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खत्म कर दिए गए मजदूरों के अधिकार : सुबोधकांत

रांची : फुटपाथ दुकानदारों के लिए यूपीए सरकार में कानून बनाया गया, लेकिन वर्तमान सरकार अबतक उस कानून

By JagranEdited By: Published: Sun, 14 May 2017 07:18 PM (IST)Updated: Sun, 14 May 2017 07:18 PM (IST)
खत्म कर दिए गए मजदूरों के अधिकार : सुबोधकांत
खत्म कर दिए गए मजदूरों के अधिकार : सुबोधकांत

रांची : फुटपाथ दुकानदारों के लिए यूपीए सरकार में कानून बनाया गया, लेकिन वर्तमान सरकार अबतक उस कानून को लागू नहीं कर पाई। मजदूरों के जितने भी अधिकार थे, वे खत्म कर दिए गए। ये बातें बतौर मुख्य अतिथि पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय ने कही। वे रविवार को विधानसभा सभागार में आयोजित कंफेडरेशन ऑफ फ्री ट्रेड यूनियन ऑफ इंडिया (सीएफटीयूआइ) के राष्ट्रीय सम्मेलन में उपस्थित लोगों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि एचईसी क्षेत्र में पूर्व में लगभग 25 हजार मजदूर कार्यरत थे। पर, अब मात्र 2,100 मजदूर ही कार्यरत हैं। शेष सभी मजदूर ठेका पर कार्यरत हैं। पुरानी श्रमिक यूनियन निष्क्रिय हो गई हैं।

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सीएफटीयूआइ के राष्ट्रीय अध्यक्ष कंका राव ने कहा कि 1923 में मात्र 44 ट्रेड यूनियनें थीं। वर्तमान में 21 राज्यों में कंस्ट्रक्शन, स्टील इंडस्ट्री, माइंस समेत 11 सेक्टर में असंगठित मजदूर कार्यरत हैं। झारखंड हिंद मजदूर सभा के कार्यकारी अध्यक्ष सुधीर कुमार सहाय ने कहा कि आजादी के बाद व आज की ट्रेड यूनियनों की कार्यशैली में बदलाव आया है। जब एचईसी की स्थापना हुई थी, तो एक उद्देश्य था। पर, अचानक सरकारी नीति बनी और अपना कमाओ, अपना खाओ का सिद्धांत लागू कर दिया गया। सब्सिडी सिस्टम खत्म हो गया और ठेकेदारी प्रथा लागू कर दी गई। आउटसोर्सिग की व्यवस्था लागू कर दी गई। प्रबंधन का रुख बदल गया। वर्तमान में 96 फीसद मजदूर असंगठित क्षेत्र से हैं। मात्र चार फीसद मजदूर ही वेतनधारी हैं, जो निबंधित श्रमिक संगठन में शामिल हैं। संगठित क्षेत्र के मजदूरों के लिए 16 फैसिलिटी हैं।

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पहले अपना घर सुधारें, तब दें दूसरों को निर्देश : पवन

फेडरेशन ऑफ झारखंड चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज (एपजेसीसीआइ) के पूर्व अध्यक्ष पवन शर्मा ने कहा कि जबतक हम अपना घर नहीं सुधारेंगे, दूसरों को निर्देश नहीं दे सकते हैं। कहा, 70 फीसद मजदूरों को यह नहीं पता कि उनकी न्यूनतम मजदूरी क्या है। ट्रेड यूनियनों के कारण कई कंपनियों ने आउटसोर्सिग कर लिया है। काम करनेवालों को अपना हक मांगना चाहिए। कहा, आपको जब कभी भी चेंबर ऑफ कॉमर्स का सहयोग चाहिए, हम तैयार हैं। यदि सभी लोग जागरूक हो जाएं, तो वह दिन दूर नहीं, जब सभी को अपना हक मिलेगा। गुड्स ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के संजय जैन ने कहा कि ट्रांसपोर्ट से संबंधित मजदूरों का कोई भी मामला सामने आता है, तो समस्या उत्पन्न होने से पूर्व ही समाधान की कोशिश की जाती है। उन्होंने उपस्थित लोगों को आश्वस्त करते हुए कहा कि ट्रांसपोर्ट सेक्टर में मजदूरों का शोषण नहीं होगा। सचिव मिथिलेश मिश्र ने कहा कि आजादी के बाद प्रथम व द्वितीय पंचवर्षीय योजना तक कृषि व औद्योगिक क्षेत्र से सकल घरेलू आय 70 फीसद था। हालांकि, अब दोनों हाशिए पर चले गए हैं। वर्तमान में 60 फीसद सकल घरेलू आय सेवा क्षेत्र से मिल रही है। फिर भी मजदूरों को उसके अनुरूप लाभ नहीं मिल रहा है। केंद्र सरकार ने मनरेगा के तहत अकुशल मजदूरों के लिए 100 दिनों का रोजगार सुनिश्चित किया है। फिर भी अधिकांश मजदूरों को सौ दिनों का रोजगार नहीं मिल रहा है।

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मजदूरों के हित में किए गए कार्यो को बताया गया

सम्मेलन में राज्य के विभिन्न जिलों से आए मजदूर प्रतिनिधियों व राष्ट्रीय नेताओं ने विभिन्न संगठित व असंगठित क्षेत्रों में मजदूरों के हित के लिए किए गए कार्यो का उल्लेख किया। कहा, संगठित व असंगठित क्षेत्रों में मजदूरों के अधिकारों की रक्षा के लिए संगठन को मजबूत बनाने की जरूरत है। मौके पर कृष्ण मोहन सिंह, बोकारो के राजेंद्र महतो, सीएफटीयूआइ के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष अजीत श्रीवास्तव, ऋषिकेश मिश्र, नितिन कुमार, कात्यायनी प्रसाद, तूलिका बर्मन, कार्तिक महतो, मुरलीधर घटवार समेत कई उपस्थित थे।


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