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    चिकनगुनिया: इलाज के साथ सावधानी भी जरूरी

    By Babita kashyapEdited By:
    Updated: Tue, 30 Aug 2016 04:19 PM (IST)

    उत्तर भारत चिकनगुनिया का प्रकोप जारी है। हालांकि यह मर्ज डेंगू की तरह खतरनाक तो नहीं है, लेकिन लापरवाही बरतने से किसी भी मर्ज की स्थिति बद से बदतर हो जाती है।

    चिकनगुनिया का वायरस एडीज एजिप्टी मच्छर के काटने से फैलता है। एडीज एजिप्टी मच्छर घर में रखे कंटेनरों में पैदा होता है। यह मच्छर दिन में काटता है। संक्रमण के पहले सप्ताह के दौरान, चिकनगुनिया वायरस रक्त में पाया जाता है। एक संक्रमित मच्छर से अन्य लोगों में वायरस फैल सकता है।

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    जानें लक्षणों को

    तेज बुखार: चिकनगुनिया का एक प्रमुख लक्षण तेज बुखार है। बुखार आमतौर पर 102 से 104 फॉरेनहाइट तक चढ़ता है।

    जोड़ों में दर्द: वायरस का प्रकोप तीन से सात दिनों के दौरान जोड़ों में गंभीर दर्द का कारण बनता है। आमतौर पर यह दर्द सबसे अधिक हाथों और पैरों को प्रभावित करता है। जोड़ों का दर्द सप्ताह भर चल सकता है, लेकिन कुछ लोगों के मामलों में एक साल या इससे अधिक के लिए भी यह दर्द बना रह सकता है।

    दाने निकलना: दाने आम तौर पर बुखार की शुरुआत के बाद दिखते हैं। आम तौर पर ऐसे दाने पीडि़त व्यक्ति के धड़ और हाथ-पैरों को प्रभावित करते हंै। हथेलियों, तलवों और चेहरे पर भी दाने दिखाई पड़ सकते हैं।

    सिरदर्द: इस दर्द के अलावा मांसपेशियों में भी दर्द हो सकता है। जी मिचलाना और उल्टी की समस्या भी हो सकती है। वैसे चिकनगुनिया के अधिकांश रोगी एक सप्ताह के भीतर जोड़ों के दर्द से राहत महसूस कर सकते हैं,

    लेकिन कुछ लोगों में, जोड़ों का दर्द काफी वक्त तक बरकरार रह सकता है।

    ध्यान दें: हाई ब्लड प्रेशर, डाइबिटीज या दिल की बीमारी से ग्रस्त लोगों को इस बीमारी में विशेष सतर्कता बरतनी चाहिए। शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को सशक्त रखकर चिकनगुनिया से पीडि़त अधिकांश मरीज ठीक हो जाते हैं।

    बचाव

    -चिकनगुनिया की रोकथाम के लिए फिलहाल इसका टीका (वैक्सीन) उपलब्ध नहीं है। इसलिए मच्छरों से हरसंभव विधि से बचाव करना जरूरी है। चिकनगुनिया की रोकथाम के लिए डीएनए टीकाकरण के

    विकास पर अनुसंधान जारी हैं।

    -शरीर को पूरी तरह ढककर रखें। पूरी बाजू वाली कमीज और पैंट पहनें।

    -मच्छरों से बचाव के लिए सोते वक्त मच्छरदानी का इस्तेमाल करें।

    -मच्छरों को भगाने वाली हर विधि जैसे मॉस्क्विटो क्रीम आदि का इस्तेमाल करें।

    -पानी को घर या इसके आसपास जमा न रहने दें।

    -घरों में बाल्टियों का पानी हर दिन बदलें। ऐसा इसलिए, क्योंकि एडीज मच्छर गंदे पानी में नहीं बल्कि साफ पानी में ही पनपता है।

    -गमलों के पानी को भी हर दिन बदलते रहें।

    फर्क डेंगू से

    चिकनगुनिया भी एक वायरल रोग है और इसके लक्षण भी डेंगू के समान ही होते हैं। चिकनगुनिया के रोगियों में डेंगू की तरह तेज बुखार, जोड़ों में तेज दर्द, मांसपेशियों में पीड़ा, सिरदर्द और जोड़ों में सूजन आदि समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। इस कारण रोगी के शरीर पर लाल निशान पड़ सकते हैं, किन्तु चिकनगुनिया में रक्तस्राव का जोखिम नहीं होता, जैसा डेंगू में प्लेटलेट्स की संख्या घटने के कारण उत्पन्न हो जाता है।

    डेंगू के मामलों की तुलना में इसके रोगियों में जोड़ों का दर्द लंबा खिंचता है। विशेषकर बुजुर्गों में। हालांकि लोगों को चिंता नहीं करनी चाहिए, क्योंकि इस इस मर्ज में डेंगू की तरह मृत्युभय का खतरा नगण्य होता है।

    यह है इलाज

    चिकनगुनिया वायरस के संक्रमण का कोई विशेष एंटीवायरल इलाज नहीं है। डॉक्टर लक्षणों के अनुसार ही रोगी का इलाज करते हैं। जैसे पीडि़त व्यक्ति को तेज दर्द और बुखार से राहत दिलाने के लिए पैरासीटामोल देते हैं। जोड़ों में होने वाले दर्द के लिए डॉक्टर एनएसएआईडी नामक दवा देते हैं। एस्पिरीन के सेवन से बचें। पीडि़त व्यक्ति को पर्याप्त मात्रा में तरल पदार्थ दें। मरीज को हाई प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थ जैसे दालें, दूध, अंडा पनीर आदि देना चाहिए। डायग्नोसिस

    चिकनगुनिया का निदान (डायग्नोसिस) करने के लिए 'आर एन ए पी सी आर' नामक टेस्ट बीमारी के पहले सप्ताह में कराया जाता है। बीमारी के दूसरे सप्ताह के बाद 'चिकनगुनिया आई जी एम एंटीबॉडी एलाइजा' नामक टेस्ट से

    इस बीमारी की डायग्नोसिस में मदद मिलती है। अनेक मामलों में लक्षणों और क्लीनिकल टेस्ट के आधार पर इस मर्ज का पता लगाया जाता है।

    डॉ.सुशीला कटारिया सीनियर फिजीशियन

    मेदांता दि मेडिसिटी, गुडग़ांव

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