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    जाट आरक्षण : फिर से आंदोलन की चेतावनी के साथ घरों को लौेटे जाट

    By Sunil Kumar JhaEdited By:
    Updated: Sun, 19 Jun 2016 09:17 PM (IST)

    जाटों का आंदोलन रविवार को खत्‍म हो गया। अखिल भारतीय जाट संघर्ष समिति के अध्‍यक्ष यशपाल मलिक ने आंदोलनकारियों के बीच पहुंचकर इसकी घोषणा की।

    जेएनएन, चंडीगढ़। जाटों का आंदोलन रविवार शाम को खत्म हो गया। अखिल भारतीय जाट आरक्षण संघर्ष समिति के अध्यक्ष यशपाल मलिक ने जाटों के धरनों में पहुंचकरकारियों को राज्य सरकार से हुई वार्ता का ब्याेरा दिया। इसके बाद धरना समाप्त करने की घोषण की। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि सरकार अपने वादे से मुकरी तो फिर आंदोलन होगा।

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    आंदोलनकारियों के बीच पहुंचे अखिल भारतीय जाट आरक्षण संघर्ष समिति के अध्यक्ष

    यशपाल मलिक रविवार को कैथल के किच्छाना कुईं, जींद के खटकड़ गांव और रोहतक के जसिया गांव में चल रहे धरने पर पहुंचे और सरकार से शनिवार काे नई दिल्ली स्िथत हरियाणा भवन में हुई बातचीत का ब्योरा दिया। मलिक ने अांदोलन के दौरान उनका विरोध कर रहे जाट नेताओं पर भी जमकर निशाना साधा।

    पढ़ें : यशपाल मलिक गुट का जाट आंदोलन खत्म करने का ऐलान

    शनिवार को नई दिल्ली में प्रदेश सरकार प्रतिनिधि परिवहन मंत्री कृष्णलाल पंवार के साथ हुई मलिक की बातचीत के बाद धरने खत्म किया जाना तय हाे गया था। का एलान हो गया था। इसके साथ ही रविवार शाम प्रदेश में सभी स्थानों पर चल रहे धरने समाप्त हो गए। मलिक ने कैथल के किच्छाना कुई और जींद के खटकड़ गांव में चल रहे धरनों पर बैठे आंदोलनकारियों के बीच रविवार को पहुंचने का वादा किया था।

    कैथल के किच्छाना कुईं में यशपाल मलिक की रैली में मौजूद जाट आंदोलनकारी।

    सरकार को 31 अगस्त तक दिया समय, मांगें पूरी न हुई तो 13 सितंबर से फिर आंदोलन

    मलिक के पहुंचने के बाद तीनों जगहों पर चल रहे धरने रैली में तब्दील हो गए। मलिक ने कहा कि हमने सरकार को 31 अगस्त का समय दिया है। 13 सितंबर को मय्यड़ में मनाए जाने वाले शहीदी दिवस से पहले सभी मांगें पूरी नहीं हुईं तो धन्यवाद रैली के मंच से ही फिर आंदोलन शुरू कर दिया जाएगा।

    पढ़ें : जाटों की सिर्फ जायज मांगें ही मानेंगे : मनोहर लाल

    आंदोलन का विरोध करने वाले नेताओं पर निशाना साधते हुए मलिक ने कहा कि समाज में फूट डालने वाले लोगों के बारे में समाज को सोचना होगा। उन्होंने कहा कि 1984 में पंजाब की पहचान मिटाने का प्रयास कर चुके राजनेताओं ने हरियाणा में जाटों को ढाल बनाकर जातिवाद का जहर घोलकर मिटाने का प्रयास किया है। जाटों ने शांति व भाईचारे का संदेश देकर ऐसे लोगों के मुंह पर जोर का तमाचा मारा है।

    जींद में मलिक ने हरियाणा न आने पर सफाई देते हुए कहा, मैं देशद्रोह के मुकदमे में नामजद होने के डर से नहीं, बल्कि उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में चल रहे धरनों की व्यस्तता के कारण हरियाणा नहीं आ पाया था। हम मुकदमों से डरकर भागने के बजाय कानूनी तरीके से लड़ाई लडऩा जानते हैं। बता दें कि 26 मई को जींद में देशद्रोह का मामला दर्ज होने के बाद करीब 24 दिन बाद पहली बार मलिक जींद पहुंचे थे।

    वित्तमंत्री की कोठी जलाने के मामले में सही जांच नहीं हुई

    रोहतक में मलिक ने कहा कि प्रदेश के मंत्री कैप्टन अभिमन्यु की कोठी जलाई गई। यह कोठी किसने जलाई और क्यों जलाई, इसकी कोई जांच नहीं की गई। सीधे एक एसआइटी गठित कर दी गई और जाट युवाओं को पकड़कर जेल भेजना शुरू कर दिया जबकि सच्चाई यह है कि इस कोठी को फूंकने में दूसरी बिरादरी के लोग शामिल थे। लेकिन फंसाया जाट बिरादरी को गया।

    ' यूपी में इनका इलाज मैं आपणे आप कर दयूंगा '

    कैथल में मलिक ने कहा कि सरकार को आखिर उनके संघर्ष के आगे मजबूर होना ही पड़ा। सरकार ने जाटों को कम आंकने की भूल की। सरकार ने धोखा दिया तो उप्र विस चुनाव में भाजपा की खुलकर खिलाफत होगी। मलिक बोले, 'ये लोग यूपी में म्हारे बिना नहीं जीत सकते, क्योंकि मुस्लिम और एससी इन्हें वहां वोट नहीं देता और हम देंगे नहीं। हरयाणे के हर जिले तै दस-दस गाड्डी मनैं दे दिया इनका इलाज मैं आपणे आप कर दयूंगा।'

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    तंबू उखड़े, ट्रैक्टर ट्रालियों में घरों को लौटे लोग

    बता दें कि रोहतक के जसिया, कुरुक्षेत्र के जैनपुर जाटान, पानीपत के मतलौडा, हिसार के मय्यड़ , फतेहाबाद के ढाणी भोजराज, कैथल में किच्छाना कुई , करनाल के बल्ला, भिवानी में धनाना, चरखी दादरी में शहर के सेक्टर आठ, रेवाड़ी के बावल के प्राणपुरा गांव और सोनीपत के लघु सचिवालय के पार्क में लोग धरने पर बैठे थे। आंदोलन खत्म होने के साथ ही वहां लगे तंबू उखड़ गए और लोग अपने वाहनों व ट्रैक्टर ट्रालियों पर सवार होकर नारे लगाते हुए घरों को लौट गए।