Move to Jagran APP

दलितों से दिल मिलाने निकला संघ

जागरण संवाददाता, रेवाड़ी: स्थान-रेवाड़ी स्थित धानक समाज की बगीची। समय-रविवार सुबह लगभग 9 बजे। देखन

By Edited By: Published: Mon, 27 Apr 2015 01:00 AM (IST)Updated: Mon, 27 Apr 2015 01:00 AM (IST)
दलितों से दिल मिलाने निकला संघ

जागरण संवाददाता, रेवाड़ी: स्थान-रेवाड़ी स्थित धानक समाज की बगीची। समय-रविवार सुबह लगभग 9 बजे। देखने में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का ये छोटा सा कार्यक्रम है। नाम दिया है बाबा साहब भीमराव अंबेडकर की 125 वीं जयंती पर प्रकाशित पांचजन्य विशेषांक का लोकार्पण समारोह, लेकिन असलियत में ये संघ के व्यापक सोच को लेकर आयोजित ऐसा कार्यक्रम है, जिसके पीछे दलित-स्वर्ण के बीच भाईचारा कायम करने की दिली च्च्छा छुपी हुई है। ऐसे कार्यक्रम पूरे देश व प्रदेश में चल रहे हैं। हरियाणा में ये अभियान अंतिम चरण में है। रविवार को रेवाड़ी जिले में कार्यक्रम हुआ। सही मायने में इन आयोजनों की व्याख्या करें तो राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ दलितों से दिल मिलाने निकला है।

loksabha election banner

संघ ने बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर के साहित्य को दलित-स्वर्ण की खाई पाटने का माध्यम बनाया है। भीमराव का नाम व साहित्य ही अब दलित-स्वर्ण के बीच भाईचारा बढ़ाने के संघ के एजेंडे को पूरा करेगा। अंतिम चरण में रविवार को रेवाड़ी में दलित चेतना की अलख जगाई गई है। आने वाले समय में इसे रफ्तार दी जाएगी। आज के सम्मेलन में आरएसएस से जुड़े वक्ताओं ने कहा, दलित और आर्य एक हैं। शूद्र शब्द कभी भी वैदिक नहीं रहा। छूआछूत सिर्फ गो भक्षण करने वालों के लिए था। कार्यक्रम में शिक्षाविद धर्मबीर बल्डोदिया बतौर अध्यक्ष शामिल हुए। उनकी अध्यक्षता के पीछे भी यही संदेश देना था कि संघ की दृष्टि में दलित-स्वर्ण में कोई फर्क नहीं है। धानक समाज के अध्यक्ष मा. शादीराम को कार्यक्रम में विशेष रूप से आमंत्रित किया गया था। इस अवसर पर धर्मबीर बल्डोदिया, डॉ. लक्ष्मीनारायण, अजय मित्तल, सुंदरलाल, कुलदीप ¨सह सहित कई गणमान्य लोग मौजूद थे।

----------

डा. भीमराव ने समता और बंधुत्व का पाठ पढ़ाया था। उनके विचार विराट व्यक्तित्व के परिचायक हैं। बाबा साहेब समाज की ¨चताओं में स्वर मिलाने वाले व्यक्ति थे। उनकच्ी इच्छा समाज की बुराइयों को दूर करने की थी।

-धर्मबीर बल्डोदिया, प्राचार्य, डाइट, महेंद्रगढ़ व कार्यक्रम के अध्यक्ष।

------------

बाबा साहेब ने कहा था कि आर्य और दलित एक ही हैं। शूद्र कभी भी वैदिक शब्द नहीं रहा। डा. अंबेडकर स्वयं को वामपंथियों का सबसे बड़ा दुश्मन मानते थे। उन्होंने कहा भी था कि वामपंथी श्रमिकों का शोषण करते हैं। बाबा साहब श्रमिक, मालिक व सरकार तीनों के मिलकर कार्य करने के पक्षधर थे। वे चीन और पाकिस्तान की चालों को भांप गए थे। कश्मीर व पूर्वी बंगाल में की जा रही गलतियों को जान लिया था।

-डा. लक्ष्मी नारायण, मुख्य वक्ता व संघ के जिला कार्यवाह।

-----------------

डा. अंबेडकर ने अपने जीवन की शुरूआत छूआछूत निवारण से की थी। उनकी भावनाएं भारत के संविधान में झलकती है। उनकी सोच समाज के सभी वर्गों की सहभागिता से देश को आगे लेकर जाने की थी। सहभागिता से संस्था और काम से आत्मीयता निर्मित होती है।

-अजय मित्तल, जिला संघ चालक।

---------------

¨हदू समाज न्यायपूर्ण हो। समरसता पूर्ण हो और भेदभाव से मुक्त संगठित हो। डा. भीमराव अंबेडकर का यही ध्येय था। वर्ष 1973 में तत्कालीन संघ चालक गुरुजी ने उनके बारे में लिखा था कि अपमानित समाज के महत्वपूर्ण हिस्से को आत्म सम्मानपूर्वक खड़ा करके उन्होंने राष्ट्र के ऊपर असीम उपकार किया है।

-सुंदर लाल, सह संघ चालक।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.