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    झारखंड में सरकार को अस्थिर करने की साजिश के तार विदेश से जुड़े

    By Sachin MishraEdited By:
    Updated: Sun, 03 Sep 2017 11:57 AM (IST)

    झारखंड में सरकार के खिलाफ भड़काने तथा देश विरोधी गतिविधियों की साजिश रचने के तार विदेश से जुड़े हुए हैं।

    झारखंड में सरकार को अस्थिर करने की साजिश के तार विदेश से जुड़े

    दिलीप कुमार, रांची। झारखंड के गांवों में समानांतर सरकार चलाने, आदिवासियों को सरकार के खिलाफ भड़काने व देश विरोधी गतिविधियों की साजिश रचने के तार विदेश से जुड़े हुए हैं। साजिश रचने में पुलिस ने एक ऐसे शख्स की पहचान की है, जो नेपाल की थारू जनजाति का सदस्य है।

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    वह आदिवासियों के मामलों को संयुक्त राष्ट्र में उठाकर इसका अंतरराष्ट्रीयकरण करने की साजिश में जुटा हुआ है। यह सूचना विशेष शाखा के माध्यम से सरकार को सौंपी गई है।

    इससे पूर्व उस इलाके में सरकारी कर्मचारियों के प्रवेश को प्रतिबंधित करने की कोशिश की गई थी, जिसमें कई पुलिस वाले हिंसा के शिकार हुए थे। रिपोर्ट के अनुसार, नेपाल के उक्त शख्स के इशारे पर आदिवासियों को भड़का कर सरकार को अस्थिर करने की साजिश में खास वर्ग का प्रतिनिधित्व करने वाले विजय कुजूर व बबीता कच्छप समेत कई लोग शामिल हैं।

    हाल में सुनियोजित साजिश के तहत खूंटी में पुलिस अधिकारियों व कर्मचारियों को 12 घंटे तक बंधक बनाकर उन्हें भूखे-प्यासे जमीन पर बैठाकर रखा गया था। इससे पूर्व पुलिस वालों को खूंटी जिले के ही मुरहू में बंधक बनाकर रस्सी से बांधकर पिटाई की गई थी।

    उस इलाके का माहौल ऐसा बनाया जा रहा है कि पुलिस-प्रशासन का इलाके में प्रवेश कठिन हो गया है और सरकार के नियमित कार्य सहित तमाम विकास कार्य बाधित हो रहे हैं। इन सबके मद्देनजर पुलिस ने उपद्रव के आरोप में विजय कुजूर व बबीता कच्छप समेत कई लोगों के खिलाफ अक्टूबर, 2016 से अब तक खूंटी और मुरहू थाने में चार प्राथमिकी दर्ज की है।

    विशेष शाखा की रिपोर्ट में यह स्पष्ट जिक्र है कि आदिवासी महासभा के विजय कुजूर व बबीता कच्छप समेत कई लोग संविधान की गलत व्याख्या कर साजिशन भोले-भाले आदिवासियों को भड़का रहे हैं। उन्होंने योजनाबद्ध तरीके से आदिवासियों को सीएनटी-एसपीटी एक्ट में संशोधन प्रस्ताव के खिलाफ भी भड़काया। इस क्रम में वे पत्थलगड़ी के लिए छत्तीसगढ़ भी गए थे।

    झारखंड और छत्तीसगढ़ के साथ ही ओडिशा, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र आदि राज्यों में भी पत्थलगड़ी का काम हो रहा है। इसके तहत आदिवासियों को भड़का कर यह समझाने की साजिश रची जा रही है कि अधिसूचित क्षेत्र में बिना ग्राम सभा की अनुमति के कोई भी गैर आदिवासी या प्रशासनिक अधिकारी गांव में प्रवेश नहीं कर सकता है। एक तरह से ग्राम सभा को सरकार से भी ऊपर बताने की कोशिश की जा रही है।

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