खेमका का ट्वीट- सर और माई लार्ड हैं अंग्रेजियत के प्रतीक, समीक्षा की जरूरत
हरियाणा के वरिष्ठ आइएएस अधिकारी डा. अशोक खेमका ने एक नई बहस छेड़ दी है। खेमका ने एक ट्वीट कर सर, माई लॉड जैसे शब्दों पर सवाल उठाया है व इन्हें अ ...और पढ़ें

जेएनएन, चंडीगढ़। ट्वीट से अकसर सुर्खियों में रहने वाले हरियाणा के सीनियर आइएएस अशोक खेमका ने इस बार नई बहस को जन्म दे दिया है। उन्होंने ट्वीट किया है कि सर, माई लॉर्ड और हिज एक्सीलेंस जैसे शब्द अंग्रेजियत के प्रतीक हैं। उन्होंने इसके प्रयोग के बारे में समीक्षा की जरूरत बताई है।
खेमका ने आम और खास में अंतर मिटाने के लिए वीवीआइपी की गाडि़यों से लाल बत्ती हटाने का समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि यह स्वागत योग्य कदम है। इससे वीवीआइपी कल्चर खत्म होगा। इसी तर्ज पर अंग्रेजों के जमाने से चले आ रहे कुछ शब्दों पर विचार किया जाना चाहिए, क्योंकि ये गुलामी के प्रतीक हैं।
Ashok Khemka, IAS @AshokKhemka_IAS
Use of British honorifics, 'Sir, His Excellency, My Lord' like the use of red beacon light on car also need a review.
उन्हाेंने कहा है, वर्षों से ढोई जा रही कुछ परंपराओं के विरोध में विभिन्न स्तरों पर आवाज उठती रही हैं। पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम और पूर्व केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्री जयराम रमेश ने दीक्षांत समारोह में यह कहते हुए गाउन पहनने से इनकार कर दिया था कि यह अंग्रेजियत और गुलामी का प्रतीक है।
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उनका कहना है कि आजाद भारत में हमें अपनी संस्कृति को बढ़ावा देना चाहिए। इसके बाद कई मौके आए जब सार्वजनिक मंचों पर अंग्रेजों के जमाने से चली आ रही परंपरा को तोड़ दिया गया। ऐसे में सर, माई लॉर्ड और हिज एक्सीलेंस जैसे शब्दों के इस्तेमाल की भी समीक्षा होनी चाहिए।
दीपेंद्र हुड्डा 13 साल से नहीं लगा रहे लाल बत्ती
हरियाणा में कांग्रेस सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा अपनी गाड़ी पर लाल बत्ती लगाने से परहेज करते रहे हैं। कांग्रेस की सरकार में अपने पिता भूपेंद्र सिंह हुड्डा के मुख्यमंत्री रहते हुए दीपेंद्र ने कभी अपनी गाड़ी पर लाल बत्ती नहीं लगाई। पंजाब सरकार ने जब लाल बत्ती नहीं लगाने का फैसला लिया था, तब ट्विटर पर दीपेंद्र को काफी ट्रेंड किया गया था। दीपेंद्र पिछले 13 सालों से लगातार सांसद हैं।

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