राहत! अब मिलेगा 24 घंटे पानी
योजना के तहत नड्डी में 47 लाख लीटर क्षमता का वाटर ट्रीटमेंट प्लांट बनाया गया है। इसके अलावा धार क्षेत्र में 44 लाख लीटर का प्लांट बनाया है। ...और पढ़ें

धर्मशाला, जेएनएन। नगर निगम धर्मशाला व आसपास के क्षेत्र के लोगों को अब पेयजल की कमी नहीं रहेगी। अब शहर में 24 घंटे पानी मिलेगा। क्षेत्र के लिए करीब 30 करोड़ रुपये से बनी पेयजल योजना सोमवार को शुरू हुई। इसका शुभारंभ शहरी विकास मंत्री सुधीर शर्मा ने आइपीएच कार्यालय धर्मशाला में किया।
इस योजना के शुरू होने से क्षेत्र के लोगों को हर समय पेयजल उपलब्ध होगा। इसके अलावा आग लगने पर 35 हाइड्रेंट हर समय काम आएंगे। यह योजना पूरी तरह से कंप्यूटरीकृत है। इससे कंट्रोल रूम से ही हर क्षेत्र में पेयजल आपूर्ति की जानकारी मिल जाएगी। योजना के तहत नड्डी में 47 लाख लीटर क्षमता का वाटर ट्रीटमेंट प्लांट बनाया गया है। इसके अलावा धार क्षेत्र में 44 लाख लीटर का प्लांट बनाया है।
इन प्लांटों की खास बात यह है कि ये पानी की आपूर्ति के साथ बरसात में आने वाले मटमैले पानी को भी एक तय अनुपात तक फिल्टर कर संग्रहित करेंगे। जैसे ही जरूरत से ज्यादा मटमैला पानी इन प्लांटों तक पहुंचेगा, इनमें लगे विशेष उपकरण प्लांट के प्रवेश पाइप को बंद कर देंगे। दोनों प्लांटों के शुरू होने से शहर में 91 लाख लीटर पानी की क्षमता में वृद्धि हुई है। प्लांटों को शुरू करने से पूर्व सिंचाई एवं जनस्वास्थ्य विभाग ने ट्रायल शुरू किया था। जिन पाइपों में लीकेज हो रही थी, उनकी मरम्मत कर दी गई है।
नई पेयजल योजना ने काम करना शुरू कर दिया है। जहां समस्या आ रही है, उसे ठीक किया जा रहा है।-राजेश मोंगरा, अधिशाषी अभियंता आइपीएच धर्मशाला
योजना शुरू होते ही काम आए फायर हाइड्रेंट
नगर निगम क्षेत्र धर्मशाला के लिए 30 करोड़ रुपये से शुरू हुई नई पेयजल योजना के तहत स्थापित नए फायर हाइड्रेंट पहले ही दिन काम आ गए। इस पेयजल योजना का शुभारंभ शहरी विकास मंत्री सुधीर शर्मा ने किया। उसके कुछ देर बाद अचानक शहीद स्मारक के समीप जंगल में आग लग गई। फायर ब्रिगेड ने यहां आग बुझाने के लिए नई योजना के तहत लगाए गए फायर हाइड्रेंट का इस्तेमाल किया। विभाग के कनिष्ठ अभियंता राजेश शर्मा ने बताया कि जैसे ही आइपीएच को आग की सूचना लगी, उसके बाद विभाग ने नई पाइप लाइन से नौ फायर हाइड्रेंट में पानी की सप्लाई बहाल कर दी। इससे आग बुझाने में काफी मदद मिली।
यह भी पढ़ें: बौद्ध सर्किट के तहत विकसित होंगे हिमाचल के गोंपा

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।