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    भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष ने बगैर सहमति शामिल किए 22 कार्यसमिति सदस्य

    By Sachin MishraEdited By:
    Updated: Fri, 28 Apr 2017 11:04 AM (IST)

    प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुवा ने बगैर पदाधिकारियों को विश्वास में लिए 22 नए सदस्य कार्यसमिति में शामिल कर लिए।

    भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष ने बगैर सहमति शामिल किए 22 कार्यसमिति सदस्य

    राज्य ब्यूरो, रांची। भाजपा प्रदेश कार्यसमिति एक बार फिर विवादों में हैं। मसला ताला मरांडी की विवादित कार्यसमिति से मिलता-जुलता है। प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुवा ने बगैर पदाधिकारियों को विश्वास में लिए 22 नए सदस्यों को कार्यसमिति में शामिल कर लिया है और वह भी पलामू में 29-30 अप्रैल को होने वाली प्रदेश कार्यसमिति के ठीक तीन दिन पूर्व। गिलुवा ने इस मामले में मुख्यमंत्री रघुवर दास से भी परामर्श करना उचित नहीं समझा।

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    अपेक्षाकृत शांत स्वभाव के लक्ष्मण गिलुवा द्वारा इस कदम को उठाए जाने से पार्टी में खासा हड़कंप है। नए सदस्यों का कार्यसमिति में शामिल किए जाने की जानकारी प्रदेश अध्यक्ष के अलावा सिर्फ कार्यालय प्रभारी हेमंत दास तक ही सीमित रही है। पार्टी के किसी उपाध्यक्ष, महामंत्री और प्रवक्ता से इस जानकारी को साझा नहीं किया गया है। आमतौर पर कार्यसमिति में विस्तार से पूर्व प्रदेश अध्यक्ष पदाधिकारियों के साथ बैठक कर नामों पर सहमति बनाते हैं, लेकिन इस बार ऐसा कुछ नहीं किया गया।

    भाजपा के एक प्रदेश पदाधिकारी ने स्वीकारा कि बुधवार को प्रदेश अध्यक्ष ने नए सदस्यों को शामिल किया है, लेकिन अपने इस निर्णय में उन्होंने पदाधिकारियों को शामिल नहीं किया। हालांकि यह भी कहा कि यह प्रदेश अध्यक्ष के अधिकार क्षेत्र के अंतर्गत आता है वे किसी को भी शामिल कर सकते हैं।

    इन सदस्यों को किया गया शामिल

    मो. कमाल खान, प्रेम मित्तल, कृपाशंकर सिंह, राजश्री जयंति, मुकेश निरंजन सिन्हा, विजय कुमार सिंह, ओम प्रकाश तिवारी, श्याम नारायण दुबे, अजय दुबे, लक्ष्मी कुमारी, जयदेव राम, ईश्वर सागर, अरविंद कुमार सिंह, ब्रजमोहन राम, गामा सिंह, अजय मारू, मनोज महतो बाजपेयी, गरीब दास, अमिता भाटिया, सीमा पात्र व सुनील साहू।

    109 की कार्यसमिति में 22 नाम और जुड़े

    भाजपा प्रदेश कार्यसमिति में 22 नाम और जुड़ने से लक्ष्मण गिलुवा की टीम का दायरा बढ़कर 131 हो गया है। पूर्व की घोषित कार्यसमिति में 33 पदाधिकारी और 76 कार्यसमिति सदस्य शामिल थे। इसके अलावा 44 विशेष आमंत्रित सदस्य और सात मोर्चा अध्यक्षों को गिलुवा ने अपनी टीम में जगह दी थी। विदित हो कि ताला मरांडी ने अपनी कार्यसमिति के समय किसी को विश्वास में नहीं लिया था। उनकी इस कदम के कारण विवादित कार्यसमिति कर कर उन्हें अध्यक्ष पद से हटाया गया था।

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