जाट आंदोलन में हिंसा में मारे लोगों के आश्रितों को पक्की नौकरी इसी माह
हरियाणा में पिछले साल जाट आंदोलन के दौरान हुई हिंसा में मारे गए लोगों के आश्रितों को राज्य सरकार इसी माह पक्की नौकरी दी जाएगी। ...और पढ़ें

जेएनएन, चंडीगढ़। हरियाणा में फरवरी 2016 में हुए जाट आंदोलन के दौरान हिंसा में मारे गए 31 लोगों में से 30 के परिजनों ने सरकारी नौकरी के लिए दावेदारी जताई है। राज्य सरकार अभी तक दो लोगों के आश्रितों को नौकरी दे चुकी है। बाकी बचे 28 लोगों के आश्रित परिजनों को इस माह के अंत तक पक्की नौकरी मिलने की संभावना है।
सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्य मंत्री कृष्ण कुमार बेदी की अध्यक्षता में हुई रिव्यू कमेटी की बैठक में यह निर्णय किया गया है। बैठक में तय हुआ कि हर हाल में 30 मई तक हिंसा में मारे गए लोगों के परिजनों को उनके घर के पास ही नौकरी उपलब्ध करा दी जाएगी। कमेटी की अब से पहले तीन बैठकें हो चुकी हैैं और सभी की रिपोर्ट मुख्यमंत्री को नियमित रूप से भेजी जा रही है।
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राज्य मंत्री कृष्ण बेदी के अनुसार, अभी तक सरकार जिन दो लोगों के आश्रितों को नौकरी दे चुकी है, उनमें एक को मुरथल यूनिवर्सिटी और दूसरे को फतेहाबाद नगर पालिका में ज्वाइन कराया गया है। आंदोलन के दौरान मारे गए फतेहाबाद के एक व्यक्ति की पत्नी को नौकरी दी गई है। उसने बच्चे छोटे होने के कारण सरकार से मायके के पास नौकरी देने का आग्रह किया था।
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कृष्ण बेदी की अध्यक्षता वाली चार सदस्यीय कमेटी की बैठक में घायलों को मुआवजा प्रदान करने की स्थिति की भी समीक्षा की गई। रिपोर्ट दी गई कि अधिकतर दावेदारों को मुआवजा बांटा जा चुका है। बैठक में बेदी के साथ जाट समुदाय के प्रतिनिधि एडवोकेट एसएस खरब, सरकार की ओर से आईजी नवदीप सिंह विर्क और एक अन्य वरिष्ठ अधिवक्ता शामिल रहे। राज्य मंत्री ने बताया कि सरकार ने नौकरी देने के लिए होमवर्क पूरा कर लिया है। अब नियुक्तियां देने का सिलसिला शुरू होगा।
बेदी कमेटी की पांचवीं बैठक 1 जून को
बेदी समिति की अगली बैठक पहली जून को हरियाणा निवास में ही होगी। इसमें मृतकों के आश्रितों को नौकरी देने की समीक्षा की जाएगी। साथ ही ये भी जांचा जाएगा कि कोई घायल मुआवजा पाने से वंचित तो नहीं रह गया है। कृष्ण बेदी ने बताया कि सरकार ने आवेदन करने वाले सभी घायलों को मुआवजा दे दिया है। अब कोई रह गया है तो आवेदन कर सकता है, उस पर भी गंभीरता से विचार किया जाएगा।

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