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    झारखंड में भी हो जनजातीय आयोग का गठन

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    Updated: Tue, 10 Dec 2013 09:54 PM (IST)

    रांची : अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस पर मंगलवार को एचआरडीसी सभागार में आदिवासियों की स्थिति पर कार्यशाला हुई। आयोजन नेटवर्क ऑफ एडवोकेट्स फॉर राइट्स एंड एक्शन के सहयोग से किया गया। जेवियर कुजूर ने कहा कि आदिवासी मामलों को देखने के लिए कोई भी आयोग का गठन नहीं हुआ है। आदिवासी मामलों की अनदेखी की जाती है। अत: छत्तीसगढ़ की तर्ज पर झारखंड में भी जनजातीय आयोग का गठन हो। फिलीप कुजूर ने मानवाधिकार के कई पहलुओं की जानकारी दी।

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    उमेश नजीर ने कहा कि झारखंड में बाजारवाद के कारण मानवाधिकार का हनन होता है। कॉरपोरेट हित को साकार करने की लड़ाई चल रही है। शेषनाथ वर्णवाल ने राष्ट्रीय नीति में बच्चों की स्कीम व सुनील सिंह ने महिला आयोग की उदासीनता पर चर्चा की। अधिवक्ता अनूप अग्रवाल ने कहा कि मानवाधिकार संस्थाएं चार कारणों से पंगु हैं। अपना स्वतंत्र जांच दल न होना, सदस्यों का अभाव, आधारभूत संरचना का न होना व कमीशन के पास आदेश देने का अधिकार न होना।

    कार्यशाला का संचालन मानवाधिकार कार्यकर्ता गोपीनाथ घोष व धन्यवाद ज्ञापन नजीर हुसैन ने किया। मौके पर अमित अग्रवाल, अमित रंजन, दीपक मिंज, रायनोल बानरा, जमुनी केरकेट्टा, अनिल गुड़िया, जंबीरा लगुरी, एलिस चेरवा, प्रेमानंद चेरवा सहित रांची विवि मानवाधिकार विभाग के छात्र-छात्राओं की बड़ी संख्या में मौजूदगी थी।

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