कुंदन पाहन के सरेंडर पर हाईकोर्ट ने लिया संज्ञान, प्रजेंटेशन देने का आदेश
जिस आदमी पर 128 मामले चल रहे है, उसको सरकार 15 लाख रुपये दे रही है। यह बात हाई कोर्ट के वकील हेमंत ने कही।

रांची, जेएनएन। झारखंड हाई कोर्ट ने कुंदन पाहन के सरेंडर पर स्वत संज्ञान लिया है। कोर्ट ने मीडिया में आई खबर पर संज्ञान लिया है। कोर्ट में यह मामला हेमंत सिकरवार और शाहदाब ने उठाया।
कोर्ट ने हेमंत को प्रजेंटेशन देने का आदेश दिया है। हाई कोर्ट के वकील हेमंत ने कहा कि जिस आदमी पर 128 मामले चल रहे है, उसको सरकार 15 लाख रुपये दे रही है।
आतंक का पर्याय कहा जाने वाला दुर्दांत नक्सली कुंदन पाहन ने रविवार को डीआइजी रांची रेंज अमोल वीणुकांत होमकर के कार्यालय परिसर में ऑपरेशन नई दिशा के तहत विधिवत सरेंडर किया था। भाकपा माओवादी के इस रिजनल सचिव पर 15 लाख रुपये का इनाम था।
वहीं, कुख्यात नक्सली कुंदन पाहन के सरेंडर पर आजसू विधायक विकास मुंडा बिफर पड़े हैं और वे अनिश्चितकालीन अनशन भी बैठ गए हैं। विधायक पूरे प्रकरण की सीबीआइ से जांच कराने की मांग कर रहे हैं। रविवार को मोरहाबादी मैदान स्थित महात्मा गांधी की प्रतिमा के सामने अनिश्चितकालीन अनशन पर बैठे विधायक ने कहा कि हत्या, लूट, बारूदी सुरंग विस्फोट समेत 128 कांडों के आरोपी को गिरफ्तार करने या मार गिराने के बजाय पुलिस ने उसके सामने घुटने टेकते हुए सरेंडर की पटकथा खुद लिखी है। ज्ञात हो कि विधायक के पिता और पूर्व विधायक रमेश सिंह मुंडा की हत्या में भी कुंदन नामजद अभियुक्त है।
विधायक ने मांग रखी है कि हत्यारे कुंदन पाहन के आत्मसमर्पण प्रकरण की जांच सीबीआइ से कराई जाए। विधायक ने झारखंड पुलिस और सरकार के निर्णय पर सवाल उठाते हुए पूछा है कि पूर्व मंत्री रमेश सिंह मुंडा, डीएसपी प्रमोद कुमार, इंस्पेक्टर फ्रांसिस इंदवार के अलावा कई बेकसूर ग्रामीणों की हत्या और मासूम बच्चों को दस्ता में ले जाने के आरोपी को 15 लाख रुपये का चेक देना कैसा न्याय है। विधायक ने कहा कि उनके पिता लोकप्रिय नेता थे।
उनकी हत्या का दर्द क्या पुलिस वालों या कुंदन को है? फ्रांसिस इंदवार की पत्नी और परिवार का दर्द इस रवैये से बढ़ेगा। कहा कि कुंदन पाहन के खिलाफ बिना किसी प्रत्यक्ष - परोक्ष के पुलिस और सरकार मजबूती से कोर्ट में अपना पक्ष रखे। सबूत पेश करे। गवाही दिलाए ताकि उसे फांसी की सजा मिल सके। विधायक ने सवाल खड़ा किया कि जिस नक्सली को गिरफ्तार किया जा सकता था या मारा जा सकता था, उसकी आवभगत करते हुए आत्मसमर्पण कराने के सूत्रधार पुलिस अधिकारियों को चिन्हित करके उनके खिलाफ अविलंब कड़ी कारवाई की जाए।

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