मंडी में आ सकता है आठ रिक्टर तीव्रता का भूकंप
वर्ष 1905 के बाद अब हिमाचल प्रदेश में आने वाले भूकंप की आशंका मंडी में जताई जा रही है। आइआइटी रुड़की की ओर से किए गए शोध के तहत प्रदेश सरकार को अवगत करवाया गया है
जेएनएन, शिमला : वर्ष 1905 के बाद अब हिमाचल प्रदेश में आने वाले भूकंप की आशंका मंडी में जताई जा रही है। आइआइटी रुड़की की ओर से किए गए शोध के तहत प्रदेश सरकार को अवगत करवाया गया है कि आठ रिक्टर तीव्रता के भूकंप के आने से डेढ़ लाख से अधिक की मौत और साढ़े चौदह लाख लोग घायल हो सकते है। यह बात मुख्य आयुक्त आपदा प्रबंधन हिमाचल प्रदेश व अतिरिक्त मुख्य सचिव राजस्व तरुण श्रीधर ने वीरवार को पत्रकारों से बातचीत मे कही। इस मौके पर मुख्य सचिव वीसी फारका भी मौजूद रहे।
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उन्होंने कहा, प्रदेश में पहली बार इतने बड़े स्तर पर आपदा से बचाव का अभ्यास किया गया। इसमें कई स्थितियों को अचानक पैदा किया गया, जिसकी बचाव कर्मियों को सूचना तक नहीं थी। भूकंप की आशंका को देखते हुए कम से कम जानमाल का नुकसान हो और कमियों को दूर करने के लिए अभ्यास किया गया। सात जिलों मंडी, कांगड़ा, चंबा, शिमला, किन्नौर, कुल्लू तथा सोलन में किए गए अभ्यास में कुछ कमियां सामने आई हैं और उन्हें दूर किया जाएगा। मेजर जनरल सेवानिवृत वीके दत्ता और राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के सीनियर कसल्टेट आइआरएस एव मॉकड्रिल ले. जनरल एनसी मरवाह की अगुवाई में यह अभ्यास किया गया। वीसी फारका ने कहा, आपदा बताकर नहीं आती है और नुकसान को कम करने के लिए यह अभ्यास किया गया है।
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सेना का हर स्थान पर था पर्यवेक्षक
आपदा के अभ्यास के लिए हर क्षेत्र में सेना का एक पर्यवेक्षक नियुक्त किया गया था। जिनसे बाद में अभ्यास का ब्योरा लिया गया है। इसके साथ ही प्रदेश के सातों जिलो के डीसी व एसपी के साथ वीडियो कांफ्रेस मॉकड्रिल के समापन पर की गई और इसमें उन्होंने सुझाव और कमियां बताई है। जल्द पूरी रिपोर्ट तैयार की जाएगी और उसके अनुसार उपकरणों की खरीद सहित अन्य व्यवस्था की जाएगी।
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निचले स्तर पर तालमेल का अभाव
अभ्यास के दौरान निचले स्तर पर तालमेल का अभाव पाया गया है। इसके साथ ही आपदा के दौरान सभी तरह के नेटवर्क के बंद होने पर वायरलेस सेटो का नेटवर्क बढ़ाने की आवश्यकता है। कुछ स्थानों पर उपकरण हैं लेकिन चलाने वाले नहीं और जहां प्रशिक्षित है वहां पर उपकरणों की कमी है।
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शब्दों के मायाजाल में उलझे बचाव कर्मी
आपदा अभ्यास के दौरान बचाव कर्मी शब्दों के मायाजाल में उलझ गए। आपदा प्रबंधन मेनुअल के तहत जिन शब्दों का इस्तेमाल किया जाता है उन्हें समझ में नहीं आता है इसलिए अब ऐसे लफ्जो के स्थान पर सरल शब्दो का इस्तेमाल किया जाएगा। इन शब्दो के कारण कुछ कर्मी समय पर बचाव कार्य को नहीं कर सके क्योंकि उन्हें पता ही नहीं चला कि जाना कहां है। अब सभी तरह के प्रशिक्षित बचाव कर्मियों की लिस्ट सूची तैयार की जाएगी।
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