बीस मिनट में ताश के पत्तों की तरह ढही इमारत
जितेंद्र मेहता, रोहड़ू हाटकोटी के कैंची मोड़ में बहुमंजिला भवन ढहने का हादसा कई लोगों को जख्म दे गया
जितेंद्र मेहता, रोहड़ू
हाटकोटी के कैंची मोड़ में बहुमंजिला भवन ढहने का हादसा कई लोगों को जख्म दे गया है। तेज बारिश में जब भवन अचानक गिरा तो आसपास के लोग अपने घरों से बाहर निकल आए। आवाज ऐसी आई मानो विस्फोट हुआ हो। लोगों ने देखा कि बहुमंजिला भवन करीब 20 मिनट में ताश के पत्तों की तरह गिरकर ढेर हो गया।
भवन की दो मंजिलें पूरी तरह तैयार हो चुकी थीं। इसके अलावा तीन छतें डाल दी गई थीं। गिरे हुए भवन के नीचे कितने लोग दब गए, इसका अंदाजा कोई भी नहीं लगा पा रहा था। जैसे ही भवन के गिरने का शोर बंद हुआ तो मलबे के नीचे से सिर्फ चीखें सुनाई दे रही थीं। हर चीख सिर्फ बचाओ-बचाओ की थी जिन्हें सुनकर मौके पर मौजूद लोगों का दिल दहल गया। हालांकि लोग यह पता नहीं लगा पा रहे थे कि चीख कहां से आ रही थी। हादसे के करीब पौने घंटे बाद प्रशासन की टीम मौके पर पहुंची। राहत कार्य शुरू होने पर एक-एक कर लोगों को निकालना शुरू किया गया। प्रशासन ने रात साढ़े आठ बजे तक सात लोगों को निकाला। इनमें से दो लोग मृत थे। ये दो लोग भवन के मलबे के नीचे दबे थे। इसके बाद प्रशासन ने छत तोड़ने के लिए जेसीबी लगवाई। रात के अंधेरे में राहत कार्य करना रेस्क्यू टीम के लिए मुश्किल खड़ी करने लगा।
पिछली बरसात में आ गई थीं भवन में दरारें
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार भवन के भीतर 20 से अधिक लोगों दबे होने की आशंका है। बुधवार दोपहर एक बजे भवन के भीतर 25 से अधिक लोग थे। इस भवन में बार, रेस्टोरेंट, हार्डवेयर व सेब की दवाइयों की दुकान थी जिनमें कई लोग थे। सेब सीजन के कारण यहां सुबह से लेकर शाम तक लोगों का आना लगा रहा। स्थानीय लोगों ने बताया कि पिछली बरसात में इस भवन में दरारें आ गई थीं। इस बार की बरसात ने पूरे भवन को तबाह कर दिया।
राहत कार्य में जुटे स्थानीय लोग
जैसे ही बहुमंजिला भवन गिरा, आसपास के लोग तुरंत राहत कार्य के लिए एकत्रित हो गए। यहां तक कि सेब सीजन में जुटे बागवान भी एक-दूसरे की मदद करने लगे। लोगों ने हाथों से मलबा हटाना शुरू कर दिया। प्रशासन की टीम के पहुंचने से पहले स्थानीय लोगों ने एक व्यक्ति को मलबे से बाहर निकाल लिया था। जब पुलिस कर्मी, अग्निशमन दल और स्थानीय प्रशासन की टीम राहत कार्य के लिए पहुंची तो स्थानीय लोगों ने उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर कार्य किया। समाचार लिखे जाने तक लोगों ने गाड़ियों की लाइटों व मोबाइल फोन की टार्च की सहायता से राहत कार्य में मदद की। अंधेरा अधिक होने के कारण राहत कार्य में काफी दिक्कतें आ रही थीं।