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    साइंस सिटी के भवन निर्माण में भारी घपला, कार्रवाई का आदेश

    By Sachin MishraEdited By:
    Updated: Tue, 11 Apr 2017 10:09 AM (IST)

    साइंस सिटी परिसर में बन रहे तकनीकी विश्वविद्यालय के भवन निर्माण में भारी अनियमितता बरती गई।

    साइंस सिटी के भवन निर्माण में भारी घपला, कार्रवाई का आदेश

    प्रणव, रांची। राजधानी के नामकुम स्थित साइंस सिटी परिसर में बन रहे तकनीकी विश्वविद्यालय के भवन निर्माण में भारी अनियमितता बरती गई। कायदे-कानून को ताक पर रखकर इसका निर्माण कार्य कराया गया है। इसके लिए लोकायुक्त जस्टिस डीएन उपाध्याय ने विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के तत्कालीन सचिव एल ख्यांग्ते को जिम्मेदार ठहराया है। उनके खिलाफ उचित कानूनी कार्रवाई करने का आदेश दिया है।

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    लोकायुक्त कार्यालय ने मुख्य सचिव राजबाला वर्मा को पत्र भेज कर आदेश दिया है कि एल ख्यांग्ते पर तीन माह में कार्रवाई कर इसकी जानकारी उपलब्ध कराएं। ख्यांग्ते फिलहाल झारखंड के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी हैं। धनबाद निवासी परिवादी गिरिधारी महतो ने लोकायुक्त कार्यालय में 2011 में इस मामले की शिकायत दर्ज कराई थी।

    लोकायुक्त ने पहले 24 नवंबर 2011 को विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव से रिपोर्ट तलब की थी। लेकिन जो जांच प्रतिवेदन विभाग ने दिया, उसे परिवादी ने अस्पष्ट बताया। इसके बाद लोकायुक्त कार्यालय ने तीन अक्टूबर 2012 को मंत्रिमंडल निगरानी आयुक्त को विभिन्न बिंदुओं पर जांच कर रिपोर्ट देने को कहा। रिपोर्ट मिलने के बाद लोकायुक्त कोर्ट ने सचिव के खिलाफ कार्रवाई का आदेश पारित किया है।

    नियम को ताक पर रख कराया गया कार्य

    लोकायुक्त ने अपने आदेश में कहा है कि रांची के नामकुम स्थित साइंस सिटी परिसर में निर्माणाधीन तकनीकी विश्वविद्यालय के भवन निर्माण कार्य के लिए विभाग द्वारा कोई टेंडर नहीं निकाला गया और न ही भवन निर्माण विभाग से किसी प्रकार का सहयोग लिया गया। वहीं एनआरईपी-1, रांची को विश्वविद्यालय के भवन निर्माण का कार्य सुपुर्द करने से पूर्व कोई प्रशासनिक स्वीकृति नहीं ली गई।

    एनआरइपी-1 के कार्यपालक अभियंता ने स्वयं कार्य संपादित करने की जवाबदेही ग्रहण कर ली और भवन निर्माण का कार्य आरंभ कर दिया। लोकायुक्त ने कहा है कि उपरोक्त तथ्यों से साफ है कि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के तत्कालीन सचिव एल ख्यांग्ते द्वारा दो करोड़ रुपये की निकासी और उसका भुगतान नियमों को ताक पर रखकर एनआरइपी-1 के कार्यपालक और कनीय अभियंता को किया गया जो एकदम अनुचित और अमान्य है। 

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