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आटिज्म: समझें बच्चों की भावनाएं

आटिज्म एक ऐसा रोग है जिसमें रोगी बचपन से ही परिवार, समाज व बाहरी माहौल से जुड़ने की इन सभी क्षमताओं को गंवा देता है। इसका इलाज क्या है.. इस रोग के कुछ प्रमुख लक्षण इस प्रकार हैं.. बोलचाल व शाब्दिक भाषा में गंभीर कमी आना: पीड़ित बच्चे सही समय पर सही बात नहीं कहते और अ

By Edited By: Published: Tue, 16 Sep 2014 11:48 AM (IST)Updated: Tue, 16 Sep 2014 11:48 AM (IST)
आटिज्म: समझें बच्चों की भावनाएं

आटिज्म एक ऐसा रोग है जिसमें रोगी बचपन से ही परिवार, समाज व बाहरी माहौल से जुड़ने की इन सभी क्षमताओं को गंवा देता है। इसका इलाज क्या है..

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इस रोग के कुछ प्रमुख लक्षण इस प्रकार हैं..

बोलचाल व शाब्दिक भाषा में गंभीर कमी आना: पीड़ित बच्चे सही समय पर सही बात नहीं कहते और अपनी जरूरतों को भाषा या शब्दों का प्रयोग करके नहीं कह पाते। यदि बच्चे को खाना, खाना है तो वह यह नहीं बोलता कि 'मुझे खाना दो' इसके विपरीत वह मां का हाथ पकड़कर रसोई तक ले जाता है और मां स्वयं समझकर बच्चे को खाना देती है।

सामाजिक भाषा का समाप्त हो जाना जैसे-

-आंख से आंख न मिलाना।

-किसी के मिलने पर नमस्ते न करना या नमस्ते का जवाब न दे पाना।

-अपने भाई-बहनों के साथ न खेल पाना और नये दोस्त न बना पाना।

मनोभावों को न पहचानना

-जब मां लाड़-प्यार से बच्चे की तरफ हाथ बढ़ाती है, तो बच्चे पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता और वह ऐसे व्यवहार करता है, जैसे मां सामने उपस्थित ही न हो।

-तिरस्कार या किसी प्रकार के डर की बच्चे पर कोई भावनात्मक प्रतिक्रिया नही होती।

दोहराने वाला अटपटा व्यवहार

-चूंकि बच्चा बाहरी माहौल से जुड़ने में असक्षम होता है। ऐसे में बच्चा स्वयं की अंदरूनी सोच से अनेक अटपटी दोहराने वाली हरकतें करता है।

-दिशाहीन तरीके से घर में इधर से उधर भागते-दौड़ते रहना।

-किसी भी चीज जैसे खिलौने, चाभी, रिमोट आदि को बार-बार पटकना और आवाज पैदा करना। सुने-सुनाए शब्दों व खुद के ईजाद किये शब्दों को बार-बार दिन भर बोलते रहना।

-हर वक्त अपनी परछाईं से खेलते रहना। बार-बार एक चीज को छूना या सूंघना।

इलाज

-ऑक्युपेशनल थेरेपिस्ट और न्यूरो डेवलपमेंट थेरेपिस्ट की सहायता से बच्चे में जो अक्षमताएं पैदा होती हैं, उनकी विभिन्न विधियों और तकनीकों से पहचान कर उन खामियों को दूर किया जाता है।

-आटिज्म में दवा कारगर नहींहोती।

अभिभावकों के लिए सुझाव

-मनोरोग विशेषज्ञ सबसे पहले अभिवावकों के साथ बैठकर बच्चों की सारी कमियों की पहचान कराते हैं और उन्हें यह बताते हैं कि इन खामियों से कैसे निपटा जा सकता है।

-मनोरोग विशेषज्ञ इलाज की प्रक्रिया के संदर्भ में जरूरत पड़ने पर विशेषज्ञों की टीम बनाते हैं। ऐसे विशेषज्ञ आटिज्म से पीड़ित बच्चों के अभिभावकों को परामर्श देते हैं कि आए दिन बच्चे को लेकर होने वाली समस्याओं से कैसे निपटा जाए।

-बच्चों की अटपटी हरकतों के संदर्भ में अभिभावकों को अधिक से अधिक ध्यान देने की जरूरत है। मनोरोग विशेषज्ञ और उनके स्वास्थ्य विशेषज्ञों की टीम अभिभावकों को परामर्श देती है कि वे बच्चे की अटपटी हरकतों को हतोत्साहित करें और अपनी इस कोशिश में क्रोध के बजाय शांत दिमाग से काम लें।

(डॉ.उन्नति कुमार मनोरोग विशेषज्ञ)

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