पूर्व डिप्टी मेयर नीरज सिंह के हत्यारे अमन ने पूछताछ में खोले कई राज
पुलिस अमन से नए सुराग पाकर हत्याकांड में अभियुक्तों और शूटरों के खिलाफ साक्ष्य एकत्र करने में जुट गई है।

जागरण संवाददाता, धनबाद। पूर्व डिप्टी मेयर नीरज सिंह की हत्या में यूपी एसटीएफ के हत्थे चढ़े कुख्यात शूटर अमन सिंह से धनबाद सिटी एसपी अंशुमान कुमार के नेतृत्व में पुलिस टीम ने मीरजापुर जाकर गुरुवार को पूछताछ की है। अमन ने कई राज खोले हैं। अमन का अपराध की दुनिया से गहरा नाता रहा है।
पुलिस अमन से नए सुराग पाकर हत्याकांड में अभियुक्तों और शूटरों के खिलाफ साक्ष्य एकत्र करने में जुट गई है। शूटर अमन सिंह और उसके साथी अभिनव के पास से पुलिस ने दो पिस्टल भी बरामद किए हैं। इन दोनों हथियारों का प्रयोग नीरज हत्याकांड में हुआ है या नहीं, सच्चाई जानने के लिए पुलिस उन हथियारों का बैलेस्टिक जांच कराएगी।
नीरज हत्याकांड में यूपी के शूटरों के होने का संदेह धनबाद पुलिस को था। इसी संदेह पर पुलिस ने यूपी के वरीय अधिकारियों के संज्ञान में नीरज हत्याकांड दे रखा था। इसी बीच यूपी पुलिस को अमन सिंह की गतिविधियों पर संदेह हुआ और उस पर निगरानी रखी जाने लगी। इसी क्रम में बुधवार को वह जेल में बंद रिंकू सिंह से मिलने पहुंचा था और दबोचा गया। अमन के साथ उसका साथी अभिनव भी पुलिस के हत्थे चढ़ा है। इनके पास से दो पिस्टल,15 कारतूस, छह मोबाइल फोन और सिम बरामद हुए हैं। पूछताछ में अमन ने नीरज हत्याकांड की पूरी कहानी उगल दी है।
पुलिस के झोले में अब तक चार स्वीकारोक्ति:
पुलिस कस्टडी में दिए गए जिस बयान को कोर्ट में बहुत ज्यादा अहमियत नहीं दी जाती है। वैसे चार स्वीकारोक्ति बयान इस हत्याकांड के गुत्थियों को जोड़ रहे हैं। लेकिन इन स्वीकारोक्ति बयानों में मिली समानता का असर भी मुकदमे पर पड़ना तय है। अब तक पुलिस के पास रंजय सिंह के भाई संजय सिंह, धनंजय सिंह, डबलू मिश्र और फिर अमन सिंह की स्वीकोरोक्ति आ गई है। अमन की स्वीकारोक्ति की अहमियत इसलिए भी ज्यादा है, क्योंकि उक्त बातों को अमन ने धनबाद पुलिस के समक्ष नहीं बल्कि यूपी पुलिस के समक्ष कुबूला है।
धनंजय सिंह की स्वीकारोक्ति, कहा उसे थी वारदात की जानकारी
30 मार्च को ही पुलिस ने इस वारदात में सबसे पहले विधायक संजीव के करीबी धनंजय सिंह का बयान लिया था। इस बयान में सिर्फ इतनी ही बात सामने आ सकी कि उसे हत्या की साजिश की जानकारी थी। उसके बयान में ये कहा गया कि रंजय का भाई संजय इस हत्याकांड की साजिश रच रहा था। वारदात के दिन भी वह (धनंजय) विधायक के साथ कोर्ट गया था। शाम में उसे हत्या की जानकारी हुई तो वह डर गया कि कहीं उसका नाम न सामने आ जाए।
संजय सिंह की स्वीकारोक्ति, थोड़ी आगे बढ़ी थी कहानी
30 मार्च को पुलिस ने संजय सिंह का इकबालिया बयान दर्ज किया था। इसमें संजय ने कहा था कि वह विधायक संजीव के यहां काम करता है। रंजय की हत्या के बाद वह काफी मर्माहत था, तब पंकज सिंह और संतोष सिंह ने उससे कहा कि बदला लिया जाएगा। वह सूचनाओं का आदान प्रदान करता था। इसके बाद नीरज की हत्या हो गई, तब वह डर से गांव भाग गया।
डबलू की स्वीकारोक्ति, आ गया विधायक का नाम
30 मार्च को ही शूटरों को किराए का मकान उपलब्ध कराने वाला डबलू मिश्र पुलिस के हत्थे चढ़ गया। उसने वारदात में आगे महत्वपूर्ण हिस्सा जोड़ दिया। बताया कि धनजी सिंह और संतोष सिंह ने उसे बुलाया था। शूटरों को मकान दिलाने में उसने अपनी भूमिका निभाने की बात स्वीकारते हुए ये भी बता दिया कि रंजय के श्रद्धकर्म में विधायक संजीव सिंह भी कैमूर गए थे और यहीं नीरज की हत्या की साजिश रची गई थी। इसी स्वीकारोक्ति और परिस्थितजन्य साक्ष्यों के आधार पर पुलिस ने विधायक संजीव की गिरफ्तारी की।
अमन की स्वीकारोक्ति, धनबाद से ही मिले थे हथियार
अमन ने यूपी एसटीएफ के समक्ष कबूला है कि वारदात के दिन ही वह धनबाद पहुंचा था। हत्या करने के बाद बाइक व बस से भागकर आसनसोल पहुंचा। यहां से पंकज सिंह ने उसे फॉरचूनर वाहन से यूपी भिजवा दिया लेकिन वारदात में प्रयुक्त हथियार वापस रख लिए। ये बयान डबूल मिश्र के उस बयान को समर्थन कर रहा है कि जिसमें उसने कहा था कि वारदात से पूर्व ही सिंह मैंशन में ही पिस्टल रखे गए थे। ये पिस्टल मैंशन के उसी कमरे में रखे गए थे, जहां रंजय सिंह सोता था। यानी वारदात में प्रयुक्त हथियार की आपूर्ति धनबाद से ही होने की बात दो बयानों में सामने आ रही है
अब भी बाकी हैं पुलिस की चुनौतियां
हथियारों की बरामदगी
हत्या की वारदात में प्रयुक्त हथियार की बरामदगी मुकदमे के लिए सबसे महत्वपूर्ण मानी जाती है। धनबाद पुलिस के लिए हथियार की बरामदगी अब भी किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं है। क्योंकि वारदात की कड़िया तो मिलती जा रही है लेकिन हथियार को लेकर अभी तक कुछ सुराग नहीं मिल सके हैं।
संतोष की गिरफ्तारी
विधायक के करीबी और सिंह मैंशन के काफिले के साथ चलने वाले संतोष की गिरफ्तारी भी जरूरी है। क्योंकि चार में से तीन स्वीकारोक्ति में उसका भी नाम सामने आ चुका है।
पंकज बड़ा मोहरा
पंकज सिंह इस हत्याकांड में सबसे बड़ा मोहरा है। जिसके पास हर राज का जवाब है। चाहे वह हथियार हो शूटर हो या फिर सुपारी हो। उसकी गिरफ्तारी पुलिस के लिए सबसे बड़ी चुनौती है।
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