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    आई ग्यारह

    By Edited By:
    Updated: Wed, 28 Dec 2011 12:00 AM (IST)

    समय मुठ्ठी में पकड़ी हुई रेत की तरह होता है। इसे जितना मजबूती से पकड़ो, उतनी ही रफ्तार से निकलता जाता है। इन्हीं कोशिशों के बीच एक साल और बीतने को है। लेकिन बीता हुआ हर पल, बीते समय की निशानी भर नहीं होता बल्कि ये तो बदलाव की अटूट श्रृंखला का हिस्सा होते हैं..

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    दुनिया संघर्षो और टकरावों के सहारे ही आगे बढती है और बदलाव लाती है। अगर हम इतिहास को देखें, तो वहां समय-समय पर काफी बदलाव हुए और किए गए। बदलाव की बयार नए विचारों, नए बाजारों, नए अवसरों का पथ प्रशस्त करती है। साल 2011 को कई मायनों में संघर्षो और टकरावों से उत्पन्न बदलाव का वर्ष कहा जा सकता है। यह वह साल है, जिसने लोगों को निरंकुश, अहंकारी सत्ता के खिलाफ संघर्षके गुर सिखाए तो यही साल देश के लिए खेल जगत की सबसे बडी खुशखबरी भी लाया। इसी साल हम भारतवासी भ्रष्टाचार के खिलाफ अब तक के सबसे अलग मिजाज वाली लडाईके गवाह बने। इन सबके बीच साल 2011 लादेन का अंत, जापान में तबाही, आर्थिक आंदोलनों जैसे न जाने कितनी घटना-दुर्घटनाओं के लिए भी जाना जाएगा। इसके साथ ही इस वर्ष हमारे राष्ट्रगान और राजधानी दिल्ली के सौ वर्ष भी पूरे हुए।

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    अंतरराष्ट्रीय: चमेली के कईरंग

    अब तक तो हमें यही पता था कि चमेली का रंग सफेद होता है, लेकिन इस साल ने हमें बताया कि चमेली में क्र ांति का रंग शुमार कर दें तो इसका रंग लाल भी होता है। उत्तरी अफ्रीका, अरब के देशों में लोगों के जेहन में इस जैस्मिन रिवोल्यूशन ने वह रंग घोला कि फिर दशकों से सत्ता सुख ले रहे तानाशाहों के तख्तापलट में देर नहीं लगी।

    इजिप्ट: तहरीर चौक बनाम सरकार

    राजनैतिक जनविरोधों की आग की शरूआत पिछले साल के आखिर में ट्यूनिशया से हुई। लेकिन फैराहों के इजिप्ट में हुए सत्ता परिवर्तन ने इस आग की लपटों को नया शिखर दिया-केंद्र बना तहरीर चौक। इजिप्ट को राष्ट्रपति होस्नी मुबारक के तीस साल लंबे निरंकुश शासन से निजात मिली। मुस्लिम ब्रदरहुड जैसा संगठन इस आंदोलन का आलंबरदार बना तो फेसबुक व आर्कुट के आजाद ख्याल दीवानों ने सोशल कम्यूनिटी के इन साधनों से आंदोलन को गजब की धार दी। आज स्थिति यह है कि जेस्मीन की तेज गंध से दुनिया के कईअकडू तानाशाह पनाह मांगते फिर रहे हैं।

    लीबिया: लोकतंत्र के पडे कदम

    कभी कर्नल गद्दाफी और लीबिया दुनिया में एक दूसरे के पर्याय हुआ करते थे। कोईसोच भी नहीं सकता था कि इन दोनों को कभी अलग भी किया जा सकता है। लेकिन इस साल कुछ ऐसा ही हुआ। नाटो के समर्थन से लोकतंात्रिक ताकतों ने कुछ ऐसी अंगडाईली कि इस रहस्यमईतानाशाह के साथ उसके जोर जबरका चार दशकीय शासन भी खत्म हो गया। इसका नतीजा यह रहा कि लोकतंत्र ने उस जमीन पर दस्तक देना शुरू किया, जहां लोक अब तक तानाशाहों के कदमों पर ही था। उम्मीद हैकि आने वाले सालों में इस जमीन पर लोकतंत्र क ा पौधा अपनी जडे जमाता दिखेगा।

    जापान: कुदरत के सामने सब नत

    जापान इस बार भी अपनी तमाम तकनीकी क्षमताओं व बंदोबस्त के बावजूद कुदरत के आगे बेबस रहा। पूर्वी इलाके में आए 9.0 तीव्रता वाले भूकंप ने इंसानी इंतजामों को धता बताते हुए 24,000 से ज्यादा जिंदगियां लील लीं। चर्नोबिल दुर्घटना के बाद यह पहला मौका था, जब दुनिया किसी परमाणु खतरे से इतने नजदीक से दो चार हुई। यह ऐसी घटना थी, जिसने भारत समेत पूरी दुनिया को अपने परमाणु रिएक्टरों की सुरक्षा पर नए सिरे से विचार करने को मजबूर कर दिया।

    खत्म 9/11 का गुनहगार

    साल 11 ने ओसामा बिन लादेन के खात्मे की कहानी लिख दी। जो इस साल की सबसे बडी खबर थी। जो ओसामा अपने कारनामों से ज्यादा अपने नाम, अपने रुतबे के चलते जाना जाता था, अमेरिकी स्पेशल फोर्सेज के हाथों मारा गया। खर अल-कायदा का मुखिया तो मारा गया।

    राष्ट्रीय- जमीनी एक्शन

    आज जब पूरी दुनिया में इकोनॉमी से लेकर विदेश नीति तक हर मामले मे भारत एक एपीसेंटर बना रहा, तो बदलावों के मामले में हम अपवाद कैसे रहते। जी हां, इस साल देश में कईक्षेत्रों में ऐसे बदलाव हुए, जिनसे एक ओर भरोसेमंद कल की आस मिली, तो सबक भी मिला कि आम लगने वाली कमजोर जनता भी यदि एक हो जाए तो सरकारों के हिलने में देर नहीं लगती।

    अन्ना इम्पक्ट

    भ्रष्टाचार एक बहुत बडी समस्या है इस बात से कोईइंकार नहीं कर सकता, लेकिन इसके खात्मे के लिए सडकों पर आम जनों का जो जज्बा देखने को मिला, खुद में परिवर्तनों की बडी आस जगा गया। भ्रष्टाचार व काले धन के मुद्दे पर इस साल कईबडे आंदोलन हुए। रामदेव व अन्ना हजारे के नेतृत्व में जनता की लांमबदी देखने लायक थी। इस दौरान काले धन की देश वापसी से लेकर नेताओं के भ्रष्ट आचरण पर रोक तक के लिए लोकपाल बिल पूरी तरह छाया रहा। आखिर रामलीला मैदान में अन्ना के 12 दिवसीय सत्याग्रह अनशन के सामने सरकार को झुकना पडा।

    आबाद देश की बढती आबादी

    हर 10 सालों में होने वाली इस जनगणना का यह 15वां संस्करण था, जिसने आबादी के साथ-साथ तरक्की के कई मानकों जैसे साक्षरता, जीवन प्रत्याशा, रोजगार, धन की आमद जैसे बहुत से मापदंडों पर देश की नईतस्वीर पेश की। इसमें जहां देश की आबादी बढकर 1 अरब 21 करोड के पार पहुंच गई। तो वहीं साक्षरता, स्वास्थ्य, लिंगानुपात के मामले में सुधार साफदेखा गया। इस दौरान जनसंख्या घनत्व, पोषण स्तर, प्रतिव्यक्ति आय, रोजगार के प्रदेशवार आंकडे हमें प्राप्त हुए, जो देश क ी तेजी से बदलती तस्वीर के गवाह बन रहे हैं। इस बार की जनसंख्या की सबसे खास बात रही जातिगत जनगणना।

    आकाश की लॉन्चिग

    राष्ट्रीय स्तर पर देखें तो दुनिया के सबसे सस्ते (2,250 रुपए) के टैबलेट पीसी आकाश की लॉन्चिग, खाद्य सुरक्षा बिल, जीसैट-12 का सफल प्रक्षेपण आदि भी उल्लेखनीय उपलब्धि रहे। संसाधनों के विकास के साथ देश के हर आम व खास आदमी तक उसकी पहुँच सुनिश्चित करने में ये मील का पत्थर बन सकती हैं।

    खेल जगत-खास था साल

    अब हम न सिर्फ ज्यादातर खेलों में प्रतिस्पर्धियों को चुनौती दे रहे हैं, बल्कि मेडल्स भी ला रहे हैं। सायना नेहवाल, युवराज वाल्मीकि, कृ ष्णा पूनिया, विकास क ृष्णन जैसे खिलाडी देश में पिछले कुछे एक सालों में उपजी खेल संस्कृ ति की निशानियां हैं। लेकिन इस साल जिस खेल उपलब्धि ने बाकी सभी चीजों को फीका कर दिया, वह थी 28 सालों बाद क्रिकेट व‌र्ल्ड कप में मिली जीत।

    फाइनेस्ट मोमेंट फॉर इंडिया

    व‌र्ल्डकप फाइनल में जीत भारत के लिए साल का फाइनेस्ट मोमेंट रहा। फाइनल में वानखेडे, मुबई में श्रीलंका के खिलाफ 277 रनों का पीछा करते हुए भारत ने 6 विकेट से शानदार जीत हासिल की। इस जीत के साथ भारत ने ऑस्ट्रेलिया के पिछले तीन व‌र्ल्डकप से चले आ रहे जीत के रिकॉर्डको भी ध्वस्त कर दिया।

    फार्मूला-वन : दे गया जीत का फ ार्मूला

    इस साल देश ने फार्मूला-वन के ट्रैक पर जगह बनाई। भारत दुनिया के उन चुंनिदा देशों की सूची में शामिल हो गया, जो एफ-1 जैसे हाईप्रोफाइल रेस की मेजबानी करते हैं। नोएडा के बुद्धा स्पोर्टिग सर्किट में हुईयह रेस कई मायने में देश के लिए नई थी, इसने देश के लिए बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर की राह तो खोली ही साथ ही एक पूरी युवा जमात को एक जबर्दस्त स्पोर्टिग कॅरियर ऑप्शन भी दिया। उम्मीद हैकि एफ-वन से शुरू हुआ बदलाव का यह दौर आने वाले सालों में भी जारी रहेगा।

    डिफेंस- हर जवाब की तैयारी

    रक्षा के मोर्चे पर इस बार देश की कुछ अलहदा तस्वीर देखने का मिली। अब तक देश की सामरिक तैयारी केवल पाक को मद्देनजर रख तैयार की जाती थी, लेकिन इस बार दक्षिण एशिया के बाहर खासतौर पर चीन के खिलाफ देश की रणनीतिक मोर्चेबंदी मजबूत हुई। अब तक उत्तर पूर्वी सीमा पर चीन के बढते दबाव के आगे बेबस से नजर आने वाले भारत ने इस बार कई आक्रमक कदम उठाए। वहीं जल थल नभ में तीनों ही रणों में अपनी स्थिति चाक चौबंद करने हेतु हमारे प्रयास जारी रहे।

    मजबूत हुआ पूरब का मोर्चा

    इस साल भारत ने चीन के खिलाफ अपनी सामरिक तैयारियों को नईदिशा दी। उत्तर पूर्वमें सुखोईकी दो स्क्वाड्रन की तैनाती, टी-72 की एडवांस डिप्लॉयमेंट, दो मांउटेन डिविजनों का गठन, सीमा पर सैन्य ढांचागत सुविधाओं में बढोत्तरी, प्रशांत महासागर में देश की बढती मौजूदगी आदि को इन्हीं तैयारियों के आइने में देखा जा रहा है।

    अगला लक्ष्य-आईसीबीएम

    रक्षा क्षेत्र में इस बार देश के लिए अग्नि-4 का सफल परीक्षण यादगार रहा। यह अहम इसलिए भी था कि यह मिसाइल ही, भारत के 5000 किमी मारक क्षमता वाली पहली आईसीबीएम अग्नि-5 के निर्माण की दिशा दशा तय करेगी। इसके साथ ही मदर ऑफऑल डिफेंस डील के नाम से जानी जा रही 126 लडाकू जहाजों की डील भी इस साल फाइनल हुई है।

    शिक्षा में बदलाव की बयार

    भारत के लिए शिक्षा का मतलब केवल शिक्षा नहीं है बल्कि उसके लिए तो इसका अर्थ विकास, जीवन की बेहतर संभावनाएं और नजरियों का विस्तार है। ऐसे में इस क्षेत्र को यदि बदलावों की कुं जी कहा जाता हैतो इसमें चौंकने वाली बात नही। साल 2011 के लिहाज से देखें तो शिक्षा, प्रतियोगिता के क्षेत्र में यह साल कईअहम बदलावों का गवाह बना। अब आने वाले साल में ये परिवर्तन देश की रीढ यानि युवा वर्ग पर क्या असर छोडेंगे, देखने लायक होगा।

    सी-सैट ने बदले समीकरण

    देश की सबसे लोकप्रिय परीक्षा आईएएस की प्रारंभिक परीक्षा में इस साल बडा फेरबदल हुआ। इसे अब सिविल सर्विसेज एप्टीट्यूड टेस्ट यानि सी-सैट नाम दिया गया। इसके तहत सिविल सर्विसेज में सब्जेक्टिव पेपर हटाकर उसकी जगह एप्टीट्यूड का प्रश्नपत्र जोडा गया है। इस बदलाव से आईएएस कंपटीशिन की तैयारियों में लगे अलग-अलग पृष्ठभूमि वाले छात्रों के लिए राहें और बेहतर हुई हैं।

    टीईटी - टीचर बनने का नया पैरामीटर

    अब आपका अध्यापक बनने का सपना तभी पूरा होगा, जब आप टीईटी यानि टीचर इलिजिबिलिटी टेस्ट क्वालीफाई किए हों। शिक्षा के अधिकार के तहत सरकार की बडी संख्या में अध्यापक चयन की मंशा यहां युवाओं को नए अवसर दे रही है।

    कॉमन रिटन एग्जाम (सीडब्लूई)

    पहले जहां हर बैंक अपनी परीक्षा अलग-अलग मापदंडों पर लेती थी। अब सभी समान योग्यता वाले छात्र एक ही प्रकार की परीक्षा पास कर बैंक जॉब्स पा सकते हैं। केवल यही नहीं इस साल मेडिकल के साथ-साथ प्रबंधन परीक्षाओं में भी कई बदलाव पनपे। ये चीजें यदि अपने अंजाम तक पहुंची तो तय हैकि आने वाले सालों में देश में शिक्षा के साथ प्रतियोगी परीक्षाओं का भी चेहरा काफी कुछ अलग हो जाएगा।

    अर्थव्यवस्था के कई रूप

    सन् 2011 में घटनाओं के गुलदस्ते में केवल फूल ही फूल नहीं रहे बल्कि इसमें कुछ कांटे भी मौजूद रहे। सही मायने में यह साल आर्थिक मंदी, रुपए की घटती ताकत, इन्फ्लेशन के कांटों से भरा रहा। इस प्रकार कह सकते हैं कि यह साल काफी बदलाव वाला रहा।

    घटी ग्रोथ

    इस बार देश में अर्थव्यवस्था के लिए नईऊंचाईपाने से ज्यादा अहम रहा ग्रोथ बरकारार रखना। लेकिन वैश्विक मंदी का प्रभाव देशी अर्थवयवस्था पर भी दिखा। देश का औद्योगिक उत्पादन नीचे आया,तो ग्रोथ रेट की घटती रफ्तार भी पूरे साल चिंता का सबब बनी रही।

    ऑक्यूपाईवॉल स्ट्रीट

    अब तक चुपचाप मंदी की मार झेल रहे लोग सडको पर दिखे। दुनिया में फैली आर्थिक मंदी के चलते सरकारों के खिलाफ यह गुस्सा हिंसक प्रदर्शनों का रूप ले चुका है। अमेरिका में इन प्रदर्शनों को ऑक्यूपाई वॉलस्ट्रीट का नाम दिया गया। जैेसे-जैसे सरकारें मंदी के तूफान को रोक पाने में विफल हो रही है, वैसे-वैसे यह आंदोलन भी तेज होता जा रहा है। अब तो इसकी तर्जपर लगभग समूचे यूरोप में स्थानीय बैकों व सरकार के खिलाफ प्रदर्शन बढते जा रहे है।

    टाटा को मिला वरिस

    इस साल लंबे इंतजार के बाद रतन टाटा को अपना वारिस मिल ही गया। शोपोरजी पेल्लोनजी ग्रुप के चेयरमैन साइरस मिस्त्री को टाटा एंड सन्स का नया मुखिया घोषित किया गया। वे दिसंबर 2012 में टाटा समूह के चेयरमैन रतन टाटा के सेवानिवृत होने के बाद समूह की बागडोर संभालेंगे। जोशीले हाथों में कंपनी की बागडोर, निश्चित रूप से कंपनी के निर्णयों पर आनेवाले समय में अपना असर डालेगी। इस प्रकार वर्ष 11 को बदलावों का वर्ष कहा जा सकता है, जिससे आने वाले समय में बदलाव की बयार और तेज होगी।

    जेआरसी टीम