ये बीडीओ बच्चों के बाल काटते हैं, घर का छप्पर ठीक करते हैं
हम बात कर रहे हैं झारखंड प्रशासनिक सेवा में सीमित परीक्षा से चयनित एक ऐसे अधिकारी की, जो आज भी अपने गांव में पहुंच कर बच्चों के बाल काटते हैं।

चाईबासा (पश्चिम सिंहभूम), ब्रजेश मिश्र। लोकतंत्र में कार्यपालिका की कार्यप्रणाली को लेकर अक्सर सवाल उठते हैं। प्रशासनिक अधिकारियों के खिलाफ आरोप और भ्रष्टाचार की कहानियां भी आए दिन सुर्खियां बटोरती हैं लेकिन इन सबके बीच बहुत सारे प्रशासनिक अधिकारी ऐसे हैं, जिनकी कार्यप्रणाली सबके लिए मिसाल बन सकती है।
हम बात कर रहे हैं झारखंड प्रशासनिक सेवा में सीमित परीक्षा से चयनित एक ऐसे अधिकारी की, जो आज भी अपने गांव में पहुंच कर बच्चों के बाल काटते हैं। लोगों के घर की छप्पर पर चढ़कर उसकी मरम्मत करते हैं। अपनी कमाई के पैसे से बच्चों की पढ़ाई का खर्च उठाते हैं। गांव के लोगों को खेती के नये-नये तरीके बताते हंै। पश्चिम सिंहभूम जिले के हाटगम्हरिया प्रखंड के प्रखंड विकास पदाधिकारी के पद पर तैनात सोमनाथ बांकिरा उन चुनिंदा प्रशासनिक पदाधिकारियों में शुमार हैं। जिनके नाम यह सबकुछ करने का विशेष रिकार्ड दर्ज है। राज्य के स्थापना दिवस समारोह पर पश्चिम सिंहभूम के उपायुक्त डॉ. शांतनु कुमार अग्रहरि की ओर से सोमनाथ बांकिरा को उनकी उत्कृष्ट सेवाओं के लिए पुरस्कृत किया है। हाटगम्हरिया में हुई एक सड़क दुर्घटना के दौरान सोमनाथ बांकिरा ने बगैर किसी देरी के पांच लोगों को अपनी गाड़ी में उठाकर इलाज के लिए अस्पताल तक पहुंचाया था। उपायुक्त ने इस कार्य के लिए बीडीओ की भरपूर सराहना की।
-सरायकेला-खरसावां के कुचाई प्रखंड के निवासी सोमनाथ बांकिरा की गांव में गजब लोकप्रियता
-उत्कृष्ट सेवा के लिए पश्चिमी सिंहभूम के उपायुक्तडॉ. शांतनु कुमार अग्रहरि ने किया पुरस्कृत
निश्चित रूप से सोमनाथ बांकिरा योग्य अधिकारी हैं। प्रशासनिक अधिकारी के रूप में अपने दायित्वों का निर्वहन करने के साथ-साथ सामाजिक गतिविधियों में उनकी रूचि दूसरे अधिकारियों के लिए प्रेरणा देने वाली है। जिला प्रशासन की ओर से ऐसे अधिकारी को पुरस्कृत किया गया है।
डॉ. शांतनु कुमार अग्रहरि, उपायुक्त, पश्चिम सिंहभूम
जामताड़ा व गिरिडी में सेवा दे चुके हैं बांकिरा
पूर्व में जामताड़ा में प्रशिक्षु के रूप में अपनी सेवाएं दीं। फिर एक माह के लिए कुंडिया में बीडीओ रहे। हजारीबाग, गिरीडीह में अलग-अलग पदों पर सेवाएं देने वाले बांकिरा ने बड़कागांव में आदिम जनजातियों के विकास के लिए काफी काम किया है। स्कूल में मिला अनुशासन और सिंद्धात आज भी बांकिरा के जीवन में कायम हैं। पत्नी गांव की मुखिया हैं। गांव के बच्चों में बांकिरा की जबरदस्त लोकप्रियता है।

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