हर तरफ से शहर की ओर बढ़ रही आग, कहीं इतिहास न बन जाए झरिया
शहर से महज 100 मीटर दूर बर्फकल में गैस रिसाव के साथ जमीन में दरार पड़ गई। आग की लपटें भी दरार से निकलीं।यहां के लोग खून के आंसू रो रहे हैं।

धनबाद, [ राजीव शुक्ला] । कभी देश का कोल कैपिटल माना जाने वाला शहर झरिया (धनबाद, झारखंड) की जमीन अंगारों से दहक रही है। लपटें शहर की सरहद को पार कर चुकी हैं। ताजा सूरत ए हाल भयावह है। वक्त के साथ कहीं यह शहर इतिहास का पन्ना न बन जाए। 24 मई को शहर के इंदिरा चौक में धंसान की घटना के बाद उसमें दो इंसानों के जमींदोज होने की घटना के बाद से शहरवासी खौफ के साए में जी रहे हैं। शहर का भविष्य खतरे में है।
आग और तंत्र की नीतियां इस शहर को देश के नक्शे से मिटा देने पर अमादा हैं। हाल में मुख्यमंत्री रघुवर दास भी झरिया के खतरनाक इलाकों को खाली कराने की बात कह चुके हैं। पर यह भी तय है कि आज जो हालात हैं उनमें शहर के सुरक्षित इलाके भी आग से दहकेंगे। आग को रोकने के लिए सुरक्षा के इंतजाम तो कहीं नहीं दिख रहे हैं।
अब भी दहक रही 1916 में लगी आग
जानकार बताते हैं कि 1916 में भौंरा से लगी आग अब कोलफील्ड के कई इलाकों में दहक रही है। झरिया शहर भी अछूता नहीं रहा है। अभी तक आग शहर के अंदर नहीं होने की बातें ही कही जातीं रहीं। पर, हकीकत कुछ जुदा ही है। शहर की धड़कन राजा तालाब से महज 100 मीटर दूर बर्फकल में गैस रिसाव के साथ जमीन में दरार पड़ गई। आग की लपटें भी दरार से निकलीं। इससे साबित हो गया कि शहर अब सुरक्षित नहीं रहा। यहां के लोग खून के आंसू रो रहे हैं। आखिर कहां जाएंगे। क्या करेंगे। यहां पीढि़यों ने मशक्कत कर जिंदगी में नूर सजाया। वह सब एक झटके में खत्म हो जाएगा। पूर्वजों की धरती छूट जाएगी।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।