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सैन्य तनाव का व्यापार पर असर

By Edited By: Published: Sun, 28 Apr 2013 01:10 AM (IST)Updated: Sun, 28 Apr 2013 01:11 AM (IST)
सैन्य तनाव का व्यापार पर असर

जागरण ब्यूरो, जम्मू : भारत-चीन के बीच जारी सैन्य तनाव से बेशक लेह में पर्यटन फिलहाल अछूता नजर आ रहा है। स्थानीय व्यापार और कई लोगों पर इसका असर साफ नजर आने लगा है, क्योंकि चीनी सामान आना बंद हो गया है।

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हालांकि, भारत और चीन के बीच लेह के रास्ते किसी तरह की व्यापारिक गतिविधियां अधिकारिक तौर पर 50 वर्षो से बंद हैं, लेकिन अनाधिकृत तौर पर आदान-प्रदान जारी था। पूर्वी लद्दाख की सीमा चीन और भारत के बीच वस्तुओं की तस्करी वालों के लिए किसी स्वर्ग से कम नहीं माना जाता। पूरे लेह कस्बे में और उससे सटे इलाकों में किसी भी जगह बाजार में घूमते हुए चीन में निर्मित थर्मस, केतली, क्राकरी, कंबल, बिजली के उपकरण इत्यादि आसानी मिल जाएंगे। लेह आने वाला शायद ही ऐसा कोई पर्यटक होगा जो यह सामान न खरीदता होगा।

सोनम दोर्जे नामक एक स्थानीय दुकानदार ने कहा कि यहां चीन की थर्मस और क्राकरी पर्यटकों में खूब लोकप्रिय है। यह पार से ही आता है। सभी को मालूम है कि किस रास्ते से यह आ रहा है। अब कुछ दिनों से पार से सामान आना बंद हो गया है।

दोर्जे ने कहा, स्थानीय लोग ही यह सामान सरहद पार से लाते हैं। हमारे लोग भी यहां से पार सामान ले जाते हैं, चीन में खाद्य तेल, दवाओं और चंदन की मांग रहती है। इसके अलावा और भी सामान यहां से जाता है।

एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने अपना नाम न छापे जाने की शर्त पर बताया कि चीन और तिब्बत के व्यापारियों ने एलओसी के पार दुमत्सले में बाजार स्थापित कर रखा है। इस बाजार में यहां के सीमावर्ती इलाकों के ग्रामीण, जिनका संबंध लेह और उससे सटे इलाके के बडे़ व्यापारियों से रहता है, जाते हैं और चीन से सामान लेकर आते हैं। यह पूरा व्यापार बार्टर रहता है, सामान के बदले सामान ही लिया-दिया जाता है।

लेह बाजार में ही क्राकरी दुकान चलाने वाले आशिक काचो ने कहा कि चीन के साथ हमारी सीमा पर जो इलाका है, वह दूर दूर तक उजाड़ है, कोई बस्ती नहीं है। सेना और आईटीबीपी के जवान भी कभी कभार ही वहां नजर आते हैं। इसके अलावा सीमावर्ती इलाकों में सड़कों का जाल भी बेहतर नहीं है। सीमावर्ती इलाकों के लोगों के लिए दुमत्सले नजदीक रहता है। इसके अलावा सरहद पार से सामान लाना और यहां से सामान वहां पहुंचाना सीमावर्ती ग्रामीणों के लिए कमाई का भी जरिया है।

जिग्मत नामक एक स्थानीय पत्रकार ने कहा कि पूर्वाेत्तर लद्दाख में तस्करी की बात कोई रहस्य नहीं है। यह बरसों से जारी है। आज बेशक यह किसी हद तक बंद है, क्योंकि क्यूल में दोनों तरफ की सेनाएं आमने-सामने हैं। दुमस्तले वहां से करीबी 20-22 किलोमीटर की दूरी पर है। हालांकि मैं कोई सुबूत नहीं दे सकता, लेकिन कहा जाता है कि दोनों तरफ की सुरक्षा एजेंसियां भी सामान की तस्करी को रोकने में कोई इच्छुक नहीं है, क्योंकि उन्हें अपने लिए गुप्त सूचनाएं जमा करने में इन तस्करों की मदद चाहिए होती है।

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