कर्ज माफी पर किसानों की हरियाणा सरकार से वार्ता विफल, आंदोलन का एलान
किसानों की कर्जमाफी सहित कई मांगों को लेकर भाकियू नेताओं की हरियाणा सरकार से बातचीत हुई। वार्ता विफल रही और इसके बाद किसान नेताओं ने आंदोलन शुरू करने का एलान किया।
जेएनएन, चंडीगढ़। हरियाणा के किसानों के कर्जमाफी सहित विभिन्न मुद्दों पर भारतीय किसान यूनियन आैर सरकार के बीच शुक्रवार को हुई वार्ता विफल रही है। इसके बाद भाकियू प्रतिनिधिमंडल ने 9 अगस्त से आंदोलन छेड़ने का एलान कर दिया। आंदोलन की शुरूआत सीएम सिटी करनाल से हाेगी। वार्ता सीएम आवास पर हुई।
भाकियू के प्रतिनिधिमंडल की वार्ता सीएम मनोहर लाल अौर कृषि मंत्री ओमप्रकाश धनखड़ से हुई। बैठक में तमाम वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे। भाकियू के 16 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व संगठन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रामफल कंडेला और प्रदेश अध्यक्ष रतन मान ने किया।
बैठक में हरियाणा में किसानों की कर्जमाफी, स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट को लागू करने, फसल बीमा योजना का सरलीकरण, किसान कर्ज मुक्ति आयोग और किसान पेंशन आयोग गठित करने आदि मुद्दों पर चर्चा हुई। बातचीत खत्म होने के बाद सीएम हाउस से निकले किसान नेताओं ने इस पर असंतुष्टि जाहिर की। उन्होंने कहा कि वार्ता में मुख्य रूप से हरियाणा में किसानों की कर्जामाफी की मांग रखी गई, लेकिन सरकार का रुख सकारात्मक नहीं था।
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किसान नेताओं ने कहा कि हरियाणा सरकार किसानों की कर्जमाफी के लिए तैयार नहीं है। सरकार के समक्ष किसानों की अन्य मांगें भी रखी गई। किसानों के लिए पेंशन की मांग भी सरकार से की गई, लेकिन सरकार का अधिकतर मांगों पर नकारात्मक रवैया ही रहा।
किसान नेताओं ने कहा कि ऐसी स्थिति में किसानों के समक्ष आंदोलन के सिवा कोई चारा नहीं है। इसके साथ ही उन्होंने 9 अगस्त से हरियाणा सरकार के खिलाफ आंदोलन छेड़ने का एलान किया। अांदोलन की शुरूअात सीएम सिटी करनाल से होगी और इसे पूरे प्रदेश में फैलाया जाएगा।
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बैठक के बाद कृषि मंत्री ओमप्रकाश धनखड़ ने कहा कि किसानों की कई मांगे हैं और सरकार इन पर विचार कर रही है। राज्य सरकार के किसानों के हित में कई कदम उठाए हैं। मनोहर सरकार किसानों की दशा बेहतर करने के लिए कई सुधारात्मक कदम उठा रही है। उन्होंने कहा कि हम किसानों के हित और कल्याण के लिए प्रतिबद्ध हैं।
धनखड़ ने कहा कि एक ही बार में बिना विचार के सभी बातें तय नहीं कर सकते। हरियाणा सरकार अपने संसाधनों को ध्यान में रखते हुए जो मांगे पूरी हो सकती हैं उनको पूरा करेगी। सरकार किसानों की सभी मांगों पर
विचार किया जाएगा। किसानों से बातचीत के लिए सरकार के दरवाजे हमेशा खुले हैं।
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