प्रति वर्ष 1,000 करोड़ की दवाएं खा रहे हैं हिमाचली
दवाओं की बढ़ती खपत दर्शा रही है कि प्रदेश के कई लोग किसी न किसी बीमारी से पीडि़त रहे हैं।
शिमला, रविंद्र शर्मा। हिमाचल में एक साल में करीब एक हजार करोड़ रुपये की दवाओं की खपत हो रही है। साल दर साल दवाओं की खपत का आंकड़ा बढ़ रहा है। इनमें सरकार द्वारा दी जा रही नि:शुल्क दवाएं भी शामिल हैं। ऐसे में प्रदेश सरकार को बीमारियों से बचाव के साथ इनकी रोकथाम के लिए भी चिंता करने की जरूरत है।
दवाओं की बढ़ती खपत दर्शा रही है कि प्रदेश के कई लोग किसी न किसी बीमारी से पीडि़त रहे हैं। दवा नियंत्रक विभाग के अनुसार प्रदेश में दवाई की 5500 पंजीकृत दुकानें हैं। इनमें से करीब दो हजार थोक विक्रेता हैं। थोक की
दुकानों से साल में औसतन 40 लाख रुपये की दवाओं की बिक्री होती है। केवल मेडिकल स्टोरों में ही करीब 800 करोड़ रुपये की दवाओं की साल में खपत होती है। इसके अलावा प्रदेश स्वास्थ्य विभाग द्वारा अस्पतालों के लिए इस वर्ष ही करीब 90 करोड़ रुपये की दवाएं खरीदी गई हैं। गत मंगलवार को हुई प्रदेश मंत्रिमंडल की बैठक में दवाओं के लिए 71 करोड़ रुपये के बजट का प्रावधान किया गया है।
खाद्य आपूर्ति निगम अपनी दवा की 36 दुकानों के लिए हर साल करीब 60 करोड़ रुपये की दवाएं खरीद रहा है। ऐसे में प्रदेश में हर साल करीब एक हजार करोड़ रुपये की दवाओं की खपत हो रही है। चार लाख लोगों को शुगर हिमाचल की करीब 70 लाख की आबादी में करीब चार लाख लोग शुगर से पीडि़त हैं। इसके अलावा तीन से चार हजार कैंसर पीडि़त हर साल अस्पताल पहुंचते हैं। करीब 15 से 20 फीसद लोग दिल व किडनी के रोग और उच्च रक्तचाप से पीडि़त हैं। प्रदेश के सबसे बड़े अस्तपाल आइजीएमसी शिमला में हर रोज चार से पांच हजार लोग उपचार के लिए पहुंच रहे हैं जिनमें करीब दो हजार मरीज नए होते हैं। औसतन बीस हजार से अधिक लोग सरकारी अस्पताल में रोज उपचार के लिए आ रहे हैं। इसके अलावा निजी अस्पतालों में उपचार के लिए आने वाले मरीजों का आंकड़ा अलग है।
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