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    भाजपा कार्यकारिणी की बैठक: नेताओं ने बागियों को बताई हद

    By Sunil Kumar JhaEdited By:
    Updated: Tue, 25 Apr 2017 09:00 PM (IST)

    हरियाणा भाजपा कार्यकारिण्‍ाी की बैठक में नेताओं ने बागी विधायकों को खरी-खरी सुनाई और अनुशासन की हद बताई। इसके साथ ही सरकार ने भी काम न करने वाले अुफसरों पर कड़़े रुख का इजहार किया।

    भाजपा कार्यकारिणी की बैठक: नेताओं ने बागियों को बताई हद

    जेएनएन, चंडीगढ़। हरियाणा भाजपा की दो दिवसीय बैठक में संगठन और सरकार दोनों के तेवर गरम दिखाई पड़े। संगठन के नेताओं ने पार्टी के असंतुष्ट विधायकों को संभाला तो सरकार ने काम नहीं करने वाले अफसरों पर अपने कड़े रुख का इजहार किया। असंतुष्ट विधायकों को पार्टी के पुराने आंदोलनकारी डीएनए से दूर रहने की सलाह दी गई। दूसरी ओर, सरकार की ओर से कहा गया कि काम नहीं करने वाले अफसरों को किसी तरह से बख्‍शा नहीं जाएगा।

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    काम न करनेवाले अफसरों पर सरकार ने दिखाया कड़ा रुख

    सीएम सिटी करनाल में हुई प्रदेश भाजपा की बैठक हिसार और पानीपत में हुई पिछली बैठकों से कुछ अलग थी। असंतुष्ट विधायकों की गतिविधियों के बीच संभावना जताई जा रही थी कि करनाल में कुछ गरमा-गरमी हो सकती है पर संगठन और सरकार दोनों ने पहले ही मोर्चा संभाल लिया। सरकार ने अपने ढ़ाई साल के कार्यकाल का रिपोर्ट कार्ड पेश करते हुए भविष्य का एजेंडा सामने रखा।

    करनाल में आयोजित प्रदेश भाजपा कार्यकारिणी की बैठक में मौजूद नेतागण।

    भाजपा प्रभारी डा. अनिल जैन ने असंतुष्ट विधायकों को पार्टी प्लेटफार्म पर अपनी बात कहने का इशारा करते हुए कहा, यह सही है कि हमारा डीएनए आंदोलनकारी रहा है। अब हम सरकार में हैं। लिहाजा अपनों के खिलाफ आंदोलन की मानसिकता को बदलना होगा।

    अनिल जैन और सुभाष बराला ने दी विधायकों को पार्टी प्लेटफार्म पर अपनी बात कहने की नसीहत

    भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सुभाष बराला भी पीछे नहीं रहे। उन्होंने कहा कि कोई भी व्यक्ति दूसरे व्यक्ति से बड़ा हो सकता है, लेकिन संगठन से बड़ा नहीं हो सकता। बराला ने विधायकों को भरोसा दिलाया कि उनकी बात सुनी जा रही है, लेकिन बात कहने का तरीका सही नहीं है। पार्टी के भीतर सभी को अपनी बात रखनी चाहिए।

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    अनिल जैन और बराला के इस रुख के बाद उन लोगों के इरादे पर ब्रेक लग गई, जो गरम अंदाज में आए थे। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने पिछली हुड्डा और चौटाला सरकारों की कार्य शैली पर सवाल उठाते हुए अधिकारियों को निशाने पर ले लिया। मनोहर ने बिना पर्ची वाले लोगों के भी काम करने का खुला एलान कर कार्यकर्ताओं को उनकी सुनवाई किए जाने का संकेत दे दिया।

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    मुख्यमंत्री ने कार्यकर्ताओं के बीच कहा कि संगठन महामंत्री के तौर पर वे अनुशासन को बनाने के लिए कड़े कदम उठाते थे। तब उन्हें सख्त हेड मास्टर के रूप में पेश किया गया। अब कार्यकर्ता तय कर लें कि यह अंदाज ठीक है या फिर वही अंदाज ठीक था। मुख्यमंत्री ने सरकार की योजनाओं के क्रियान्वयन में कार्यकर्ताओं से सहयोग मांगा तथा मंत्रियों, विधायकों और पार्टी नेताओं से उन्हें आगे बढ़ाने का आह्वान किया।