त्रिदेव सम्मेलन के बहाने भाजपा के चुनावी तेवर
कांग्रेस मिशन रिपीट का दावा कर रही है तो भाजपा का लक्ष्य 50 से अधिक सीटों पर जीत दर्ज करना है। ...और पढ़ें

कुल्लू, रविंद्र पंवर। हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव की दहलीज पर बैठा है व संभवत: नवंबर-दिसंबर तक यहां चुनाव हो भी जाएं। राज्य के दोनों प्रमुख राजनीतिक दलों ने चुनाव की तैयारी तेज कर दी है।
कांग्रेस मिशन रिपीट का दावा कर रही है तो भाजपा का लक्ष्य 50 से अधिक सीटों पर जीत दर्ज करना है। भारतीय जनता पार्टी ने राज्य में चुनावी तैयारी को पूरी गति दे दी है। इसी कड़ी में प्रदेश के चारों लोकसभा क्षेत्रों में बूथ स्तरीय कार्यकर्ताओं के त्रिदेव सम्मेलन करवाकर पार्टी ने तेवर साफ दिखा दिए। कांग्रेस अभी भी संगठन व सरकार को लेकर और मंत्री मंडल के सहयोगियों के साथ रस्साकशी में फंसी हुई है।
भाजपा ने विस चुनावों में जीत सुनिश्चित बनाने और इसके लिए मतदान केंद्रों पर बूथ अध्यक्ष, बूथ पालक व बूथ लेवल एजेंट को महत्वपूर्ण बनाते हुए उन्हें न केवल त्रिदेव घोषित किया, बल्कि आम कार्यकर्ता को उनकी अहमियत का अहसास भी करवाया।यही कारण था कि हिमाचल भाजपा के इस प्रयास को पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने भी सराहा व इस पैट्रन को भविष्य में अन्य प्रदेशों में भी लागू करने की बात हुई। संगठनात्मक मजबूती के त्रिदेव सम्मेलन को लेकर कुल्लू पहुंचे केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने प्रदेश भाजपा टीम की पीठ थपथपाई, साथ ही त्रिदेवों को भी पार्टी का अभिन्न अंग बताया कि उन्हीं की नीव पर पूरा कुनबा टिका है।पिछले वर्ष सोलन में जब पहला त्रिदेव सम्मेलन हुआ था तो राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह स्वयं शिमला संसदीय क्षेत्र के त्रिदेवों को संबोधित करने आए थे।
इनके बाद कांगड़ा में केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने और हमीरपुर लोकसभा क्षेत्र के त्रिदेव सम्मेलन में गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कार्यकर्ताओं में जोश भरा। अब भले ही इन कार्यक्रमों को कांग्रेस हल्के में ले रही हो, लेकिन इतना तय है कि जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाने के लिए भाजपा का यह अचूक अस्त्र रहा, जिससे पार्टी के निचले स्तर के कार्यकर्ता खुद को बड़ा समझने लगे हैं। इन सभी सम्मेलनों में प्रदेश भाजपा की बागडोर थामे पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल के साथ केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा भी शामिल हुए। भाजपा ने अभी तक यह साफ नहीं किया है कि चुनाव जीतने पर मुख्यमंत्री कौन होगा। इससे हालौंकि चुनावी तैयारी पर बड़ा फर्क नहीं पड़ रहा, लेकिन आम कार्यकर्ता यही सोच रहा है कि भाजपा की सरकार बनने पर मुख्यमंत्री कौन होगा।

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