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    राजधानी में भी झाड़फूंक से पीलिया का इलाज!

    By Edited By:
    Updated: Sun, 22 Feb 2015 03:11 AM (IST)

    जागरण संवाददाता, शिमला : सरकार हिमाचल में लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध करवाने के दावे

    जागरण संवाददाता, शिमला :

    सरकार हिमाचल में लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध करवाने के दावे तो करती है, परंतु ये कितने सच हैं इनकी हवा शिमला में फैले पीलिया से निकलती है। हिमाचल की राजधानी शिमला में आज भी लोग पीलिया के इलाज के लिए झाड़फूंक पर ही विश्वास करते हैं। इसकी पुष्टि बैम्लोई में झाड़फूंक से पीलिया का इलाज करने वाले के यहां लगी लोगों की भीड़ करती है।

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    शिमला शहर में पीलिया के हर रोज 100 से 150 नए मामले सामने आ रहे हैं। बैम्लोई में झाड़फूंक से इलाज करने वाले जगत राम के पास प्रतिदिन 100 से अधिक मरीज इलाज करवाने के लिए पहुंच रहे हैं। वहीं स्वास्थ्य विभाग दावा कर रहा है कि शहर में पीलिया कोई भयानक रूप में नहीं फैला है। मगर असलियत यह है कि मल्याण, पंथाघाटी, कसुम्पटी, न्यू शिमला आदि क्षेत्र पूरी तरह गिरफ्त पीलिया की गिरफ्त में हैं। स्वास्थ्य विभाग के पास पीलिया के अभी तक करीब 50 मामले आ चुके है। लोग शहर के पेयजल स्रोतों में सीवरेज का पानी मिला होने की शिकायत कर रहे हैं, लेकिन प्रशासन अभी नींद से नहीं जाग रहा है।

    मंत्र से पीलिया ठीक करने का दावा

    जगत राम के बेटे कृष्ण लाल ने बताया कि रोजाना 100 से अधिक मरीज पीलिया से ग्रसित यहां पहुंच रहे हैं। उनका दावा है कि मंत्र से लोग ठीक हो जाते हैं। टोना-टोटके के कारण यह बीमारी अधिक होती है। कई साल से यहां लोग दूर-दूर से इलाज करवाने आते है।

    मुफ्त करते हैं इलाज

    जगत राम और उनके बेटे कृष्ण लाल के मुताबिक वे पीलिया पीड़ित लोगों का मुफ्त इलाज करते हैं। दिनभर जगत राम इसी कार्य में लगे रहे हैं। सुबह से देर शाम तक मरीजों को तांता लगा रहता है। लोग कई बार रुपये देते हैं, मगर वे इन्हें नहीं लेते हैं।

    कैसे होता है इलाज

    जगत राम 45 साल से पीलिया झाड़ने काम कर रहे हैं। सरसों का तेल कांसे के बर्तन में डाला जाता है। फिर इसे पीलिया से ग्रस्त मरीज के हाथों में थमाया जाता है। जगत राम एक मंत्र के माध्यम से हाथ में दूरवा लेकर पीलिया झाड़ने की प्रक्रिया शुरू करते हैं। करीब दस मिनट तक मंत्रोच्चारण के साथ प्रक्रिया चलती है। इसी बीच तेल का रंग पीला होने लग जाता है। सात दिन तक हर रोज यह प्रक्रिया अपनानी अनिवार्य है। इसके बाद मरीज पूरी तरह पीलिया रोग से मुक्त हो जाता है।

    लक्षण

    -रोगी को बुखार रहना।

    -भूख न लगना।

    -चिकनाई वाले भोजन से अरुचि।

    -जी मिचलाना और कभी कभी उल्टियां होना।

    -सिर में दर्द होना।

    - सिर के दाहिने भाग में दर्द रहना।

    - आख व नाखुन का रंग पीला होना।

    -पेशाब पीला आना।

    - अत्यधिक कमजोरी और थका थका सा लगना।

    इलाज

    - बिस्तर पर आराम करना चाहिए घूमना, फिरना नहीं चाहिए।

    - लगातार जांच कराते रहना चाहिए।

    - डॉक्टर की सलाह से भोजन में प्रोटिन और कार्बोज वाले प्रदार्थो का सेवन करना चाहिए।

    - नींबू, संतरे तथा अन्य फ लों का रस भी इस रोग में गुणकारी होता है।

    - वसा युक्त भोजन का सेवन इसमें हानिकारक है।

    चावल, दलिया, खिचड़ी, उबले आलू, शकरकंदी, चीनी, ग्लूकोज, गुड, चीकू, पपीता, छाछ, मूली आदि कार्बोहाइड्रेट वाले प्रदार्थ हैं इनका सेवन करना चाहिए।

    रोग की रोकथाम एवं बचाव

    इन बातों का रखें ध्यान

    - खाना बनाने, परोसने, खाने से पहले व बाद में और शौच जाने के बाद में हाथ साबुन से अच्छी तरह धोना चाहिए।

    - भोजन जालीदार अलमारी या ढक्कन से ढककर रखें।

    - ताजा व शुद्ध गर्म भोजन करें दूध व पानी उबाल कर काम में लें।

    - पीने के लिये पानी नल, हैडपंप या आदर्श कुओं को ही काम में लें।

    - मल, मूत्र, कूड़ा-कर्कट सही स्थान पर गड्ढा खोदकर दबाना या जला देना चाहिए।

    -गंदे, सड़े, गले व कटे हुए फ ल नहीं खाएं, धूल पड़ी या मक्खियां बैठी मिठाई का सेवन नहीं करें।

    - इंजेक्शन लगाते समय सी¨रज व सुई को 20 मिनट तक उबाल कर ही काम में लें, अन्यथा यह रोग फैलाने में सहायक हो सकती है।

    - रक्त देने वाले व्यक्तियों की पूरी तरह जांच करने से बी प्रकार के पीलिया रोग के रोगवाहक का पता लग सकता है।

    -अनजान व्यक्ति से यौन संपर्क से भी हो सकता है पीलिया।

    दवाओं से सुधार न होने के कारण आए झाड़फूंक करवाने

    प लिया से ग्रस्त लोगों ने बताया कि साफ पानी की आपूर्ति नहीं आती है। इसके साथ ही अस्पताल में दी जाने वाली दवाओं से सेहत में सुधार नहीं हो रहा है। ऐसे झाड़फूंक करने वालों के पास आ रहे हैं।

    मुझे और मेरे पति को भी पीलिया हुआ है। हम यहां पर पिछले पांच दिनों से आ रहे है। काफी हद तक सेहत में सुधार हुआ है। अस्पताल से दवाएं ली थी, लेकिन कोई सुधार नहीं पड़ा था। गांव में आने वाला पानी साफ नहीं है।

    -कला देवी, मल्याणा

    मैं तीन दिन से यहां पर इलाज के लिए आ रही हूं। जो पानी घर में आता है। उसी का इस्तेमाल करती हूं। पानी साफ नहीं होता है। मजबूरी में पानी पीना पड़ रहा है।

    -अर्मिता, खलीनी।