अब नहीं झेलना पड़ेगा डिलीवरी का दर्द
अब दादी, नानी को बहूरानी की डिलीवरी के दौरान दर्द सहने के लिए ढाढ़स बंधाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। न ही प्रसूता प्रसव पीड़ा में घंटों तक तड़पेगी। बस एक इंजेक्शन और प्रसव पीड़ा उडऩछू हो जाएगी। हां, मामूली सा दर्द होगा।
जागरण संवाददाता, आगरा । अब दादी, नानी को बहूरानी की डिलीवरी के दौरान दर्द सहने के लिए ढाढ़स बंधाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। न ही प्रसूता प्रसव पीड़ा में घंटों तक तड़पेगी। बस एक इंजेक्शन और प्रसव पीड़ा उडऩछू हो जाएगी। हां, मामूली सा दर्द होगा।
यह कमाल हुआ है एसएन मेडिकल कॉलेज के स्त्री रोग विभाग में। डिलीवरी को पूरी तरह दर्द रहित बनाने के लिए पिछले तीन साल से एसएन मेडिकल कॉलेज में चल रही रिसर्च हाल में पूरी हुई है। विभागाध्यक्ष डॉ. सरोज सिंह के निर्देशन में डॉ. अनु पाठक ने विभाग में डिलीवरी के लिए आने वाली 120 गर्भवती महिलाओं पर रिसर्च की। इन सभी महिलाओं की पेनलेस डिलीवरी करने के लिए इन्हें एपीड्यूरल (पीठ में इंंजेक्शन) दिया गया। यह इंजेक्शन तब लगाया गया, जब महिलाओं को पहला दर्द उठा था। एपीड्यूरल के दौरान महिलाओं को बेड पर लेटने की जरूरत नहीं थी। वे आराम से चल-फिर सकती थीं। जैसे ही दूसरा दर्द उठता, दूसरी डोज दे दी जाती। यह प्रक्रिया तब तक चलती रही, जब तक डिलीवरी नहीं हो गई।
एनेस्थीसिया विभाग की मदद से इन महिलाओं को पूर्व में दी जाने वाली ब्यूपीविकेन दवा के बजाय नई दवा लिवो ब्यूपीविकेन दी गई। यह दवा अधिक चमत्कारी निकली। इससे महिलाओं को दर्द न के बराबर हुआ।
डॉ. अनु के अनुसार पहली बार डिलीवरी के लिए आने वाली महिलाओं के लिए पेनलेस डिलीवरी किसी वरदान से कम नहीं। इस तकनीक से बच्चा पैदा करने वाली महिलाएं यहां से जाते समय बहुत खुश होकर जाती हैं। इस तकनीक में कमर से नीचे का हिस्सा सुन्न कर दिया जाता है ताकि प्रसूता को प्रसव पीड़ा का अहसास न हो। यही वजह है कि अब गर्भवती महिलाएं खुद इस तकनीक से डिलीवरी कराना चाहती हैं।
बच्चे की नापी जाती है धड़कन
पेनलेस डिलीवरी में बच्चे को कोई नुकसान न पहुंचे, इस बात का खास ख्याल रखा जाता है। मशीन द्वारा बच्चे की धड़कन की मॉनीटरिंग की जाती है। डॉ. अनु के अनुसार बच्चे की सुरक्षा को लेकर कई अन्य तकनीक भी विकसित की जा रही हैं।