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    सीएनटी संशोधन बिल दोबारा लाया तो जलेगा झारखंड: हेमंत

    By Sachin MishraEdited By:
    Updated: Tue, 27 Jun 2017 09:15 AM (IST)

    हेमंत सोरेन ने सीएनटी-एसपीटी संशोधन बिल वापसी पर सरकार पर जमकर निशाना साधा।

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    सीएनटी संशोधन बिल दोबारा लाया तो जलेगा झारखंड: हेमंत

    राज्य ब्यूरो, रांची। राजभवन से सीएनटी-एसपीटी संशोधन बिल वापसी के बाद विपक्ष के तेवर आक्रामक हो गए हैं। नेता प्रतिपक्ष हेमंत सोरेन ने सोमवार को इस मसले पर सरकार की चौतरफा घेराबंदी की। राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू की प्रशंसा करते हुए उन्होंने राज्य सरकार को चेतावनी दे डाली कि अगर दोबारा सीएनटी-एसपीटी में संशोधन का बिल लाने की कोशिश की गई तो झारखंड जलेगा।

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    सरकार को ऐसा दुस्साहस नहीं करना चाहिए। अगर ऐसा हुआ तो झारखंड मुक्ति मोर्चा सड़क से लेकर सदन तक आंदोलन करेगा। लगे हाथों उन्होंने यह भी नसीहत दी कि सरकार बिल वापस ले और स्थानीयता नीति को भी फिर से परिभाषित करे। हेमंत सोरेन ने मुक्त कंठ से राज्यपाल की प्रशंसा के पुल बांधते हुए कहा कि अगर इस पद पर एक आदिवासी महिला आसीन नहीं होती तो न जाने राज्य का क्या होता? यह मामला सिर्फ सीएनटी-एसपीटी में संशोधन तक सीमित नहीं है।

    स्थानीयता को फिर से परिभाषित करने की मांग को उन्होंने राज्य की पहचान से जुड़ा बताया। कहा, बाहरी लोग हमारी नौकरियों पर कब्जा कर रहे हैं। सबको स्थानीय प्रमाणपत्र दिया जा रहा है। वर्षो से खतियान के आधार पर स्थानीय प्रमाणपत्र देने की व्यवस्था थी जिसे मुख्यमंत्री रघुवर दास ने समाप्त कर दिया। नियोजन नीति से कई जिलों में पिछड़े वर्ग के युवाओं को नौकरी के दरवाजे बंद हो गए हैं।

    अफसरों पर भी कसे तंज

    नेता प्रतिपक्ष हेमंत सोरेन ने राज्य सरकार के आला अफसरों को भी निशाने पर लेते हुए कहा कि सभी एक दल विशेष के लिए काम कर रहे हैं। यही वजह है कि बिल वापसी किए जाने की कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं कर रहा है। चुनाव आयोग द्वारा अफसरों पर कार्रवाई के निर्देश के पत्र को भी अफसरों ने दबाने की कोशिश की।

    अफसरों ने लिए ज्यादा भत्ते

    नेता प्रतिपक्ष हेमंत सोरेन ने आरोप लगाया कि सरकार उद्योगपतियों के लिए मेला लगा रही है। उन्हें हवाई जहाज से ढोकर ला रही है। सारे मंत्री सैर-सपाटा में लगे हैं। बड़े आयोजनों में मनमाना खर्च हो रहा है। आला अधिकारियों ने अमेरिका टूर पर जितनी राशि का भुगतान कर टिकट लिया उससे ज्यादा यात्रा भत्ता सरकार से लिया। सरकार ने 140 करोड़ रुपए फसल बीमा का भुगतान बीमा कंपनी को किया। इसके जरिए आठ लाख किसानों का बीमा हुआ लेकिन 100 से ज्यादा किसानों को फसल नुकसान का लाभ नहीं मिला। 

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