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    58 साल से बरामदे में पढ़ रहा है बचपन

    1959 में अस्तित्व में आए राजकीय प्राथमिक विद्यालय कोट की हालत दिन प्रतिदिन दयनीय होती जा रही है।

    By Babita KashyapEdited By: Updated: Mon, 22 May 2017 04:42 PM (IST)
    58 साल से बरामदे में पढ़ रहा है बचपन

    बम्म (बिलासपुर), लोकेश ठाकुर। सरकारी स्कूलों में मजबूत आधारभूत ढांचा उपलब्ध करवाकर शिक्षा प्रदान करने के दावे धरातल पर झूठे साबित हो रहे हैं। बिलासपुर जिला में सरकारी प्राथमिक स्कूलों की हालत ठीक नही है। राजकीय प्राथमिक विद्यालय कोट इसका जीता जागता उदाहरण है। पहली व दूसरी के बच्चों के लिए स्कूल में बैठने के लिए ठीक ढंग के कमरे तक नही है। शरीर को झुलसा देने वाली गर्मी हो या फिर कंपकंपा देने वाली सर्दी, नन्हें-मुन्ने बच्चों को बरामदे में ही बैठकर शिक्षा ग्रहण करना पड़ रही है।

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    1959 में अस्तित्व में आए राजकीय प्राथमिक विद्यालय कोट की हालत दिन प्रतिदिन दयनीय होती जा रही है। सरकारी स्कूलों के इन हालातो से बच्चों के अभिभावक मजबूर होकर बच्चों को निजी स्कूलों में पढ़ाने के लिए विवश हो रहे हैं। विद्यालय में करीब 100 छात्र हैं जिनमें से प्रथम व द्वितीय कक्षा के 40 बच्चे बिना कमरों के बाहर बैठते हैं। विभाग से लेकर राजनेताओं तक स्कूल में बच्चों को सुविधा प्रदान करने की मांग बार-बार उठाई गई।

    स्कूल प्रबंधन समिति के माध्यम से भी कई बार प्रस्ताव भेजे जा चुके हैं, लेकिन हर बार निराशा ही हाथ लगी है। पंचायत उपप्रधान अमर चंद, एसएमसी प्रधान सुमन कुमारी, महिला मंडल प्रधान लता देवी व वार्ड सदस्य ओम प्रकाश ने शिक्षा विभाग व प्रदेश सरकार से कोट स्कूल के बच्चों के लिए कमरे व अन्य आधारभूत सुविधा प्रदान करने की मांग की है।

    प्रथम, द्वितीय कक्षाएं बाहर बैठती हैं, लेकिन बीच-बीच में उन्हें बदलकर दूसरी कक्षाओं को भी बाहर बिठाया जाता है। बच्चों के लिए कमरे की व्यवस्था के लिए हर संभव प्रयास किया जा चुका है, लेकिन उसका कोई हल नही मिला है।

    -द्रोपदी शर्मा, मुख्याध्यापिका, प्राथमिक पाठशाला कोट।

    बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ हो रहा है। बच्चों के परिजनों में इस बात को लेकर काफी रोष है। निजी स्कूलों में बच्चों को दाखिल करवाना अभिभावकों के वश में नही जबकि सरकारी स्कूल में हालात ठीक नही हैं।

    -अमर चंद, पंचायत उपप्रधान।

     

    यह मामला ध्यान में नही था। अगर ऐसी बात है तो इसके लिए सबसे पहले साइट का चयन किया जाएगा। जल्द बच्चों को बैठने के लिए भवन का निर्माण किया जाएगा।

    -देवेंद्र पाल, उपनिदेशक, प्रारंभिक शिक्षा।

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