मोबाइल पर तीन तलाक, पंचायत में वापस; इनकी पहल पर फिर बसा घर
पंचायत ने असलम को दोषी करार देते हुए लड़की को गुजारा भत्ता के रूप में जुर्माना देने का फरमान सुनाया।

जागरण संवाददाता, रंका (गढ़वा)। तीन तलाक के बढ़ते विवादों के बीच गढ़वा के रंका में एक जोड़े ने फोन पर तीन तलाक के बावजूद भूल सुधार करते हुए दोबारा साथ रहने का निर्णय लिया है। खास बात यह है कि पति-पत्नी बगैर हलाला के एक साथ रहेंगे। हालांकि महिला के शौहर को इस निर्णय तक पहुंचाने में समाज के समझदार लोगों व रंका पुलिस की अहम भूमिका रही है।
शनिवार को पुलिस व समाज की मौजूदगी में असलम तलाक को वापस लेकर पूरे सम्मान के साथ अपनी पत्नी को घर ले गया। इतना ही नहीं पंचायत ने भविष्य के लिए भी लड़की को सुरक्षा उपलब्ध कराने का प्रावधान दिया। रंका थाना क्षेत्र के लिदिकंडा गांव निवासी जुमराती अंसारी की पुत्री गुलशन खातून को उसके पति सोनपुरवा गांव के अनवर अंसारी के पुत्र असलम अंसारी ने पिछले दिनों फोन पर तीन बार तलाक-तलाक-तलाक कह तलाक दे दिया था।
दोनों की शादी तीन साल पहले 2014 में हुई थी। दोनों के बीच सबकुछ ठीक ठाक चल रहा था। अचानक एक दिन पति-पत्नी के बीच विवाद हुआ और गुस्से में आकर पति घर से कहीं बाहर चला गया। बाद में मोबाइल से ही असलम ने गुलशन को तीन तलाक दे दिया।
4.5 लाख का जुर्माना
15 दिन पहले फोन पर तलाक दिए जाने की घटना की जानकारी गुलशन ने अपने ससुर अनवर अंसारी तथा सास के अलावा अपने पिता जुमराती अंसारी को दी तो जुमराती ने इसकी जानकारी ग्रामीण एवं मुस्लिम हितैषी संगठन शान-ए वतन को दी। एक सप्ताह पूर्व मानपुर मदरसा में लिदिकंडा एवं सोनपुरवा गांव के ग्रामीण तथा शान ए वतन संगठन के लोगों ने मिलकर इस मामले को लेकर पंचायत की।
पंचायत ने असलम को दोषी करार देते हुए चार लाख 45 हजार 786 रुपये लड़की को गुजारा भत्ता के रूप में देने का कड़ा फरमान सुनाया। इतनी बड़ी राशि चुकाने की बात सुनते ही असलम अंसारी एवं उसके परिवार के लोगों के पैर तले जमीन खिसकने लगी। थानेदार ने करा दिया समझौता शान-ए-वतन संगठन द्वारा गुजारा भत्ता को जल्द से जल्द जमा करने के बढ़ते दबाव को देखते हुए लड़का पक्ष के लोगों ने शनिवार को रंका थाना में न्याय की गुहार लगाई। रंका थाना प्रभारी जितेंद्र कुमार एवं जेएसआइ बीरेंद्रनाथ दुबे की पहल पर दोनों परिवारों के बीच समझौता हो गया। इसके बाद असलम अपनी पत्नी गुलशन को घर ले गया।
पंचायत ने दिलाई संपत्ति
भविष्य में इस तरह की घटना की पुनरावृत्ति न हो इसके लिए भी पंचायत ने असलम के पिता अनवर अंसारी को अपनी संपत्ति का एक तिहाई हिस्सा गुलशन के नाम से रजिस्ट्री कराने का सुझाव दिया। असलम ने इसे सहर्ष स्वीकार करते हुए 15 मई को गढ़वा निबंधन कार्यालय में संपत्ति रजिस्ट्री कराने की बात भी स्वीकारी। मौके पर उपस्थित ग्रामीणों ने काजियों की सहमति पर बिना हलाला के असलम एवं गुलशन को पति-पत्नी के रूप में रहने की मंजूरी दी।
जानिए, क्या होता है हलाला
तलाक के बाद अगर पत्नी को दोबारा साथ रखना है तो ऐसी व्यवस्था बनाई गई है कि जिस महिला को तलाक दिया गया है, उसे दोबारा अपने पति से निकाह करना पड़ेगा, लेकिन इसके पूर्व उसे गैर मर्द के साथ निकाह कर पत्नी की तरह कुछ दिन समय गुजारना होगा। इसके बाद तलाक लेकर अपने पूर्व शौहर से निकाह करना होगा। इसी प्रक्रिया को हलाला कहा गया है।

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