छात्रवृत्ति के लिए दे दिए फर्जी प्रमाण पत्र, ऐसे खुला राज
छात्रवृत्ति के लिए दिए गए आवेदनों में फर्जी प्रमाण पत्रों का इस्तेमाल किया गया है।

शक्ति सिंह, रांची। पोस्ट मैट्रिक में छात्रवृत्ति के लिए दिए गए आवेदनों में जमकर फर्जी प्रमाण पत्रों का इस्तेमाल किया गया है। आवेदन सत्यापन के दौरान 15 हजार प्रमाण पत्रों को फर्जी पाया गया। जांच में इसकी पुष्टि हुई।
रांची जिला कल्याण कार्यालय सभी आवेदन को तत्काल निरस्त कर दिया गया है। इसमें फर्जी आय, जाति और आवासीय प्रमाण पत्र का उपयोग किया गया था। छात्रवृत्ति के लिए आवेदन सरकारी और निजी शिक्षण संस्थानों से आए थे।
पहली बार लिया गया ऑनलाइन आवेदन:
छात्रवृत्ति के लिए पहली बार ऑनलाइन आवेदन छात्रों से लिया गया, जिन आवेदकों को आवेदन देने में देरी हुआ था। उनके लिए आवेदन जमा करने की तिथि में बढोतरी भी की गई, ताकि कोई भी आवेदक छात्रवृत्ति से वंचित न रहे। पिछले वित्तीय वर्ष में छात्रों से मैनुअल तरीके से आवेदन लिया जाता था, पर अब ऐसा नहीं होगा।
50 हजार तक की दी जाती है छात्रवृत्ति:
छह हजार रुपये से पचास हजार रुपये तक छात्रों को छात्रवृत्ति दी जाती है। कोर्स के मुताबिक छात्रवृत्ति में बढ़ोतरी हो जाती है। इसमें राज्य में पढ़ने वाले छात्र और राज्य से बाहर पढ़ने वाले छात्रों को छात्रवृत्ति दी जाती है। छात्रों को यह छात्रवृत्ति डीबीटी के माध्यम से उनके खाते में डाल दी जाती है।
आवेदक बदल देते हैं सब कुछ
छात्रवृत्ति के लिए बड़ी चालाकी से आवेदक प्रमाण पत्र में सब कुछ बदल देते हैं। दरअसल प्रमाण पत्र किसी और का होता है, उसमें फर्जी तरीके से संशोधन कर नाम और पता बदल दिया जाता है और इसी प्रमाण पत्र के सहारे आवेदक अपनी छात्रवृत्ति के लिए आवेदन करते हैं। देखने पर ओरिजनल सर्टिफिकेट जैसा ही लगता है। जांच होती है, तो पता चलता है कि संबंधित नाम का कोई भी आय और जाति प्रमाण पत्र निर्गत नहीं हुआ है।
संबंधित नंबर के प्रमाण पत्र में नाम और पता किसी और का दर्ज है। इस तरह का काम कई आवेदकों के द्वारा किया गया है। यही कारण है कि जिला कल्याण कार्यालय सभी संदिग्ध प्रमाण पत्रों की जांच बारी-बारी करवा रहा है। हालांकि, कुछ छात्रों का कहना था कि वह जानबूझकर फर्जी प्रमाण पत्र नहीं डाले थे। बल्कि, दलाल के चक्कर में फंस के उन्हें फर्जी प्रमाण पत्र दे दिया है। पैसा भी ले लिया और फर्जी प्रमाण पत्र दे दिए।
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छात्रवृत्ति को लेकर इस तरह के मामले आए हैं। पहले भी इस तरह के मामले आए थे। लेकिन, पहले से संख्या में कमी आई है। हालांकि, वर्तमान में जो मामले आए हैं, वह संज्ञान में हैं। इन्हें निरस्त कर दिया गया है।

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