तंगी की मार झेल रहे परिवार ने की इच्छामृत्यु की मांग
पिछले 14 वर्षो से आर्थिक तंगी झेल रहे इस परिवार के सब्र का बांध अब टूट चुका है।

धनबाद, बलवंत कुमार। धनबाद जिले के बरवाअड्डा थानांतर्गत गोरगा गांव निवासी दिवंगत बासुदेव रजक के परिवार के सदस्य आर्थिक तंगी से ऊबकर अब जीना नहीं चाहते। पिछले 14 वर्षो से आर्थिक तंगी झेल रहे इस परिवार के सब्र का बांध अब टूट चुका है। यही कारण है कि परिवार के सदस्यों ने प्रधानमंत्री से इच्छामृत्यु की मांग की है।
इस परिवार के लोग अपनी बदहाली के लिए कोल इंडिया की अनुषंगी ईकाई बीसीसीएल को दोषी मानते हैं। बीसीसीएल की वासुदेवपुर कोलियरी में कार्यरत बासुदेव रजक की वर्ष 2003 में 20 दिसंबर को एक सड़क दुर्घटना में मौत हो गई थी। कंपनी ने उस समय यह कहकर आश्रित पुत्र मिथुन को नियोजन नहीं दिया था कि वह अभी नाबालिग है। उस समय उसकी उम्र छह साल थी। इस पर पुत्र ने नियोजन के लिए अपनी बड़ी बहन चिंता देवी का नाम प्रस्तावित किया, लेकिन कंपनी ने इन्कार कर दिया था।
आज हादसे के 14 साल बीत गए लेकिन परिवार के किसी सदस्य को नौकरी नहीं मिल सकी है। मिथुन की एक बहन कविता कैंसर से पीडि़त है। उसके इलाज के लिए भी उसके पास पैसे नहीं हैं। परिवार का भरण-पोषण भी मुश्किल हो गया है। मिथुन ने बताया कि अब तक नौकरी नहीं मिलने से उसके पास इच्छामृत्यु के सिवा और कोई रास्ता नहीं बचा है। इसके लिए उसने एक वीडियो बनाकर सोशल साइट पर अपलोड किया है। उसके बहनोई भूषण रजक ने बताया कि वे लोग काफी दिनों से नियोजन के लिए प्रयास कर रहे हैं। परिवार की आर्थिक स्थिति काफी दयनीय है।
केवल मिलता है आश्वासन
मिथुन ने वर्ष 2016 के अप्रैल माह में बीसीसीएल में एक बार फिर नियोजन के लिए आवेदन किया। उस पर प्रबंधन रेस तो हुआ, लेकिन फिर आश्वासन के सिवा कुछ नहीं मिला।
यह मामला काफी पुराना है। इसे गंभीरता से देखा जाएगा। यदि नियम संगत मामला पाया गया तो उचित कार्रवाई की जाएगी।
- बीके पांडा, निदेशक कार्मिक, बीसीसीएल
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