अनुयायियों को यूं छलता था गुरमीत राम रहीम, हर तरह से करता था दोहन
गुरमीत राम रहीम अनुयायियों का हर प्रकार से दोहन करता था। वह फैक्टरियों और भवन निर्माण में सेवा के नाम पर उनसे मुफ्त काम करवाता था। साथ फिल्म देखने के लिए भी मोटी रकम लेता था।
जेएनएन, सिरसा। डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम अपने अनुयायियों काे हर तरह से छलता था। वह उनका पूरा दोहन करता था। इनमें शारीरिक, आर्थिक और मानसिक दोहन शामिल था। वह उनसे डेरे की फैक्टरियों में मुफ्त कार्य लेता था। यहां तक की डेरा परिसर में भवन निर्माण में भी उसके अंधभक्त बिना दिहाड़ी के काम करते थे। गुरमीत राम रहीम डेराप्रेमियों से मोटी रकम वसूलने का कोई मौका नहीं छाेड़ता था। मरने के बाद भी उनके शवों को भी वह कमाई का जरिया बना रखा था।
गुरमीत के साथ फिल्म देखने के लिए देने होते थे 50 हजार रुपये
गुरमीत फिल्मी दुनिया में कदम रखने के बाद हर तरीके से पैसा कमाता रहा। डेरा प्रमुख अपने साथ फिल्म देखने वालों से भी मोटी रकम वसूलता था। थियेटर में डेरा प्रमुख के आसपास वाली सीटों की कीमत तो 50 हजार रुपये तक होती थी। जिस दिन डेरा प्रमुख थियेटर में आता था, उस दिन उसके परिवार के अलावा उन लोगों को ही फिल्म देखने का मौका मिलता था, जो महंगे दामों में टिकट खरीद सकें। गौरतलब है कि डेरा प्रमुख ने 2015 में फिल्मी दुनिया में कदम रखा और अब तक उसकी पांच फिल्में रिलीज हुई है।
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फिल्म रिलीज से पहले ही तय होती थी महंगी सीटें
डेरा प्रमुख की फिल्म बनने के बाद रिलीज से पहले ही उसकी इंटरटेनमेंट कंपनी के अधिकारी ऐसे लोगों की तलाश में जुट जाते थे, जिनकी डेरा प्रमुख के साथ बैठकर फिल्म देखने में दिलचस्पी हो। डेरा प्रमुख सिरसा के अलावा गुरुग्राम व अन्य शहरों में भी फिल्म देखता था। इसके लिए बड़े शहरों में पहले से ही माहौल तैयार किया जाता था। फिर विशेष लोगों को महंगे टिकट देकर उन्हें डेरा प्रमुख के साथ बिठाया जाता।
एक फिल्म के प्रीमियर के मौके पर हनीप्रीत के साथ गुरमीत राम रहीम।
चलता था पार्टियों का दौर
डेरा प्रमुख की फिल्म रिलीज होने से लेकर उसकी कमाई के बाद पार्टियों का दौर चलता था। पहले रिलीज पार्टी होती थी, जिसमें डेरा प्रमुख व उनके परिवार के सदस्य चुनिंदा लोगों के साथ फिल्म रिलीज होने का जश्न मनाते। उसके बाद कभी 100 करोड़ तो कभी 200 करोड़ की कमाई होने का दावा करके सक्सेस पार्टी का आयोजन होता। सक्सेस पार्टी में भी खास लोगों को बुलाया जाता था।
रिलीज के दिन भी साध-संगत को करना पड़ता था खर्चा
डेरा प्रमुख की फिल्म के रिलीज के दिन भी साध संगत को खर्चा करना पड़ता था। पहले तो रिलीज के नाम पर अलग-अलग शहर में कार्यक्रम होते थे और साध संगत ढोल-नगाड़ों के साथ शहर व गांवों में रैलियां निकालती। उसके बाद लोगों को फिल्में दिखाने के लिए कई बार अपनी जेब से टिकटों के पैसे देने पड़ते। रिलीज पर होने वाले खर्च की व्यवस्था साध-संगत को अपने स्तर पर करनी पड़ती थी।
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व्यापारियों का करोड़ों रुपया डेरे में फंसा
सिरसा व अन्य शहरों के कई व्यापारियों के करोड़ों रुपये डेरा सच्चा सौदा में फंस गए हैं। दो करोड़ रुपये तो अकेले राजस्थान के भादरा बाजार के व्यापारियों का अटक गए हैं। ज्यादातर पैसा खाद्य पदार्थों से संबंधित है, जिनकी सप्लाई डेरे में इन व्यापारियों ने की थी।
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खुद ही था आर्किटेक्ट, फ्री में मजदूरी करते थे अंधभक्त
डेरा सच्चा सौदा में बनी इमारतों को किसी आर्किटेक्ट से मदद लेने की बजाय खुद गुरमीत राम रहीम ने ही डिजाइन किया था। उसने दिल के आकार में अस्पताल बनवाया तो कहीं ताजमहल की प्रतिकृति की विला भी बनवाई। इन इमारतों को बनवाने के लिए गुरमीत को अंधभक्तों के रूप में मुफ्त में कारीगर और मजदूर मिल जाते थे। वे इस काम को सेवा समझकर करते थे।
सूत्रों के अनुसार, डेरे में भवन निर्माण में निपुण लोगों का अलग से डाटा तैयार किया जाता था। जब भी डेरे में कोई बिल्डिंग बननी होती तो ऐसे लोगों को बुलाया जाता। ये लोग सारा कामकाज व परिवार छोड़कर कई-कई दिन तक डेरे में ही निर्माण कार्य में जुटे रहते और इनको कोई पैसा भी नहीं मिलता था।
रिकार्ड के नाम पर पैदा किया जाता जुनून
डेरा प्रमुख के सिपहसालारों में शामिल कुछ लोग रिकॉर्ड के नाम पर साध-संगत में जुनून पैदा कर देते, जिसके बाद एक साथ हजारों लोग मिलकर मात्र कुछ ही समय में बड़ी-बड़ी बिङ्क्षल्डग खड़ी करवा देते।
31 दिन में बना दिया था अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम
सूत्रों के मुताबिक, डेरे में शाह सतनाम अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम भी फ्री के कारीगरों और मजदूरों के सहारे मात्र 31 दिनों में ही बना दिया गया था। स्टेडियम निर्माण में सैकड़ों डेरा अनुयायियों को लगाया गया था। इसी तरह सचखंड हाल, सत्संग हाल, अस्पताल निर्माण और अन्य भवनों के निर्माण में भी साध संगत से मजदूरी करवाई गई।
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भूमिगत हो गई डेरे की ग्रीन फोर्स
गुरमीत राम रहीम के जेल जाने के बाद ग्रीन फोर्स भी भूमिगत हो गई है। ग्रीन फोर्स के जवान हर समय डेरा में जगह जगह पर तैनात रहते थे। डेरा पर इस फोर्स को हथियारों की ट्रेनिंग देने के भी आरोप लगे हैं। डेरा द्वारा शाह सतनाम ग्रीन वेलफेयर फोर्स में 1.25 लाख अनुयायी होने का दावा किया जाता रहा है, लेकिन डेरा में सर्च अभियान के दौरान कोई ग्रीन फोर्स का जवान नहीं मिला।
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