शिक्षण संस्थानों में नहीं होंगे धार्मिक कार्यक्रम
हिमाचल प्रदेश देश का प्रथम राज्य है, जिसने धर्मातरण के विरुद्ध कानून बनाया और इसे सख्ती से लागू किया है। ...और पढ़ें

शिमला, [ राज्य ब्यूरो]। हिमाचल प्रदेश के शिक्षण संस्थानों में अब धार्मिक आयोजनों पर पूरी तरह से रोक लग गई है। ऐसे आयोजन करने वाले शिक्षकों व अन्य कर्मचारियों पर कार्रवाई होगी, उन्हें बर्खास्त किया जाएगा। ये बात मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने शिमला के रामपुर उपमंडल के ज्यूरी में एक जनसभा में कही।
गौरतलब है कि रामपुर के राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक स्कूल (छात्र ) में ईसाई धर्म से जुड़े एक कार्यक्रम के दौरान रविवार को दहशतपूर्ण घटना हुई थी। वीरभद्र सिंह ने उस घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि भारत के प्रत्येक नागरिक को स्वेच्छा से किसी भी धर्म का अनुसरण करने का अधिकार है, लेकिन कुछ धार्मिक संस्थाएं धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार का हनन कर लोगों को बहकाने में लगी हैं। उन्होंने लोगों को ऐसे तत्वों तथा चुनावी माहौल में दल बदलने वालों से सावधान रहने के लिए सचेत किया। राजनीतिक दलों में प्रचलित दल बदलने का चलन लोकतांत्रिक व्यवस्था के हित में नहीं है।
हालांकि मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि रामपुर बुशहर में धर्म के नाम पर भाजपा के कुछ समर्थक हुड़दंग में शामिल थे। रविवार को रामपुर बुशहर में विरोध प्रदर्शन के दौरान संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वालों पर कार्रवाई होगी। उन्होंने पुलिस अधिकारियों को पाठशाला परिसर में जबरन घुसने की कोशिश करने वालों के पर सख्ती बरतने के निर्देश दिए। बकौल वीरभद्र, ऐसी घटनाएं प्रदेश के हित में नहीं हैं तथा राज्य में इस प्रकार की दहशतपूर्ण घटना पहले कभी नहीं हुई है। सरकारी संस्थानों को धार्मिक रस्मों के आयोजन का स्थान नहीं बनना चाहिए।
निर्धारित प्रपत्र पर कर सकते हैं आवेदन
हिमाचल प्रदेश देश का प्रथम राज्य है, जिसने धर्मातरण के विरुद्ध कानून बनाया और इसे सख्ती से लागू किया है। धर्म परिवर्तन के लिए इच्छुक को जिला दंडाधिकारी से स्वीकृति लेने के लिए निर्धारित प्रपत्र पर आवेदन करना आवश्यक है। किसी भी व्यक्ति द्वारा किसी को धर्म परिवर्तन के लिए उकसाना कानूनन जुर्म है। मुख्यमंत्री का एलान, अनुमति देने पर बर्खास्त होंगे शिक्षक व कर्मचारी ।

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