कच्ची उम्र में शादियों की मानसिकता से नहीं उबर रहे हरियाणा के लोग
हरियाणा में बाल विवाह की कुप्रथा पर लगाम नहीं लग रही है। राज्य में कम उम्र में बच्चों की शादी करने की लोगों की प्रवृति कम नहीं हो रही है।
जेएनएन, चंडीगढ़। हरियाणा में लिंगानुपात की स्थिति में सुधार होने के बावजूद छोटी उम्र में लड़कियों की शादियां करने की प्रवृत्ति कम नहीं हो रही है। पिछले ढाई साल में लिंगानुपात बढ़कर एक हजार लड़कों पर 938 लड़कियों का हो गया है, लेकिन बाल विवाह में भी तेजी से बढ़ोतरी हुई है। पिछले साल के आंकड़ों पर नजर डालें तो औसतन प्रदेश में हर रोज एक बाल विवाह हो रहा है।
छोटी उम्र में बच्चों की शादी की मानसिकता प्रगतिशील हरियाणा के लिए उचित नहीं है। प्रदेश में रोजाना पांच बच्चे लापता हो रहे हैैं। अब हर रोज बाल विवाह होने की प्रवृत्ति अच्छा संकेत नहीं दे रही है। प्रदेश में यह तीसरा साल है जब बाल विवाह घटने ककी बजाए बढ़ रहे हैं।
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पलवल से कांग्रेस विधायक कर्ण सिंह दलाल ने बाल विवाह का मुद्दा विधानसभा में उठाया तो हरियाणा सरकार ने पिछले तीन वर्ष की रिपोर्ट सार्वजनिक की। रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2014-2015 के दौरान प्रदेश में बाल विवाह के 246 केस सामने आए, जो वर्ष 2015-16 में बढ़कर 315 तक पहुंच गए। वर्ष 2016-17 में 362 बाल विवाह के मामले रिपोर्ट किए गए।
महिला एवं बाल विकास मंत्री कविता जैन के अनुसार विभागीय टीमों ने बाल विवाह के प्रति लोगों की मानसिकता में बदलाव की मुहिम छेड़ी है। तीन वर्षों में क्रमश 119, 182 और 230 बाल विवाह होने से रोके गए। तीन साल में 78 केस कार्रवाई के लिए पुलिस के पास भेजे गए। वर्ष 2014-15 में 13, वर्ष 2015-16 के दौरान 11 केस और वर्ष 2016-17 में केवल एक केस को अदालत में भेजा गया।
बाल विवाह की कई शिकायतें मिली झूठी
हरियाणा सरकार की रिपोर्ट के अनुसार पिछले तीन वर्षों में जांच के दौरान बाल विवाह की कई शिकायतें झूठी भी मिली हैं। लोगों द्वारा इन मामलों को लेकर पुलिस तथा महिला एवं बाल विकास विभाग को दी गई शिकायतों में से जांच के दौरान पहले साल 49, दूसरे साल 74 तथा तीसरे साल 65 शिकायतों को झूठा पाया गया। इन शिकायतों में लड़के या लड़कियों को बालिग पाया गया है।
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...और बढ़ता गया लिंगानुपात
इस साल फरवरी 2017 में हरियाणा का लिंगानुपात 938 पहुुंच गया जो जनवरी 2017 में 922 था। मनोहर सरकार ने वर्ष के अंत तक लिंगानुपात को 950 तक ले जाने का लक्ष्य रखा है। पिछले साल 2016 में प्रदेश में एक हजार लड़कों के पीछे 907 लड़कियों ने जन्म लिया। वर्ष 2011 की जनगणना में लिंगानुपात 830 तक गिर गया था। वर्ष 2013 में यह बढ़कर 850 और 2015 में 876 तक पहुंच गया।
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