरूरी है। फिजिकल केमिस्ट्री में न्यूमेरिकल्स की प्रैक्टिस जरूरी है। फिजिकल केमिस्ट्री स्ट्रांग करने के लिए मोल कॉन्सेप्ट की बहुत अच्छी समझ होना चाहिए। वहीं इन- ऑर्गेनिक केमिस्ट्री में पी एंड डी ब्लॉक इलीमेंट्स की प्रॉपर्टीज अच्छी तरह याद होना आवश्यक है। बताने की आवश्यकता नही ंहै कि पूरी इनऑर्गेनिक केमिस्ट्री पीरियॉडिक टेबुल पर आधारित है। एग्जाम के दौरान साइड बुक्स की कतई हेल्प न लें। हा,ं पुराने अनसॉल्व्ड पेपर सॉल्व करना जरूर फायदेमंद हो सकता है। मैथ्स की शिक्षिका नीलम कुशवाहा का मानना है कि मैथ्स की सटीक तैयारी, बोर्ड एग्जाम का सक्सेस मंत्र है। इसके लिए महत्वपूर्ण है कि प्लॉन बनाकर चैप्टर वाइज तैयारी को अंजाम तक पहुंचाएं। उनके अनुसार इसमें वेक्टर व थ्री डी, कैलकुलस, अलजेब्रा और कॉर्डिनेट ज्यामिति महत्वपूर्ण हैं। मैथ्स में अभ्यास महत्वपूर्ण है। इसलिए खूब अभ्यास करें। यदि आप पिछले पांच वर्षो के बोर्ड प्रश्नों को सॉल्व करते हैं तो राह सुगम हो सकती है। बायोलॉजी की शिक्षिका रश्मि चावला का कहना है कि जितना ज्यादा रिवीजन करेंगे, जितना ज्यादा पुराने क्वैश्चन पेपरसेट सॉल्व करेंगे, सफलताउतने ही करीब होगी। बायोलॉजी में बायोटेक्रोलॉजी, जेनेटिक्स एंड इवैल्यूवेशन, इकोलॉजी, बायोलॉजी एंड चूमन वेलफेयर से छोटे- छोटे प्रश्न खुद बनाएं और उन्हें खुद हल करें। बुक्स में हाइलाइटेड व‌र्ड्स को दोहराएं। डायग्राम चित्रण पर भी जोर दें, उससे संबधित जानकारी डायग्राम के इर्द-गिर्द देना न भूलें। इतिहास की प्रवक्ता उमा त्रिपाठी कहती हैं कि हिस्ट्री की पढाई पर साइंटिफिक अप्रोच अपनाएं, तो आप इसमें भी बेहतर स्कोर कर सकते हैं। इसमें कालक्रम पर विशेष ध्यान दें और स्थान, नाम और तिथियों को याद रखने का प्रयास करें। तैयारी के लिहाज से 1857 का विद्रोह, बिट्रिश पीरियड, भू-राजस्व व्यवस्था, जमींदारी और राष्ट्रीय आंदोलन महत्वपूर्ण हैं। इनकी बढिया जानकारी पेपर में करीब 50 फीसदी प्रश्न जरूर आसान करेगी। इसके अलावा हडप्पा सभ्यता, मौर्य काल,जैन धर्म, बौद्ध धर्म और संविधान के प्वाइंट बनाकर अध्ययन करें तो बेहतर होगा। हिस्ट्री में श्चोत आधारित 24 नंबर के प्रश्न आते हैं। इसलिए इन पर खास तरजीह दें। इतिहास में ज्यादा से ज्यादा लिखने का अभ्यास करें, इकोनॉमिक्स के प्रवक्ता एससी गुप्ता का मानना है कि स्टूडेंट्स इस शेष समय में डिमांड एंड सप्लाई, मनी एंड बैंकिंग, सरकारी बजट, राष्ट्रीय आय, कॉस्ट आदि को ध्यान से पढें। जहां जरूरी हो चित्र भी बनाएं। एनसीईआरटी की पुस्तक को आत्मसात करना इस विषय की तैयारी का बेहतर रास्ता है। इसी तरह लिटरेचर की तैयारी के लिए अगर आप पिछले पांच वर्षो के प्रश्नपत्रों को हल करते हैं, तो आपकी तैयारी अच्छी हो सकती है।

    जेआरसी टीम